अफ़ग़ानिस्तान के काबुल में जिस आत्मघाती हमलावर के हमले में 13 अमेरिकी समेत 200 से ज़्यादा लोग मारे गए थे उसे 5 साल पहले भारत से ही प्रत्यर्पित किया गया था। इसलामिक स्टेट से जुड़ी एक पत्रिका ने दावा किया है। हालाँकि इस रिपोर्ट की अभी तक भारत में सरकारी स्तर के किसी अधिकारी ने पुष्टि नहीं की है।
तालिबान के कब्जे के बाद अफ़ग़ानिस्तान से अमेरिकी फौजों की वापसी व दूसरे विदेशी लोगों के निकाले जाने के बीच ही 26 अगस्त को काबुल हवाई अड्डे के बाहर बम धमाके हुए थे। उसमें 200 से ज़्यादा लोगों के मारे जाने की ख़बर आई थी। आईएसआईएस यानी इसलामिक स्टेट से जुड़े आईएसआईएस-के ने हमले की ज़िम्मेदारी ली थी और कहा था कि उसके एक आत्मघाती हमलावर ने 'अमेरिकी सेना के अनुवादकों और सहयोगियों' को निशाना बनाया। अमेरिका फौजें वापसी की तय तारीख़ 31 दिसंबर से एक दिन पहले ही वापस निकल गई थीं। तब हज़ारों की संख्या में काबुल एयरपोर्ट पर लोगों की भीड़ जमा थी जो अफ़ग़ानिस्तान से किसी तरह बाहर जाना चाहती थी। इसी बीच ये धमाके हो गये थे।
इसलामिक स्टेट ख़ुरासान (आईएस-के) की योजना पहले अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान, उसके बाद मध्य एशिया के देशों ताज़िकिस्तान, कज़ाख़स्तान, किर्गीस्तान, उज़बेकिस्तान व तुर्कमेनिस्तान में इसलामिक ख़िलाफ़त कायम करने की है। मध्य एशिया के बाद इसलामिक स्टेट खुरासान के निशाने पर भारत जैसा विशाल देश है, जहाँ अभी भी बहुलतावाद और धर्मनिरपेक्षता बरक़रार है।
क़रीब एक महीने पहले काबुल एयरपोर्ट पर उस हमले को लेकर इसलामिक स्टेट की समर्थक पत्रिका सावत-अल-हिंद (वॉयस ऑफ़ इंडिया) ने एक रिपोर्ट दी है। इसने हमलावर की पहचान 'अब्दुर रहमान अल-लोगरी' के रूप में की है। पत्रिका ने कहा है कि यही वह था जिसने काबुल एयरपोर्ट पर हमला किया जिसमें 13 अमेरिकी सैनिकों समेत 250 लोग मारे गए।
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, पत्रिका ने लिखा है, 'भाई को 5 साल पहले भारत में गिरफ्तार किया गया था, जब वह कश्मीर का बदला लेने के लिए गाय की पूजा करने वाले हिंदुओं पर एक इस्तिशाधि (शहादत) ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए दिल्ली गया था।'
रिपोर्ट के अनुसार, 2017 में भारतीय खुफिया एजेंसियों ने इसलामिक स्टेट के लिए काम करने के संदेह में दिल्ली के लाजपत नगर में रहने वाले एक अफ़ग़ान नागरिक को गिरफ्तार किया था और बाद में प्रत्यर्पित कर दिया था और अमेरिकी सेना ने उसे अफ़ग़ानिस्तान में हिरासत में ले लिया था।
सावत-अल-हिंद ने कहा, '...भाई कारावास से गुजरा था और उसे अफ़ग़ानिस्तान भेज दिया गया था... अल्लाह से किए अपने वादे पर खरा उतरते हुए भाई घर नहीं गया, बल्कि उसने अपना ऑपरेशन किया...।'
द इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से ख़बर दी है कि इसलामिक स्टेट से जुड़ी पत्रिका की इस रिपोर्ट की भारत की एजेंसियों ने न तो पुष्टि की है और न ही इसको खारिज किया है। सूत्रों के अनुसार, 2017 में भारत द्वारा प्रत्यर्पित किए गए अफ़ग़ान नागरिक से पूछताछ के बाद अफ़ग़ानिस्तान में अमेरिकी बलों द्वारा कई आईएस विरोधी अभियान चलाए गए थे।
द इंडियन एक्सप्रेस ने जुलाई 2018 में रिपोर्ट दी थी कि वह इस क्षेत्र में हमलों को अंजाम देने के लिए पाकिस्तान में प्रशिक्षण के बाद भेजे गए 12 आईएस के गुर्गों के समूह का हिस्सा था। अफ़ग़ानिस्तान, दुबई और नई दिल्ली में 18 महीने तक निगरानी अभियान के बाद उनके बारे में जानकारी मिली थी। वह आतंकी दिल्ली के लाजपत नगर में रह रहा था।