प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1975 में लगाए गए आपातकाल को याद किया तो कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोमवार को केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए सवाल उठाया कि मोदी लगातार आपातकाल का जिक्र कर कब तक शासन करने का इरादा रखते हैं। आप इसे 100 बार दोहराएंगे। आपातकाल घोषित किए बिना आप इस तरह से कार्य कर रहे हैं। इसे सामने लाकर आप कब तक शासन करने की योजना बना रहे हैं?
खड़गे ने कहा कि देश को आशा थी कि मोदी जी महत्वपूर्ण मुद्दों पर कुछ बोलेंगे। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी जी ने अपने घिसेपिटे शब्द आज ज़रुरत से ज़्यादा बोले। इसे कहते हैं, रस्सी जल गई, बल नहीं गया। खड़गे ने कहा कि NEET व अन्य भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक के बारे में युवाओं के प्रति कुछ सहानुभूति दिखाएंगे, पर उन्होंने अपनी सरकार की धाँधली व भ्रष्टाचार के बारे में कोई ज़िम्मेदारी नहीं ली। हाल ही में हुई पश्चिम बंगाल की रेल दुर्घटना के बारे में भी मोदी जी मौन साधे रहे।
खड़गे ने पूर्वोत्तर राज्यों का जिक्र करते हुए कहा कि मणिपुर पिछले 13 महीनों से हिंसा की चपेट में है, पर मोदी जी न वहाँ गए और ना ही उन्होंने आज (24 जून) के अपने भाषण में ताज़ा हिंसा के बारे में कोई चिंता व्यक्त की है। असम व पूर्वोत्तर में बाढ़ हो, कमरतोड़ महँगाई हो, रूपये का गिरना हो, एग्जिट पोल-स्टॉक मार्केट घोटाला हो मोदी जी ने इन पर चुप्पी साध रखी है। अगली जनगणना को लंबे समय से मोदी सरकार ने लंबित रखा है, जातिगत जनगणना पर भी मोदी जी बिलकुल चुप हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने मोदी से कहा- मोदी जी, आप विपक्ष को नसीहत दे रहे हैं। 50 साल पुरानी इमरजेंसी की याद दिला रहे हैं, पिछले 10 साल की अघोषित इमरजेंसी को भूल गए जिसका जनता ने अंत कर दिया। लोगों ने मोदी जी के ख़िलाफ़ जनमत दिया है। इसके बावजूद अगर वो प्रधानमंत्री बन गए हैं तो उन्हें काम करना चाहिए।
खड़गे ने कहा- "जनता को काम चाहिए नारे नहीं" - ये ख़ुद याद रखें। विपक्ष व इंडिया जनबंधन संसद में आम राय चाहता है, हम जनता की आवाज़ सदन, सड़क और सभी के समक्ष उठाते रहेंगे। संविधान की रक्षा हम करेंगे !
प्रधानमंत्री ने क्या कहा था
सदन के बाहर प्रधानमंत्री मोदी ने 1975 में आपातकाल के समय को याद करते हुए, कहा, “कल (मंगलवार) 25 जून है। 25 जून को भारत के लोकतंत्र पर लगे उस धब्बे के 50 साल पूरे हो रहे हैं। भारत की नई पीढ़ी कभी नहीं भूलेगी कि भारत के संविधान को पूरी तरह से खारिज कर दिया गया था, संविधान के हर हिस्से को फाड़ दिया गया था, देश को जेल में बदल दिया गया था, लोकतंत्र को पूरी तरह से कुचल दिया गया था...।हालांकि विपक्षी इंडिया गठबंधन के सांसदों ने भी संसद परिसर में संविधान की प्रतियां लेकर प्रदर्शन किया और कहा कि हम संविधान बचाएंगे। मोदी ने उसे नजरन्दाज करते हुए कहा कि हम लोग संविधान की रक्षा करते हुए संकल्प लेंगे कि भारत में दोबारा कोई ऐसा काम करने की हिम्मत नहीं करेगा जो 50 साल पहले किया गया था। हम जीवंत लोकतंत्र का संकल्प लेंगे। हम भारत के संविधान के निर्देशों के अनुरूप आम जनता के सपनों को पूरा करने का संकल्प लेंगे।” सत्ता पक्ष और विपक्ष ऐसे समय में संविधान की दुहाई दे रहे हैं, जब देश में संवैधानिक संस्थाएं कुचली जा रही हैं। अल्पसंख्यकों, आदिवासियों से उनके अधिकार छीने जा रहे हैं। चुनाव के बाद देश में लिंचिंग की घटनाएं बढ़ गई हैं।