झारखंड के जमशेदपुर में एक मुसलिम युवक को मोटरसाइकिल चोरी करने के आरोप में भीड़ ने इतना पीटा कि उसकी मौत हो गई। युवक का नाम तरबेज अंसारी था और वह 22 साल का था। तरबेज़ को भीड़ ने मंगलवार शाम को पकड़कर खंभे से बाँध दिया था और सात घंटे से ज़्यादा समय तक उसकी पिटाई की और उसे बुरी हालत में बुधवार सुबह को पुलिस के हवाले कर दिया था। लेकिन तब तक तरबेज़ बेहोश होकर गिर पड़ा था और बाद में उसकी मौत हो गई। तरबेज़ के परिजनों ने कहा कि पिटाई के दौरान उसे भीड़ द्वारा ‘जय श्री राम’ और ‘जय हनुमान’ का नारा लगाने को मजबूर किया गया। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है।
तरबेज़ के रिश्तेदारों ने कहा कि उन्होंने पुलिस से तरबेज़ का सही इलाज कराने के लिए कहा था लेकिन पुलिस ने उनकी कोई मदद नहीं की। उन्होंने माँग की है कि तरबेज़ को पीटने वाली भीड़ और पुलिस अफ़सरों के ख़िलाफ़ कार्रवाई होनी चाहिए। यह घटना झारखंड के सरायकेला-खरसावन और पूर्वी सिंहभूमि जिले की सीमा पर हुई।
स्थानीय अस्पताल में शुरुआती मेडिकल जाँच के बाद पुलिस ने तरबेज़ को सरायकेला की जिला जेल में भेज दिया था। जब उसकी हालत ज़्यादा बिगड़ने लगी तो उसे जिला सदर अस्पताल में ले जाया गया, जहाँ डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। परिजन उसे जमशेदपुर के प्राइवेट अस्पताल ले गए। इसके बाद वे उसे टाटा मुख्य अस्पताल ले गए लेकिन वहाँ भी तरबेज़ को मृत घोषित कर दिया गया। पुलिस के मुताबिक़, तरबेज़ बीमार था और टाटा मुख्य अस्पताल में उसकी मौत हो गई। पुलिस ने बताया कि तरबेज़ के परिजनों की शिकायत पर एफ़आईआर दर्ज कर ली गई है और आगे की जाँच की जा रही है।
तरबेज़ के एक रिश्तेदार ने कहा कि वह अपने दोस्तों के साथ जमशेदपुर से वापस अपने घर सरायकेला-खरसावन के कारसोवा जा रहा था। लेकिन घर से 5 किमी. दूर ही भीड़ ने उन पर हमला कर दिया। रिश्तेदार ने कहा कि जहाँ से तरबेज़ अपने दोस्तों के साथ जा रहा था, वहाँ कोई मोटरसाइकिल चोरी हुई थी। इसलिए ग्रामीणों ने इन लोगों को पकड़ लिया और बुरी तरह पीटना शुरू कर दिया। उसके साथ जो दो दोस्त थे वे जान बचाकर भाग गए। रिश्तेदार के मुताबिक़, तरबेज़ को पूरी रात पीटा गया और सुबह पुलिस के हवाले किया गया।
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक़, तरबेज़ के रिश्तेदार ने कहा, ‘मेरा बड़ा भाई तरबेज़ को देखने सरायकेला पुलिस स्टेशन गया था। लेकिन पुलिस अफ़सरों ने उसे धमकाया और भगा दिया। पुलिस अफ़सरों ने मेरे भाई से कहा कि तुम एक चोर के लिए बात करने आए हो। उन्होंने उसे जेल में डालने की भी धमकी दी। हमें तरबेज़ से नहीं मिलने दिया गया।’ परिजनों ने कहा कि उन्हें इस बारे में नहीं बताया गया कि तरबेज़ को कब जेल से जिला अस्पताल ले जाया गया। हम चाहते हैं कि उस पुलिस स्टेशन, जेल के सभी अधिकारियों को और तरबेज़ को पीटने वालों के ख़िलाफ़ कार्रवाई हो।
डॉक्टरों ने कहा कि जब उसे सदर अस्पताल लाया गया तो वह कोमा में था। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक़, डॉक्टर वारियाल मर्डी ने कहा कि तरबेज़ बुरी तरह अचेत अवस्था में था। हम उसे ईसीजी देना चाहते थे लेकिन उसके परिजन इसके लिए तैयार नहीं थे। एआईएमआईएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट कर कहा कि भीड़ द्वारा की गई हिंसा की सभी घटनाएँ एक जैसे ढंग से हो रही हैं। पहले एक मुसलमान को गो प्रेमियों ने मार दिया। इन घटनाओं के पीछे उस व्यक्ति के पास गो माँस था, उसने चोरी की, तस्करी की और लव जिहाद, जैसे बहाने बनाये गए। ओवैसी ने आगे लिखा कि सिर्फ़ संदेह के आधार पर ही हमारी जान ली जा सकती है।
बता दें कि पिछले कुछ दिनों में ऐसी कई घटनाएँ हुई हैं जब मुसलमानों को ‘जय श्री राम’ या ‘वंदे मातरम’ बोलने के लिए मजबूर किया गया और न बोलने पर उनके साथ मारपीट की गई।
हाल ही में दिल्ली में मदरसे के एक टीचर को ‘जय श्री राम’ बोलने को कहा गया और ऐसा न कहने पर उसे कार से टक्कर मारकर घायल कर दिया गया। टीचर का नाम मोहम्मद मोमीन है और घटना के दौरान वह मदरसे के बाहर ही घूम रहे थे।
पिछले महीने गुड़गाँव के जैकबपुरा इलाक़े के सदर बाज़ार में मुसलिम युवक मोहम्मद बरकत से कुछ लोगों ने ‘भारत माता की जय’ और ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने को कहा था। बरकत ने बताया था कि जब उसने ऐसा करने से मना किया तो हमलावरों में से एक ने उसे सुअर का माँस खिलाने की धमकी दी थी। बरकत के मुताबिक़, ‘हमलावरों में से एक व्यक्ति ने उससे कहा था कि इस इलाक़े में धार्मिक टोपी (छोटी टोपी) पहनना पूरी तरह मना है। जब मैंने उसे बताया कि मैं मसजिद से नमाज पढ़कर लौट रहा हूँ तो उसने मुझे थप्पड़ मार दिया।’इसी साल हरियाणा के ही भोंडसी इलाक़े में कुछ लोगों ने होली के मौक़े पर एक मुसलिम परिवार के सदस्यों को घर में घुसकर बेरहमी से पीटा था। घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर ख़ूब वायरल हुआ था। आरोपियों ने लाठी-डंडों, तलवारों, लोहे की छड़ों और हॉकी स्टिक से परिवार के लोगों पर हमला किया था। आरोपियों ने उन लोगों को गालियाँ दी थीं और कहा था कि वे पाकिस्तान चले जाएँ।
अब सवाल यह है कि आख़िर ऐसी घटनाएँ लगातार क्यों बढ़ती जा रही हैं। क्या ऐसी घटनाओं को अंजाम देने वालों के भीतर क़ानून का ख़ौफ़ पूरी तरह ख़त्म हो गया है या उनके ख़िलाफ़ कोई सख़्त एक्शन न होने के कारण वे ऐसी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं।