मालेगाँव धमाके के मामले में जब प्रज्ञा, ले. कर्नल पुरोहित तथा उनके साथियों को गिरफ़्तार किया गया तो एटीएस को उनके कब्ज़े से एक लैपटॉप मिला जिसमें अभिनव भारत संस्था की बैठकों की रिकॉर्डिंग थी। पिछली किस्त में हमने जाना कि किस तरह ऐसी ही एक बातचीत में ले. कर्नल पुरोहित ने दावा किया था कि पिछले दो धमाके उन्होंने ही करवाए थे। आज हम उस रिकॉर्डिंग के डीटेल्स के अलावा और वार्ताओं के बारे में विस्तार से जानेंगे। पहले यह जान लें कि भारत के मौजूदा संविधान के बारे में उनका क्या मानना था और वे देश को कैसा नया संविधान लागू करना चाहते थे।
'वैदिक धर्म के आधार पर संविधान बने'
ले. कर्नल पुरोहित : हम इस संविधान से लड़ेंगे, हम इस राष्ट्र से लड़ेंगे; यह संविधान हमारा नहीं है… एक ही तरीक़ा है कि इसका विनाश कर दिया जाए।
सुधाकर द्विवेदी : इसके पहले पन्ने पर लिखा है कि भारत के लोगों ने इस संविधान को अपनाया है। यह कब हुआ किस तरह से (कह सकते हैं कि) लोगों ने इसे अपनाया क्या कोई जनमतसंग्रह हुआ था नहीं। क्या इसपर कोई बहस हुई थी नहीं। तब यह कैसे मान लिया गया तब कैसे इसे जनता की तरफ़ से लिखा गया और किसने लिखा
पुरोहित : यदि ऐसा है तो हमें इस संविधान से लड़ना होगा। हमें अपनी आज़ादी के लिए लड़ना होगा।
द्विवेदी : हमारे देश में शासन चलाने का प्राचीन शास्त्र है। हमारे स्मृतिग्रंथ ही हमारे समाज का संविधान हैं। आज भी देश में 14 स्मृतिग्रंथ हैं। सबको मिलाकर एक करो।
पुरोहित : हम चाहते हैं कि इस देश में वैदिक सिद्धांतों के आधार पर हिंदू या वैदिक धर्म की स्थापना हो।
मे. रमेश उपाध्याय : यह संविधान हमपर लागू नहीं होता। यह हमें स्वीकार्य नहीं है। इसकी जगह दूसरा संविधान लाना होगा, तभी हिंदू राष्ट्र की स्थापना होगी।
जब भारत हिंदू राष्ट्र बनेगा तो उसे एक नए झंडे की भी आवश्यकता होनी थी। अभिनव भारत के अनुसार यह नया झंडा गेरुए रंग का होगा और उसके बीच में एक सुनहरी मशाल होगी। झंडे की किनारी भी सुनहरी होगी। झंडे में चार वेदों का प्रतिनिधित्व करती चार अग्निशिखाएँ भी होंगी।
बातचीत में केवल कल के भारत की बात नहीं होती, उसे हासिल करने के तरीक़ों की भी बात होती है। वार्तालाप के दौरान कुछ लोग जिनमें पुरोहित और उपाध्याय भी शामिल थे, यह स्वीकार करते हैं कि अतीत में हुए कुछ धमाके जिनके लिए आईएसआई को ज़िम्मेदार ठहराया जाता है, वास्तव में उनकी संस्था ने किए थे। पुरोहित यहाँ तक कहते हैं कि हिंदू राष्ट्र की स्थापना के मार्ग में जो भी बाधा डालेगा, उसका न केवल राजनीतिक बहिष्कार किया जाएगा बल्कि उसको जान से भी हाथ धोना पड़ेगा।
इसी सिलसिले में इंद्रेश कुमार और मोहन भागवत को ख़त्म करने की योजना भी बनती है जिसके बारे में मैं पहले भी लिख चुका हूँ। (पढ़ें - भागवत, इंद्रेश को मारना चाहते थे प्रज्ञा के साथी)। लेकिन वे ऐसा क्यों करना चाहते थे, इसके बारे में इस बातचीत से स्पष्ट होता है। इस वार्तालाप में कर्नल पुरोहित, मेजर (रिटायर्ड) रमेश उपाध्याय, बी. एल. शर्मा ‘प्रेम’, दयानंद पांडे, कर्नल धर और आर. पी. सिंह थे जिनके बारे में हम पिछली किस्त में पढ़ चुके हैं कि उन्होंने कैसे 25 मुसलमानों को ज़िंदा जला दिया था।
‘मेजर साहब के पास 20 लोग हैं, हम उनको ट्रेनिंग देंगे’
