कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ मोदी सरकार को अपनी एकजुटता का अहसास करा चुके हरियाणा और पंजाब के किसान शुक्रवार रात भर दिल्ली-हरियाणा के सिंघु और टीकरी बॉर्डर पर जमे रहे। बताया गया है कि आज उत्तर प्रदेश से भी कई किसान संगठन दिल्ली बॉर्डर पहुंचेंगे और पंजाब-हरियाणा के किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होंगे। किसानों के आंदोलन से यह बात साफ हो गई कि सरकार और पुलिस लाख कोशिशों के बाद भी किसानों को दिल्ली आने से नहीं रोक सके।
हरियाणा को खोलने पड़े बॉर्डर्स
किसानों के ख़िलाफ़ आंसू गैस से लेकर पानी की बौछार तक इस्तेमाल कर चुकी दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार दोपहर को उन्हें बुराड़ी के निरंकारी ग्राउंड आने की इजाजत दी थी। लेकिन किसानों ने वहां जाने से इनकार कर दिया और बॉर्डर पर ही डेरा डाल दिया। पंजाब-हरियाणा के बॉर्डर पर किसानों को रोकने के लिए कई तरह के इंतजाम करने वाली खट्टर सरकार को शुक्रवार शाम को
अपने सारे बॉर्डर्स को खोलना पड़ा।
ऑल इंडिया किसान संघर्ष को-ऑर्डिनेशन कमेटी, राष्ट्रीय किसान महासंघ, भारतीय किसान यूनियन सहित कई संगठनों ने इस 'दिल्ली चलो' मार्च का आह्वान किया था। अब इन्होंने मिलकर संयुक्त किसान मोर्चा बनाया है और इसी की अगुवाई में यह आंदोलन आगे बढ़ रहा है।
सुनिए, किसान आंदोलन पर चर्चा-
‘क़ानून वापस ले सरकार’
किसानों के आंदोलन से पस्त मरकज़ी सरकार के कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि किसानों को 3 दिसंबर को बातचीत के लिए बुलाया गया है। उन्होंने किसानों से अपील की है कि वे कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए अपना आंदोलन ख़त्म कर दें। लेकिन किसानों का साफ कहना है कि मोदी सरकार इन कृषि क़ानूनों को वापस ले, तभी आंदोलन ख़त्म होगा। वरना वे, महीनों तक दिल्ली में जमे रहेंगे।
आंदोलित किसानों का कहना है कि सरकार एमएसपी को लेकर अपना स्टैंड साफ क्यों नहीं करती। अगर सरकार उनसे बातचीत करना चाहती है, तो वे इसके लिए तैयार हैं लेकिन उसे हर हाल में इन क़ानूनों को वापस लेना ही होगा।
राहुल का हमला
इसी क्रम में शनिवार को मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड से भी किसानों के दिल्ली पहुंचने की ख़बर है। किसानों के आंदोलन को विपक्षी दलों का भी साथ मिला है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा है कि किसान सच्चाई की लड़ाई लड़ रहे हैं और सच और अहंकार की लड़ाई में हमेशा अहंकार की हार होती है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार को इन कृषि क़ानूनों को वापस लेना ही होगा।
पश्चिमी यूपी में आंदोलन
हरियाणा और पंजाब के किसानों को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान संगठनों का भी साथ मिला है। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) ने शुक्रवार को मुज़फ्फरनगर, मेरठ, बागपत में हाईवे को जाम कर दिया था और दिल्ली-देहरादून हाइवे पर भी प्रदर्शन किया था।
भाकियू के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि केंद्र सरकार हरियाणा, पंजाब के किसानों के साथ अत्याचार कर रही है और इसके ख़िलाफ़ वे भी आंदोलन कर रहे हैं। उन्होंने मांग की है कि सरकार एमएसपी को शामिल करे और इसे लिखकर दे। टिकैत ने कहा कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड में किसान सड़कों पर उतरे। इससे पहले किसानों ने बुधवार को मुज़फ्फरनगर में पंचायत भी की थी।