नूपुर शर्मा विवाद के बीच अब ऑल इंडिया मुसलिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने उलमाओं और बुद्धिजीवियों के टीवी बहसों में शामिल होने को लेकर एक बयान जारी किया है। उसने इसमें आग्रह किया है कि वे टीवी चैनलों की बहस में न जाएँ। तो सवाल है कि उसने ऐसा आग्रह क्यों किया है? क्या नूपुर शर्मा विवाद की वजह से या इसके पीछे कुछ और कारण है?
वैसे, मुसलिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने साफ़ किया है कि उलमा और बुद्धिजीवियों से अपील है कि वे उन टीवी चैनलों की बहस और डिबेट्स में न जाएँ जिनका उद्देश्य केवल इसलाम और मुसलमानों का उपहास करना और उनका मजाक उड़ाना है।
यह बयान बोर्ड के महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी के हवाले से जारी किया गया है। बोर्ड अध्यक्ष मौलाना सैयद मुहम्मद राबेअ हसनी नदवी और तमाम उपाध्यक्षों की ओर से जारी उस बयान में कहा गया है, 'कार्यक्रमों में भाग लेकर वे इसलाम और मुसलमानों की कोई सेवा नहीं कर पाते, बल्कि परोक्ष रूप से इसलाम और मुसलमानों का अपमान और उपहास ही करते हैं। ये चैनल अपनी तटस्थता दिखाने के लिए एक मुसलिम चेहरे को डिबेट में शामिल करते हैं और हमारे उलमा और बुद्धिजीवी इस षडयंत्र का शिकार हो जाते हैं।'
बयान में यह भी कहा गया है कि 'अगर हम इन कार्यक्रमों और चैनलों का बहिष्कार करते हैं तो ना सिर्फ इनकी टीआरपी कम होगी बल्कि ये अपने उद्देश्य में बुरी तरह विफल हो जाएंगे।'
बता दें कि मुसलिम पर्सनल लॉ बोर्ड की यह अपील ऐसे समय में आई है जब नुपूर शर्मा के विवादित बयान के मामले ने तूल पकड़ा है। नुपूर शर्मा ने पैगम्बर मोहम्मद साहब को लेकर विवादित बयान दिया था। इस मामले में काफ़ी दबाव पड़ने के बाद बीजेपी से जुड़ी रहीं नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल के ख़िलाफ़ कार्रवाई हुई। इन पर एफ़आईआर दर्ज हुई तो इसके साथ कई अन्य लोगों पर भी मुक़दमा दर्ज किया गया।
इस मामले में 9 जून को असदुद्दीन ओवैसी समेत 32 लोगों के ख़िलाफ़ मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें सबा नक़वी जैसी पत्रकार भी हैं। बाकी नामों पर गौर करें- शादाब चौहान, हाफिजुल हसन अंसारी, इलियास शरफुद्दीन, मौलाना मुफ्ती नदीम, अब्दुर्रहमान, नगमा शेख, डॉ. मोहम्मद कलीम तुर्क, अतीतुर रहमान ख़ान, शाजा अहमद, इम्तियाज अहमद, दानिश कुरैशी, काशिफ, मोहम्मद साजिद शाहीन, गुलजार अंसारी, सैफुद्दीन, मौलाना सरफराजी, मसूद फयाज हाशमी।
कुछ हिन्दुओं के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज हैं। उनमें शामिल हैं- बिहार लाल यादव, आर विक्रमन, विनीता शर्मा, कुमार दिवाशंकर, यति नरसिंहानंद, स्वामी जीतेन्द्रानन्द, लक्ष्मण दास, अनिल कुमार मीणा, क्यू सेंसी, पूजा शकुन पाण्डे, पूजा प्रियंवदा, मीनाक्षी चौधरी। इन सब पर भी किसी न किसी रूप में धार्मिक भावनाएँ भड़काने के आरोप हैं। बहरहाल, इन एफ़आईआर पर अब सवाल उठ रहे हैं कि जब विवाद के केंद्र में नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल थे तो बाक़ी के ख़िलाफ़ अभी मुक़दमा क्यों दर्ज किया गया?