मणिपुरः हिंसा के लिए बीरेन सिंह ने माफी मांगी, क्या भाजपा शर्मसार होगी?

05:36 pm Dec 31, 2024 | सत्य ब्यूरो

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने मंगलवार को राज्य के लोगों से माफी मांगी और मई 2023 से अब तक राज्य में हुई जातीय हिंसा के लिए "खेद" जताया। मुख्यमंत्री ने कहा कि “यह पूरा साल बहुत दुर्भाग्यपूर्ण रहा है। मुझे अफसोस है और मैं राज्य की जनता से कहना चाहता हूं कि पिछले 3 मई से आज तक जो कुछ हो रहा है, उसके लिए मैं राज्य की जनता से माफी मांगना चाहता हूं। तमाम लोगों ने अपने प्रियजनों को खो दिया। कई लोगों ने अपना घर छोड़ दिया। मुझे सचमुच अफसोस हो रहा है। मैं माफी मांगना चाहूंगा।''

एन बीरेन सिंह ने कहा-  "अब, मुझे उम्मीद है कि नए साल 2025 के साथ, राज्य में सामान्य स्थिति और शांति बहाल हो जाएगी। मैं राज्य के सभी समुदायों से अपील करता हूं कि जो भी हो जो हुआ सो हुआ। हमें अब पिछली गलतियों को भूलना होगा और एक शांतिपूर्ण मणिपुर, एक समृद्ध मणिपुर के लिए एक नया जीवन शुरू करना होगा।'' बीरेन सिंह के इस माफीनामे के बाद भाजपा की अभी तक कोई टिप्पणी नहीं आई है। लेकिन भाजपा को यह बताना होगा कि देश-विदेश में एन बीरेन सिंह जिस तरह से मणिपुर हिंसा के लिए बदनाम हुए क्या वो अब भी उनको कुर्सी पर बैठाए रखेगी।

विधायकों की बगावत पर भाजपा को परवाह नहीं

मुख्यमंत्री बीरेन सिंह की नाकामी से परेशान कुछ भाजपा विधायकों ने पार्टी से बगावत की और आलाकमान को एक पत्र लिखा। लेकिन बीजेपी आलाकमान ने विधायकों के बगावत की परवाह नहीं की। मणिपुर के 19 भाजपा विधायकों ने विद्रोह करते हुए पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को पत्र लिखा था। काफी दिनों से मणिपुर के भाजपा विधायकों का समूह बीरेन सिंह को हटाने की मांग को लेकर कम आधा दर्जन बार दिल्ली में डेरा डाल चुका है। नाराज विधायकों में स्पीकर सत्यब्रत, मंत्री विश्वजीत और वाई खेमचंद के अलावा कई हैं।

एनपीपी सरकार से अलग हुईः 17 नवंबर को कोनराड संगमा की पार्टी एनपीपी ने मणिपुर सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया। मेघालय के सीएम और एनपीपी प्रमुख कॉनराड संगमा ने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखा और कहा कि बीरेन सिंह के नेतृत्व में मणिपुर सरकार "संकट को हल करने और सामान्य स्थिति बहाल करने में पूरी तरह से विफल रही है।"

संगमा ने कहा था कि "नेशनल पीपुल्स पार्टी मणिपुर राज्य में मौजूदा कानून और व्यवस्था की स्थिति पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त करती है। पिछले कुछ दिनों में, हमने स्थिति को और खराब होते देखा है, जहां कई निर्दोष लोगों की जान चली गई है और लोग घायल हो गए हैं। राज्य भारी पीड़ा से गुजर रहा है। हम दृढ़ता से महसूस करते हैं कि बीरेन सिंह के नेतृत्व में मणिपुर राज्य सरकार संकट को हल करने और सामान्य स्थिति बहाल करने में पूरी तरह से विफल रही है।"

पत्र में कहा गया, "मौजूदा स्थिति को ध्यान में रखते हुए, नेशनल पीपुल्स पार्टी ने मणिपुर राज्य में बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार से अपना समर्थन तत्काल प्रभाव से वापस लेने का फैसला किया है।" पार्टी की ओर से कहा गया कि "एनपीपी आम जनता, आम जनता की इच्छाओं के साथ चलेगी...एनपीपी एनडीए का हिस्सा जरूर है। लेकिन हम मणिपुर के मुद्दे पर एनडीए या भाजपा का समर्थन नहीं कर सकते।" हैरानी की बात है कि जो बात भाजपा की सहयोगी एनपीपी को बहुत पहले समझ आ गई थी, उसे भाजपा और उसका आलाकमान अभी तक समझ नहीं सके हैं।

मिजोरम के सीएम का हमला

एनपीपी के समर्थन लेने के बाद मिजोरम के सीएम लालदुहोमा ने बीरेन सिंह को मणिपुर पर एक बोझ बताया। मिजोरम के सीएम ने कहा था कि बीरेन बीजेपी के लिए भी एक बोझ हैं। बीरेन सिंह के प्रशासन की तुलना में राष्ट्रपति शासन बेहतर है क्योंकि वह मणिपुर में हिंसा को नियंत्रित करने में असमर्थ है। मिजोरम दरअसल मणिपुर से सटा हुआ राज्य है, इसलिए वहां के सीएम का बयान महत्वपूर्ण था। इसके बावजूद भाजपा को होश नहीं आया। मणिपुर में जातीय हिंसा वहां के कुकी जो आदिवासी समुदाय और मैतेई लोगों के बीच है। मिजोरम कुकी जो आदिवासी समुदाय बहुल राज्य है।

मैतेई और कुकी समुदायों के बीच जातीय हिंसा, जो पहले इंफाल घाटी और आसपास के जिलों तक सीमित थी, इस साल की शुरुआत में जून में अपेक्षाकृत शांतिपूर्ण जिरीबाम जिले में फैल गई। नए सिरे से जातीय हिंसा तब भड़की जब जिरीबाम में एक व्यक्ति मृत पाया गया। इस घटना के कारण दोनों समुदायों के बीच बड़े पैमाने पर आगजनी, गोलीबारी और घरों में आग लगा दी गई, जिससे 1,000 से अधिक लोग रूप से विस्थापित हो गए। करीब 250 लोग मारे गये थे। लेकिन मणिपुर हिंसा के दौरान झकझोरने वाली घटना थी कुछ महिलाओं के साथ गैंगरेप और उनकी नग्न परेड। 

मोदी ने राहुल से कुछ नहीं सीखा

कांग्रेस ने भी मणिपुर हिंसा पर भाजपा को बार-बार चेताया कि वो बीरेन सिंह को हटा दे लेकिन भाजपा ने इस मांग को कोई महत्व नहीं दिया। कांग्रेस ने पीएम मोदी से कहा कि वो मणिपुर का दौरा करके जनता के जख्मों पर मरहम लगाये। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मणिपुर का दौरा किया और वो उन राहत कैंपों में गये, जहां लोगों ने आज भी शरण ले रखी है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी " पूरी दुनिया घूम रहे हैं" लेकिन वो मणिपुर नहीं गये। यह मांग संसद तक में की गई कि मोदी को मणिपुर जाना चाहिए। लेकिन मोदी-अमित शाह ने बीरेन सिंह को अभी तक मुख्यमंत्री बनाये रखा हुआ है।