महाराष्ट्र में चल रही सियासी उठापटक और सरकार गठन में ‘अनियमितता’ का असर संसद भवन में भी दिखा। संविधान दिवस पर जब केंद्र सरकार संसद के संयुक्त सत्र में शामिल थी तो विपक्षी दल महाराष्ट्र में सरकार गठन में ‘संविधान की हत्या’ किये जाने का आरोप लगाकर संयुक्त सत्र का बहिष्कार कर रहे थे। कांग्रेस, शिवसेना सहित दूसरे विपक्षी दल आरोप लगा रहे हैं कि महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाने के लिए संवैधानिक नियमों और प्रावधानों की अनदेखी कर मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी गई। वे सरकार बनाने के दावे पेश किए जाने, राष्ट्रपति शासन हटाने और विधायकों का समर्थन नहीं होने को लेकर सवाल उठा रहे हैं।
इस दौरान एक सवाल के जवाब में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि महाराष्ट्र में केंद्र सरकार जिस तरह से पेश आई है, मौजूदा व्यवस्था में कुछ निश्चित संवैधानिक मानक सुरक्षित नहीं हैं। इसके साथ ही शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस की सरकार गठन के सवाल पर उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि वे सरकार गठन कर पाएँगे।
विपक्ष द्वारा संसद के संयुक्त सत्र का बहिष्कार किए जाने पर मनमोहन सिंह ने कहा कि यह संविधान का उल्लंघन नहीं है। उन्होंने कहा कि यह सभी को याद दिलाता है कि संवैधानिक मानदंडों का वर्तमान प्रतिष्ठान द्वारा उल्लंघन किया जा रहा है।
इसी दौरान सोनिया गाँधी से यह सवाल पूछे जाने पर कि क्या महाराष्ट्र में फ़्लोर टेस्ट पास करने के प्रति वह आश्वस्त हैं, उन्होंने कहा, पूरी तरह से। सोनिया गाँधी के नेतृत्व में विपक्षी दलों के नेताओं ने डॉ. भीमराव आम्बेडकर की प्रतिमा के सामने खड़े होकर संविधान का पाठ किया। वे सभी महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर बीजेपी द्वारा की जा रही ‘गड़बड़ी’ के ख़िलाफ़ सांकेतिक विरोध जता रहे थे। इसको लेकर कांग्रेस नेता प्रियंका गाँधी वाड्रा ने ट्वीट किया।
बता दें कि महाराष्ट्र के राज्यपाल ने बीजेपी विधायक दल के उस नेता को सूबे के मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी, जिन्होंने महज दो सप्ताह पहले ही अपने दल का बहुमत न होने की वजह से सरकार बनाने से इनकार कर दिया था। इसके बाद विपक्षी दल के नेताओं ने इस पर सवाल उठाए। उन्होंने सवाल उठाए कि किसी को भी मालूम नहीं कि आधी रात को कब राज्यपाल के समक्ष सरकार बनाने का दावा पेश किया गया, राज्यपाल ने उस दावे को किस आधार पर विश्वसनीय माना, कब उन्होंने राज्य में राष्ट्रपति शासन हटाने की सिफ़ारिश केंद्र सरकार को भेजी, कब केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में उस सिफ़ारिश पर विचार हुआ, कब उस सिफ़ारिश को राष्ट्रपति के पास भेजा गया और कब राष्ट्रपति ने उसे अपनी मंज़ूरी दी।