पुरोहित : हमें अपने संविधान और अधिकार के लिए लड़ना होगा। अगर मुसलमान बड़ी संख्या में एकसाथ आ सकते हैं तो हम क्यों नहीं राष्ट्रीय, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय लेवल पर हमारी भी ख़ुराफ़ाती के रूप में पहचान बने।
उपाध्याय : मैं आपको बताता हूँ कि हम ऐसा क्यों कर रहे हैं। हम संविधान के ख़िलाफ़ लड़ रहे हैं इसलिए बीजेपी भी इसमें सफल नहीं हो सकती। यह हिंदू भारत देश नहीं है, हमें (इसके लिए) एक युद्ध लड़ना होगा। सिर्फ़ राम सेतु के बारे में बातें करने से नहीं होगा।
पुरोहित : हम इससे पहले दो ऑपरेशन कर चुके हैं और दोनों में सफल रहे। मैंने ही उनके लिए सारा सामान जुटाया था। राजा ज्ञानेंद्र से हमारी 24 जून को मुलाक़ात हुई थी। कर्नल लाजपत प्रज्ज्वल जो अब ब्रिगेडियर हैं, उन्होंने ही यह मीटिंग करवाई थी। हमारे लिए अच्छी बात यह है कि देश का कोई भी बंदा यह पता नहीं कर पाएगा कि यह काम किसने किया है।
आर.पी. सिंह : बीजेपी को विहिप से समस्या है। और अशोक सिंघल और प्रवीण तोगड़िया के बिना विहिप अंधा हाथी है।
पुरोहित : अगर विहिप न रहे तो बीजेपी की देश में वही स्थिति होगी जो शिव सेना की है। हम इनसे क्या उम्मीद कर सकते हैं मेजर साहब के पास 20 लोग हैं और हम उनको ट्रेनिंग देंगे।
दयानंद पांडे : इस्राइल से लोग आए और हमसे यह पूछा, हम मेल भेजते नहीं हैं, केवल उनको ड्राफ़्ट में सेव करते हैं। मैंने प्रवीणभाई से भी कहा कि ये माओवादी हद से बढ़ जाएँगे और हमें इनका कुछ करना होगा। इसलाम क्या कर रहा है, यह सभी जानते हैं। अब हिंदुत्व को भी अपना उग्र रूप दिखाना होगा।
सिंह : राजा ज्ञानेंद्र के समधी हमारे साथ बैठे थे गोरखपुर में। हम नेपालियों को एक कर रहे हैं और उनको सच्चाई बता रहे हैं। कुछ नेपाली यहाँ आने वाले हैं। मैं मोहन भागवत को भी इसके बारे में बताता रहा हूँ। मैंने पुलिस प्रमुख सुभाष जोशी से इसके बारे में बताया और उनको यह जानकर बहुत दुख हुआ कि बीजेपी माओवादियों की मदद कर रही है। मैंने संघ के एक पुराने व्यक्ति से भी संपर्क किया लेकिन बात आगे नहीं बढ़ पाई। मेजर प्रयाग मोडक हमारी मीटिंग में आए। कर्नल रायकर और कर्नल हँसमुख पटेल जो कि कमांडिंग ऑफ़िसर हैं, ये भी हमारी मदद कर रहे हैं। लाजपत प्रज्ज्वल रानी ऐश्वर्या की तरफ़ से हैं। और हाँ, कर्नल धर यहाँ ख़ुद मौजूद हैं…
‘हम सबका एक ही लक्ष्य - हिंदू राष्ट्र’
पुरोहित : नमस्कार धर जी। मैं आपका इन सबसे परिचय कराता हूँ। हम सबका एक ही लक्ष्य है… हिंदू राष्ट्र।
सिंह : कुछ समान विचारों वाले ईसाई भी हमारी मदद कर रहे हैं। मेरे अशोक सिंघल जी से बहुत अच्छे संबंध थे। वे विलक्षण पुरुष हैं लेकिन संघ के लोगों ने उनको (पद पर) बने रहने नहीं दिया। नेपाल के मामले में वे मुझसे सहमत थे। लेकिन संघ ने उनसे दूरी बना ली है और मेरी वजह से इंद्रेश की विहिप में एंट्री बंद है। इंद्रेश वही है जिसने मुलायम और सरसंघचालक से मीटिंग की थी। मुझे बताया गया है कि इंद्रेश आईएसआई से जुड़ा हुआ है। इन आरएसएस के लोगों से तो मायावती अच्छी है। लेकिन वो वफ़ादार नहीं है। मैं मुरली मनोहर जोशी और लालकृष्ण आडवाणी से मिला और आडवाणी से कहा कि वे जवाहरलाल नेहरू से भी बड़ा ब्लंडर कर रहे हैं। कल प्रतिभा को लेकर टीवी पर इंटरव्यू कर रहा था। वह आँसू बहा रहा है और बरखा उसका इंटरव्यू कर रही है। रविशंकर प्रसाद को पता ही नहीं कि बीजेपी में क्या हो रहा है।
