चीन को भारत की अमेरिका से दोस्ती पसंद नहीं - लेफ़्टीनेंट जनरल हुड्डा 

07:49 am May 28, 2020 | स्मिता शर्मा - सत्य हिन्दी

भारत और चीन के बीच तनाव और तल्ख़ी न तो स्थानीय सीमा विवाद की वजह से बढ़ी है, न ही भारत में सीमा पर हो रहे ढाँचागत सुविधाओं के कारण। लेफ़्टीनेंट जनरल (रिटायर्ड) दीपेंदर सिंह हुडा ने इसे रेखांकित करते हुए ज़ोर देकर कहा है कि यह भौगोलिक रणनीतिक कारणों से हुआ है, जिसके पीछे चीन की दूरगामी रणनीति और दृष्टि है।

हुडा भारतीय सेना में नॉदर्न कमान्ड के प्रमुख थे। पाकिस्तान में भारतीय सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक उन्हीं के नेतृत्व में किया था।

भारत पर दबाव की रणनीति

हुडा ने सत्य हिन्दी के लिए वरिष्ठ पत्रकार स्मिता शर्मा से बात करते हुए कहा कि चीन का तात्कालिक मक़सद भारत पर दबाव डालना है। वह भारत को यह संदेश देना चाहता है कि अमेरिका के साथ चीन के ख़राब रिश्ते और भारत की बढ़ती नज़दीकियाँ उसे नापसंद है।

हुडा ने इसी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि चीन भारत ही नहीं, पूरी दुनिया को संकेत देना चाहता है कि कोरोना संकट की वजह से वह कम़जोर नहीं हुआ है। वह पहले की तरह ही मजबूत है।

इसके साथ ही बीजिंग ताईवान और हांगकांग को तो संकेत दे ही रहा है, वह अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया समेत पूरी दुनिया को यह संकेत देना चाहता है कि उसकी ताक़त कम नहीं हुई है।

युद्ध की तैयारी!

उन्होंने राष्ट्रपति शी जिनपिंग की ओर से पीपल्स लिबरेशन आर्मी को युद्ध की तैयारी करते रहने को इसी संदर्भ में देखा है। उन्होंने कहा कि इससे साफ़ है कि चीन का इशारा सिर्फ भारत या अमेरिका को नहीं है, पूरी दुनिया को है। चीन यह कहना चाहता है कि उसके पास एक मजबूत सेना है।

उत्तरी कमान के इस पूर्व प्रमुख ने यह भी कहा कि चीन चाहे भारत पर दबाव बनाने की जो कोशिशें करे, वह कामयाब नहीं होगा। उन्होंने कहा कि इसके पहले भी चीन ने सैन्य ताक़त के बल पर भारत पर दबाव डालन की कोशिश की है, पर भारत उसे रोकने में कामयाब रहा है। इसके पहले डोकलाम, और उसके भी पहले कई बार चीन ने सैनिक ताक़तों के बल पर भारत पर दबाव बनाने की कोशिश की, पर वे नहीं कर पाए।

सुनियोजित घुसपैठ

डी. एस. हुडा ने कहा कि उत्तराखंड और पूर्वी लद्दाख में अलग-अलग जगहों पर चीनी सेना वास्तविक नियंत्रण रेखा का उल्लंघन कर भारतीय क्षेत्र में घुस आई, वह अलग-थलग घटना नहीं है।

डी. एस. हुडा ने ज़ोर देकर कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पार करने की घटनाएं बहुत ही सुनियोजित तरीके से और सुगठित रूप में हो रही हैं। यह सिर्फ स्थानीय कमांडरों का मामला नहीं है। 

भारत को चीनी संदेश

यह एक निश्चित पैटर्न है, जो यह साफ संकेत देता है कि चीनी सैनिकों को ऊपर से यानी थिएटर कमांड के प्रमुख से या पीएलए मुख्यालय से आदेश मिला होगा। इससे यह ज़ाहिर है कि चीन भारत को एक निश्चित संदेश देना चाहता है।

हुडा ने कहा कि गलवान घाटी में किसी तरह का कोई विवाद नहीं है, इसलिए यहां विवाद है तो साफ़ है कि वह जानबूझ कर खड़ा किया गया है।

वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर लेफ़्टीनेंट जनरल हुडा ने कहा कि लद्दाख स्थित पेगांग झील के उत्तरी इलाक़े में नियंत्रण रेखा को लेकर मतभेद हैं। लेकिन वहां भी चीनी सैनिक गश्त करते हुए आते थे और लौट जाते थे। विवादास्पद इलाक़े में कोई देश कभी स्थायी संरचना नहीं बनाता है। इसलिए पेगांग के पास यदि किसी स्थायी संरचना की बात उठती है तो वह निश्चित रूप से चिंता की बात है।

लेकिन हुडा ने इससे असहमति जताई कि पीएलए के 5 से 10 हज़ार सैनिक इन इलाक़ों में हैं। उन्होंने कहा कि उस दुर्गम इलाक़े में इतनी बड़ी तादाद में सैनिकों को भेजना नामुमकिन है।