किसानों के आंदोलन का नेतृत्व करने के लिए बनाए गए संयुक्त किसान मोर्चा ने आंदोलन को तेज़ करने के लिए कई क़दमों का एलान किया है। मोर्चा ने दुनिया भर में रह रहे भारतीयों से अपील की है कि वे कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ 26 दिसंबर को जिस देश में रह रहे हैं, वहां के दूतावासों के बाहर प्रदर्शन करें। मोर्चा ने यह भी कहा है कि 25 से 27 दिसंबर तक हरियाणा के सभी टोल प्लाज़ा को फ्री कर दिया जाएगा।
संयुक्त किसान मोर्चा में देश भर के 400 से ज़्यादा किसान संगठन शामिल हैं। किसान नेता इससे पहले भूख हड़ताल से लेकर भारत बंद का कार्यक्रम कर चुके हैं।
सिंघु बॉर्डर पर रविवार की शाम को हुई प्रेस कॉन्फ्रेन्स में किसान नेताओं ने कई बातों को सामने रखा। किसान नेताओं ने कहा कि 21 दिसंबर को दिन भर भूख हड़ताल के अलावा 27 दिसंबर को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मन की बात करेंगे, उस दिन देश भर के लोगों से थालियां बजाने की अपील की गई है।
मोर्चा के नेताओं ने 23 दिसंबर को पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के जन्मदिन यानी किसान दिवस के मौक़े पर घरों का चूल्हा न जलाने की अपील भी लोगों से की गई है। 25 और 26 दिसंबर को किसान बीजेपी और उनके सहयोगी दलों के नेताओं के घरों में जाकर इन कृषि क़ानूनों को वापस करने के लिए दबाव बनाने को लेकर ज्ञापन सौंपेंगे।
किसान नेताओं ने कहा है कि अगर बीजेपी के सहयोगी दलों के नेता इस बात के लिए राजी नहीं होते हैं कि वे सरकार पर इन क़ानूनों को वापस लेने का दबाव बनाएंगे तो उनका बहिष्कार किया जाएगा। निश्चित रूप से किसान आंदोलन से प्रभावित राज्य हरियाणा में जेजेपी पर इसका सबसे ज़्यादा असर पड़ेगा।
हरियाणा में बीजेपी पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह के इन क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसानों के समर्थन में धरने पर बैठने के कारण पहले से ही परेशान है। हरियाणा बीजेपी के कई सांसद इस बात को कह चुके हैं कि किसानों के इस मसले का हल निकाला जाना चाहिए। इसके अलावा जेजेपी भी इस मुद्दे पर किसानों के हमलों से घिरी हुई है।
विदेशों से मिल रहा समर्थन
किसानों का यह आंदोलन दुनिया भर में फैले पंजाबियों और दूसरे भारतीय मूल के लोगों तक पहुंच गया है। किसानों के समर्थन में अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, लंदन सहित दुनिया के कई देशों में किसान रैलियां निकाली जा रही हैं। इनमें सिख समुदाय के लोग ट्रैक्टर-ट्रालियों के साथ हिस्सा ले रहे हैं। महंगी गाड़ियों के साथ बाइकों की रैली भी किसानों के समर्थन में निकाली जा रही है। मोदी सरकार इससे परेशान है क्योंकि किसानों का ये मुद्दा अब अंतरराष्ट्रीय हो चुका है।
विदेशों में किसानों के समर्थन में हो रही इन रैलियों के वीडियो सोशल मीडिया पर खासे वायरल हो रहे हैं। भारत में लोग जमकर इन्हें शेयर कर रहे हैं। दूसरी ओर, किसान आंदोलन का बढ़ता दबाव सरकार के आला मंत्रियों की रात की नींद ग़ायब कर चुका है।
कुछ दिन पहले अमेरिका के कैलिफ़ोर्निया में सैकड़ों गाड़ियों का काफिला किसान एकता रैली के नाम पर सड़कों पर निकला। इसके अलावा ओकलैंड, ब्रिटेन, बर्मिंघम में भी किसानों के समर्थन में प्रदर्शन हुए और अभी भी हो रहे हैं।
किसान आंदोलन पर देखिए वीडियो-
कई बॉर्डर्स पर धरना जारी
दूसरी ओर, टिकरी-सिंघु से लेकर ग़ाजीपुर बॉर्डर तक बड़ी संख्या में किसान इकट्ठा हो चुके हैं, जिन्हें हटाना सरकार के लिए आसान नहीं होगा। इन जगहों पर चल रहे धरनों में पंजाब-हरियाणा और बाक़ी राज्यों से आने वाले किसानों की संख्या बढ़ती जा रही है। इसके अलावा किसान नेता योगेंद्र यादव बीते कई दिनों से रेवाड़ी बॉर्डर पर हरियाणा-राजस्थान के किसानों के साथ डेरा डाले हुए हैं।
सरकार ने दिया न्यौता
इस सबके बीच, केंद्र सरकार ने किसानों को एक बार फिर बातचीत का न्यौता दिया है। सरकार ने किसान नेताओं से कहा है कि वे अपनी सुविधा के मुताबिक़ उस तारीख़ का चयन कर लें, जिस दिन बातचीत की जा सके।
कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल ने क्रांतिकारी किसान यूनियन पंजाब को लिखे पत्र में अपील की है कि आगे की बातचीत के लिए तारीख़ तय की जाए जिससे इस मसले का हल निकल सके। इस पत्र को 39 अन्य किसान नेताओं को भी भेजा गया है।