पांडे : मुझे तो किसी ने बताया कि संघ के 54 लोग आईएसआई के हाथों बिक चुके हैं।
सिंह : इंद्रेश जैसे लोगों से कोई उम्मीद नहीं की जा सकती है जो पहले ही शून्य हो चुके हैं। और जब तक ऐसे लोग ज़िंदा हैं, कोई आशा नहीं है। आज के हालात में पारंपरिक तरीक़ों से काम नहीं चलने वाला। इंद्रेश से मदद माँगने का कोई मतलब नहीं है। उसने बी. एल. शर्मा और गोविंदाचार्य को हटा दिया। इंद्रेश ने धनबाद में मुसलमानों की चापलूसी करता हुआ बयान दिया और जो सब लोग (हमारे लिए) मुश्किलें पैदा कर रहे हैं, वे सबके-सब इंद्रेश के अपने लोग हैं। संघ को भी उसकी दग़ाबाज़ी की क़ीमत चुकानी पड़ेगी। उसको कहना चाहिए कि इंद्रेश की वैचारिक दग़ाबाज़ी के कारण उसको भी भुगतना पड़ा है।
पांडे : यह भावना हर जगह उठ रही है कि संघ को मुक़ाबला करने के लिए कोई नया संगठन बनना चाहिए। राम माधव और इंद्रेश जैसे लोगों को संघ ही मज़बूत कर रहा है।
पिछले दो धमाके हमने ही किए थे : पुरोहित
पुरोहित : मेरे पास हर राज्य में रह रहे मुसलमानों की जनसंख्या है। लेकिन मेरे पास केवल तीन AK-47 रायफ़लें हैं। हम और ज़्यादा नहीं ख़रीद पाए क्योंकि हमारे पास पैसा नहीं था।
उपाध्याय : कॉक्स बाज़ार में AK रायफ़लें मिल जाती हैं लेकिन बेचने वाले अधिकतर जिहादी हैं।
पुरोहित : AK रायफ़लें बहुत महँगी आती हैं।
पांडे : अरे, आपको जितनी चाहिए, AK रायफ़लें ख़रीदो।
पुरोहित : इस्राइली हमसे हमारे इन्वॉल्वमेंट का सबूत माँगते हैं। उनको क्या प्रूफ़ चाहिए हमने इससे पहले दो ऑपरेशन किए हैं और दोनों सफल रहे हैं। मैंने ही उनके लिए सामान उपलब्ध करवाया था।
उपाध्याय : हैदराबाद में जो बम ब्लास्ट किया था, वो अपना ही आदमी था। वो कर्नल आपको बताएँगे, किसने किया था।
पांडे : अगर इस संगठन पर बैन लग गया तो
श्याम आप्टे : हम इसको अंतरराष्ट्रीय आयाम देंगे… और एक गुप्त नाम। हमें लड़ना होगा। देखिए, जो हिंदू नहीं है, वह हमारा दुश्मन है। जब तक वह ज़िंदा रहेगा, तब तक हमारे ऊपर ख़तरा है।
हथियारों के लिए राजा ज्ञानेंद्र से संपर्क
ऊपर की बातचीत में पुरोहित के हवाले से इस्राइलियों और नेपाल नरेश ज्ञानेंद्र का ज़िक्र आया है। ज्ञानेंद्र से उनकी क्या बातचीत हुई थी, उसके बारे में एक और बातचीत में वह बताते हैं-
मैंने इस्राइल से संपर्क किया है। हमारा एक कप्तान इस्राइल होकर भी आया है… उनकी तरफ़ से बहुत सकारात्मक प्रतिक्रिया है।
हमने सबकुछ लिखकर दिया है… उन्होंने हमें छह महीने के लिए देखने और इंतज़ार करने को कहा है।
हमने चार चीज़ें माँगी थीं… साजो-सामान की लगातार सप्लाई और ट्रेनिंग। दूसरे, तेल अवीव में भगवा झंडे के साथ एक ऑफ़िस खोलने की इजाज़त।
नंबर तीन… राजनीतिक शरण। नंबर चार… संयुक्त राष्ट्र संघ में हमारे लक्ष्य का समर्थन कि हिंदू राष्ट्र का जन्म हो गया है।
उन्होंने दो बातें मान ली हैं। (लेकिन) वे तेल अवीव में हमारा राष्ट्रीय ध्वज फहराने नहीं देंगे क्योंकि इससे भारत के साथ उनके रिश्ते ख़राब हो सकते हैं।
