अमेरिकी कंपनी मॉर्डना की कोरोना के इलाज के लिए बनी वैक्सीन के भारत में आपात इस्तेमाल को मंजूरी दे दी गई है। केंद्र सरकार ने बताया है कि ड्रंग कंट्रोलर जनरल ऑफ़ इंडिया (डीसीजीआई) ने मंगलवार को यह मंजूरी दी। इसके अलावा भारत में दवा बनाने वाली कंपनी सिप्ला को मॉर्डना की वैक्सीन का आयात करने और इसे बाज़ार में लाने की भी अनुमति दी गई है।
इन दिनों कोरोना महामारी की दूसरी लहर कमज़ोर पड़ गई है और इस बीच यह एक अच्छी ख़बर है क्योंकि यह यह चौथी वैक्सीन है, जो भारत के लोगों को उपलब्ध होगी। इससे पहले इस महीने की शुरुआत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया को रूस की वैक्सीन स्पुतनिक V बनाने की अनुमति डीसीजीआई की ओर से दी गई थी।
सीरम इंस्टीट्यूट ने भारत में स्पुतनिक V को विकसित करने के लिए गमालेया रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ़ एपिडेमियोलॉजी और माइक्रोबायोलॉजी, मॉस्को के साथ हाथ मिलाया है। सीरम इंस्टीट्यूट ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी-एस्ट्राज़ेनेका के साथ मिलकर पहले से ही कोविशील्ड और भारत बायोटेक कोवैक्सीन बना रहा है।
केंद्र सरकार की ओर से कोरोना महामारी से लड़ने के लिए बनाई गई टास्क फ़ोर्स के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने कहा कि मॉर्डना के भारतीय साझेदार सिप्ला की ओर से इस संबंध में एक अर्जी मिली थी और इसके बाद ही डीसीजीआई की ओर से मार्डना की वैक्सीन के आपात इस्तेमाल को मंजूरी दी गई।
डॉ. पॉल ने कहा कि केंद्र सरकार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विकसित किए गए अन्य टीकों, विशेष रूप से फ़ाइजर और जे एंड जे को भी भारत लाया जा सके, इस दिशा में कोशिश कर रही है। इसके साथ ही जो वैक्सीन हमारे देश में बन रही हैं, उनके उत्पादन को बढ़ाने के लिए भी काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मॉर्डना की वैक्सीन निकट भविष्य में भारत में लोगों को मिलेगी।
टीकाकरण की रफ़्तार सुस्त
कोरोना महामारी की संभावित तीसरी लहर से बचने के लिए टीकाकरण की रफ़्तार को बढ़ाए जाने की ज़रूरत है। केंद्र सरकार ने कहा था कि वह इस साल के अंत तक सभी का टीकाकरण कर देगी। लेकिन वैक्सीन की जबरदस्त किल्लत है और इस वजह से कई राज्यों में टीकाकरण बेहद सुस्त रफ़्तार के साथ हो रहा है। ऐसे में सरकार के इस दावे पर गंभीर सवाल उठते हैं।
जिन राज्यों में टीकाकरण की रफ़्तार सुस्त है, उनमें उत्तर प्रदेश और बिहार सबसे आगे हैं।
पीछे हटी केंद्र सरकार
केंद्र सरकार ने कहा था कि इस साल दिसंबर तक 216 करोड़ वैक्सीन उपलब्ध हो जाएंगी लेकिन अब वह इससे पीछे हट गयी है और उसने कहा है कि वह 135 करोड़ वैक्सीन ही उपलब्ध करा पाएगी। केंद्र सरकार ने वैक्सीन उपलब्ध कराने के आंकड़ों को संशोधित कर सुप्रीम कोर्ट में हलफ़नामा दिया है। केंद्र ने यह हलफ़नामा उस मामले में दिया है जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने टीकाकरण अभियान को लेकर सवाल उठाए थे।