आंध्र प्रदेश में बुधवार को टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू बतौर सीएम शपथ ले लेंगे। प्रधानमंत्री मोदी भी वहां होंगे। ऐसे में स्पीकर को लेकर चर्चा हो सकती है। कैबिनेट में टीडीपी-जेडीयू कोटे के मंत्रियों को लेकर कोई बयानबाजी नहीं हुई। इससे मोदी खेमा राहत महसूस कर रहा है। इसलिए मोदी सरकार का अगला टारगेट स्पीकर पद ही है।
लेकिन सिर्फ मोदी खेमे की नजर ही स्पीकर पद पर नहीं है। टीडीपी और जेडीयू ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं, लेकिन जो खबरें उन क्षेत्रों से आ रही हैं, उनमें कहा गया है कि दोनों की नजर इस पोस्ट पर है। मोदी का तीसरा कार्यकाल टीडीपी और जेडीयू पर निर्भर है। नायडू आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने वाले हैं, जबकि कुमार बिहार के मुख्यमंत्री हैं। फिलहाल मोदी ने टीडीपी और जेडीयू कोटे से दो-दो मंत्री केंद्र में बना दिए हैं। जबकि महाराष्ट्र के दो सहयोगी दलों शिवसेना शिंदे गुट और एनसीपी अजीत पवार गुट ने आपत्ति जता दी है। मोदी खेमे की पूरी कोशिश है कि लोकसभा स्पीकर को लेकर कोई तमाशा न हो।
गठबंधन सरकार में हर दल संतुलन बनाए रखने के लिए लोकसभा स्पीकर या विधानसभा स्पीकर पर अपना ही आदमी चाहता है। महाराष्ट्र में शिवसेना (उद्धव ठाकरे) की सरकार जब गिराई गई और पार्टी को विभाजित कराया गया तो उसमें विधानसभा स्पीकर ने ही मुख्य भूमिका निभाई थी। चूंकि मोदी सरकार में सिर्फ भाजपा ही नहीं बल्कि अन्य दल भी स्टेकहोल्डर हैं, इसलिए ऐसी स्थिति हो सकती है जहां सरकार को सदन के पटल पर संकट का सामना करना पड़े। ऐसे में लोकसभा स्पीकर की भूमिका खास हो जाती है। कानून कहता है कि अध्यक्ष के पास दलबदल के मामलों में सदस्यों को अयोग्य घोषित करने की पावर है। इसी तरह दोनों दल किसी भी स्थिति के खिलाफ ढाल के रूप में अध्यक्ष का पद चाहते हैं, जहां उनके सांसदों को पाला बदलने पर अयोग्यता का सामना करना पड़ सकता है।
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टीडीपी और जेडीयू को सबसे बड़ा डर यह भी है कि अगर लोकसभा स्पीकर भाजपा से हुआ तो कभी भी उनकी पार्टी के सांसद को तोड़कर भाजपा अपने यहां मिला सकती है। अगर लोकसभा स्पीकर टीडीपी या जेडीयू से हुआ तो भाजपा इन पार्टियों को तोड़ नहीं पाएगी।
विपक्षी इंडिया गठबंधन जब इस पद को पाने के लिए अपनी तैयारी कर रहा है तो इंडिया की सदस्य आम आदमी पार्टी ने अपना सुझाव पेश कर डाला है। आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने मांग की है कि लोकसभा अध्यक्ष का चयन टीडीपी या किसी अन्य एनडीए गठबंधन सहयोगी से किया जाए। संजय सिंह ने कहा कि “एनडीए सरकार में टीडीपी का एक स्पीकर होना चाहिए। भाजपा का स्पीकर संसदीय परंपरा के लिए घातक होगा। मोदी 2.0 में 150 सांसदों को सदन से निलंबित कर दिया गया था। ये लोग सत्ता में बने रहने के लिए छोटी पार्टियों को तोड़ देंगे।
दौड़ में कौन हैः अगर यह पद भाजपा के खाते में आया तो ओम बिड़ला ही सबसे बड़े दावेदार बनकर उभर रहे हैं। बिड़ला राजस्थान के कोटा से भाजपा उम्मीदवार के रूप में लोकसभा चुनाव 2024 जीतकर आए हैं। स्पीकर पद के लिए जिन अन्य नामों की चर्चा चल रही है उनमें दग्गुबाती पुरंदेश्वरी का नाम भी शामिल है। टीडीपी संस्थापक एनटी रामा राव की बेटी, दग्गुबाती पुरंदेश्वरी आंध्र प्रदेश की भाजपा नेता हैं और राज्य की पार्टी अध्यक्ष भी हैं। उन्हें टीडीपी और इंडिया गठबंधन का समर्थन भी मिल सकता है।
पुरंदेश्वरी ने 2009 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय में राज्य मंत्री और 2012 में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय में राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया है। पुरंदेश्वरी ने हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव में आंध्र प्रदेश के राजमुंदरी से 2.3 लाख से अधिक वोटों से जीत हासिल की। शायद इसीलिए उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया है क्योंकि वह लोकसभा अध्यक्ष बन सकती हैं।
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पुरंदेश्वरी के अध्यक्ष चुने जाने से टीडीपी प्रमुख नायडू नाराज भी नहीं होंगे। क्योंकि चंद्रबाबू नायडू की पत्नी नारा भुवनेश्वरी और पुरंदेश्वरी सगी बहनें हैं।
पिछली 14वीं, 15वीं, 16वीं और 17वीं लोकसभा में अध्यक्ष पद के लिए सभी नामांकित सोमनाथ चटर्जी, मीरा कुमार, सुमित्रा महाजन और ओम बिड़ला सत्तारूढ़ गठबंधन या पार्टी से थे, और बिना किसी चुनाव के सदन द्वारा सर्वसम्मति से चुने गए थे। भाजपा इस बार वही कोशिश कर सकती है।
हालांकि सूत्रों का कहना है कि इंडिया गठबंधन अपना प्रत्याशी उतार सकता है। ऐसे में तब चुनाव होगा। इंडिया के पास नई 18वीं लोकसभा में 232 सदस्य हैं, जबकि एनडीए के पास 293 सांसद हैं। इन 293 सदस्यों में 240 भाजपा के पास हैं। क्या ऐसा संभव नहीं है कि जेडीयू या टीडीपी इंडिया गठबंधन की मदद से अपने स्पीकर प्रत्याशी को चुपचाप या खुलकर खड़ा कर दें। राजनीति में कुछ भी संभव है। इसके लिए बस चंद दिनों का इंतजार करना होगा।