मैं आपको यह भी बताना चाहूँगा कि (नेपाल के) राजा ज्ञानेंद्र के साथ हमारी बैठकें हो चुकी हैं… 24 जून 2006 को और 2007 में… राजा ने हमारे प्रस्ताव मान लिए हैं… मेरी तरफ़ से 20 लोग हर छह महीने ऑफ़िसर की ट्रेनिंग लेंगे… हर साल 40 लोग… इस तरह हमारे पास 400 सैनिक हो जाएँगे। चूँकि आप (नेपाल) स्वतंत्र राष्ट्र हो इसलिए चेकोस्लोवाकिया से AK रायफ़लें मँगाओ, हम पैसा देंगे और गोला-बारूद भी। राजा ने इसे स्वीकार कर लिया है।
इन वार्तालापों से जिनके कुछ ही हिस्से मैंने यहाँ पेश किए हैं, आप समझ सकते हैं कि अभिनव भारत के सदस्यों ने किस मक़सद से यह संस्था बनाई थी और वहाँ क्या-क्या चर्चाएँ हो रही थीं। आपने यह भी देखा कि वे संघ के नेताओं की हत्या तक करना चाहते थे।
पुरोहित बार-बार और हर जगह दावा कर रहे हैं कि वे सेना के जासूस के तौर पर ‘अभिनव भारत’ में घुसे थे। एक बार के लिए मान लेते हैं कि वे सच कह रहे हैं तो क्या पुरोहित ने एक बार भी अपने सीनियरों को बताया कि इंद्रेश और भागवत की हत्या की योजना बन रही है कि वहाँ लोगों को सैनिक ट्रेनिंग देने के लिए इस्राइल और नेपाल नरेश से बात हो रही है कि इस टीम का एक सदस्य दावा कर रहा है कि उसने 25 मुसलमानों को ज़िंदा जलाया नहीं बताया। बताया होता तो उनके वकीलों ने अदालतों और सेना की कोर्ट ऑव इन्क्वायरी (सीओआई) में उसका हवाला दिया होता। एक बार के लिए सोचिए, यदि देश के बड़े आरएसएस नेताओं की हत्या की योजना की जानकारी भी वे आर्मी को नहीं देते तो पुरोहित की मंशा क्या थी, उनके इरादे क्या थे!
पुरोहित को 5 नवंबर 2008 में गिरफ़्तार किया गया और 9 साल तक वे जेल में रहे। किसी भी अदालत ने उनको ज़मानत नहीं दी तो वह केवल इसलिए कि ये रिकॉर्डिंग बता रही थी कि 'अभिनव भारत’ में पुरोहित का रोल क्या था। आइए, देखें कि बॉम्बे हाई कोर्ट ने 25 अप्रैल 2017 को पुरोहित को ज़मानत देने से इनकार करते हुए क्या कहा था।
धमाके के बाद पुरोहित का व्यवहार संदिग्ध : कोर्ट
कोर्ट ने कहा था कि धमाके के बाद पुरोहित का जो व्यवहार था, उससे उनके साज़िश में शामिल होने का एक महत्वपूर्ण संकेत मिलता है। कोर्ट ने 23 अक्टूबर 2008 को प्रज्ञा ठाकुर की गिरफ़्तारी के बाद पुरोहित और रमेश उपाध्याय में हुई बातचीत का हवाला दिया जिसमें पुरोहित ने कहा था कि भाँडा फूट चुका है और पुलिस संभवतः उनपर भी नज़र रख रही है।
कोर्ट ने कहा, ‘इसीलिए इन टेलिफ़ोन वार्ताओं की अवहेलना नहीं की जा सकती जो अपीलकर्ता के इस दावे के प्रतिकूल हैं कि वह एक गोपनीय सैनिक ऑपरेशन के तहत काम कर रहा था और अपनी ड्यूटी निभा रहा था। यदि ऐसा था तो उसको तुरंत सेना में अपने वरिष्ठ अधिकारियों से संपर्क करना चाहिए था या कम-से-कम उस पुलिस को अपनी भूमिका के बारे में बताना चाहिए था जो मामले की जाँच कर रही थी। यदि ऐसा होता तो उसे अपनी गिरफ़्तारी का भय क्यों सता रहा था’
हाई कोर्ट के जज जिस टेलिफ़ोन वार्ता के आधार पर पुरोहित से सवाल पूछ रहे थे कि अगर वे निर्दोष हैं तो उनको डर किस बात का लग रहा था, उसके बारे में हम पार्ट-2 में थोड़ी-बहुत बात कर चुके हैं। अगली किस्त में हम पुरोहित और रिटायर्ड मेजर के बीच हुई बाक़ी बातचीत का लेखाजोखा पढ़ेंगे जिससे आपको भी पता चल जाएगा कि पुरोहित प्रज्ञा के पकड़े जाने से कितने परेशान थे और बचने के लिए क्या-क्या उपाय कर रहे थे।