जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने की सिफ़ारिश किए जाने का बीजेपी के धुर विरोधी रहे कई दलों ने भी समर्थन किया है। इसमें अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी, बीएसपी और एसपी जैसी पार्टियाँ प्रमुख हैं। इसके अलावा एनडीए के बाहर के दल, बीजेडी, वाईएसआरसीपी, एआईएडीएमके ने भी सरकार का समर्थन किया है। एनडीए की सहयोगी शिवसेना ने भी समर्थन किया है। हालाँकि एनडीए का सहयोगी दल जनता दल यूनाइटेड ने सरकार के इस फ़ैसले का ज़बर्दस्त विरोध किया है। पार्टी ने साफ़ कहा कि वह इस मुद्दे पर बीजेपी से अलग रुख रखती है।
जम्मू-कश्मीर में बड़ी संख्या में सशस्त्र बलों के भेजे जाने के बाद से ही लगाए जा रहे उन अटकलों पर आज विराम लग गया जिसमें इस पर अलग-अलग कयास लगाए जा रहे थे कि इन्हें क्यों तैनात किया गया है। राज्यसभा में भारी शोर-शराबे के बीच सोमवार को गृहमंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने की सिफ़ारिश की है। इसके साथ ही गृह मंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर से लद्दाख को अलग कर दिया गया है। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दोनों को अब केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया है, हालाँकि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा बरक़रार रहेगी।
केजरीवाल : शांति आएगी
संसद में कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने इसका ज़ोरदार विरोध किया। हालाँकि कई दलों ने इसकी तारीफ़ में कसीदे पढ़े। आम आदमी पार्टी ने जम्मू-कश्मीर पर मोदी सरकार के निर्णय का समर्थन किया है। अरविंद केजरीवाल ने लिखा है कि उन्हें उम्मीद है कि इससे राज्य में विकास होगा और शांति आएगी।
बीएसपी के सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा, ‘देश में हर जगह अल्पसंख्यक हैं। जम्मू कश्मीर में भी हैं लेकिन इस बिल के ज़रिए अब अल्पसंख्यक समुदाय जम्मू-कश्मीर में भी बेखौफ़ जा सकेंगे और वहाँ स्थापित हो सकेंगे इसलिए हम इस बिल का समर्थन करते हैं।’
इधर, शिव सेना के संजय राउत ने कहा कि 70 साल से इस देश को इस फ़ैसले का इंतज़ार हुआ है।
जेडीयू ने किया बिल का बहिष्कार
जम्मू-कश्मीर से जुड़े इस बिल पर जेडीयू ने एनडीए से अलग राह पकड़ी। जेडीयू के नेता राम नाथ ठाकुर ने कहा, ‘हम इस बिल का बहिष्कार करते हैं। 70 वर्षों में क्या खोया, क्या पाया....। हमारा मानना है कि इन मामलों को न्यायिक प्रक्रिया का रुख करना चाहिए। राष्ट्रवाद के नाम पर हम एक हैं लेकिन हम सशर्त इस बिल का बहिष्कार करते हैं।
इधर राज्यसभा में पीडीपी सांसद मिर मोहम्मद फयाज के हंगामे के बाद सभापति ने उन्हें सदन से बाहर जाने के लिए कहा। इसके विरोध में पीडीपी सांसदों ने सदन के बाहर प्रदर्शन किया और अपना कुर्ता फाड़ दिया।