मणिपुर के बिष्णुपुर जिले में गुरुवार सुबह ताजा गोलीबारी की सूचना मिली।बिष्णुपुर के मोइरांग में मैतेई और कुकी आदिवासी समुदायों के बीच गोलीबारी हुई। ग्रामीणों के मुताबिक बुधवार की रात भी गोली चलने की आवाज सुनी गयी थी। हिंसा के दौरान कथित तौर पर कई घरों में आग लगा दी गई। जिस स्थान पर गोलीबारी हुई, उसके आसपास रहने वाले कई ग्रामीणों को दूसरी जगहों पर शरण लेनी पड़ी।
इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक गोलीबारी के बारे में बात करते हुए एक स्थानीय व्यक्ति ने बताया, "पिछली रात से ही गोलीबारी जारी है। हम पूरी रात सोए नहीं और कुछ खाया भी नहीं।" एक अन्य ने कहा कि लगातार हो रही गोलीबारी से सभी ग्रामीण डरे हुए हैं।
इससे पहले, बुधवार को मणिपुर के कांगपोकपी जिले में भीड़ ने सुरक्षा बलों द्वारा कर्मियों को ले जाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दो बसों में आग लगा दी थी। हालाँकि, किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है। यह घटना सपोरमीना में उस समय घटी जब बसें मंगलवार शाम दीमापुर से आ रही थीं।
कांगपोकपी वही जगह है, जहां दो कुकी आदिवासी महिलाओं की 4 मई को नग्न परेड कराई गई थी। जिस पर देश-दुनिया में व्यापक प्रतिक्रिया हो रही है।
लगभग तीन महीने पहले पूर्वोत्तर राज्य में जातीय हिंसा भड़क उठी थी, तब से अब तक 160 से अधिक लोग मारे गए हैं और सैकड़ों घायल हुए हैं। मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' आयोजित किए जाने के बाद 3 मई को हिंसा भड़क उठी थी, जो अब तक जारी है।
मणिपुर की आबादी में मैतेई लोगों की संख्या लगभग 53 से 60 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं, जबकि आदिवासी, जिनमें नागा और कुकी शामिल हैं, 40 प्रतिशत हैं और मुख्य रूप से पहाड़ी जिलों में रहते हैं।