खालिस्तानी आतंकवादी की हत्या के मामले में पश्चिमी देश जी20 की बैठक में ही दबाव बनाने की कोशिश में थे। प्रतिष्ठित अख़बार फाइनेंशियल टाइम्स ने रिपोर्ट दी है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और अन्य पश्चिमी नेताओं ने कनाडा के दावों के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने चिंता व्यक्त की थी। रिपोर्ट है कि उन नेताओं ने कहा था कि नई दिल्ली से जुड़े एजेंट वैंकूवर में सिख अलगाववादी की हत्या में शामिल थे।
हाल में न्यूयॉर्क टाइम्स सहित कई प्रमुख मीडिया रिपोर्टें आती रही हैं कि अमेरिकी खुफिया एजेंसी ने हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर इनपुट कनाडा के साथ किए थे। इसके बाद कनाडा ने अपने सहयोगी देशों के साथ इस जानकारी को साझा किया और भारत के सामने मुद्दे उठाने को कहा था। ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका तो हाल के दिनों में भी भारत के सामने इस मुद्दे को उठाते रहे हैं।
ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका उस क्वाड संगठन के सदस्य हैं जिसमें इन दो देशों के अलावा भारत और जापान भी सदस्य देश हैं। ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका उस फाइव आईज खुफिया गठबंधन का हिस्सा भी हैं जिसमें इन दोनों देशों के अलावा कनाडा, यूनाइटेड किंगडम और न्यूजीलैंड भी हैं।
एफटी की रिपोर्ट अनुसार, फाइव आईज के कई सदस्यों- अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड ने मोदी के साथ हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का मामला उठाया था।
एफ़टी की रिपोर्ट के अनुसार, 'एक अधिकारी ने कहा कि बाइडेन को लगा कि इस मुद्दे को सीधे अपने भारतीय समकक्ष के साथ उठाना अहम है। व्हाइट हाउस ने इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि क्या बाइडेन ने जी20 में मोदी के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की थी। इस मामले से परिचित दो लोगों ने कहा, कनाडा ने अपने सहयोगियों से मामले को सीधे मोदी के सामने उठाने का आग्रह किया, जिसके बाद नेताओं ने जी20 शिखर सम्मेलन में हस्तक्षेप किया। इटावा ने उन्हें निजी तौर पर दावों का ज़िक्र करने के लिए कहा।'
निज्जर की हत्या से जुड़े इस घटनाक्रम पर जी20 बैठक के दौरान भारत की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया था। बाइडेन और मोदी के बीच बैठक के बाद भी जारी बयान में ऐसी किसी बातचीत का ज़िक्र नहीं किया गया।
बैठक के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा था, 'दोनों नेताओं ने कई क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया। वे इस बात पर सहमत हुए कि भारत-अमेरिका साझेदारी न केवल दोनों देशों के लोगों के लिए बल्कि वैश्विक भलाई के लिए भी फायदेमंद है।'
जी20 की बैठक के दौरान निज्जर की हत्या के मुद्दा को लेकर कुछ भी सामने नहीं आया था। हालाँकि, इतना ज़रूर था कि भारत में जी20 शिखर सम्मेलन में कनाडा के साथ तनाव दिखा था जिसमें ट्रूडो को दरकिनार कर दिया गया और प्रधानमंत्री मोदी के साथ औपचारिक द्विपक्षीय वार्ता से इनकार कर दिया गया था। तब कहा गया था कि शिखर सम्मेलन से इतर खालिस्तान मुद्दे पर चर्चा हुई, जिससे रिश्ते और तनावपूर्ण हो गए।
निज्जर की हत्या का मुद्दा उठाए जाने का मामला तब पहली बार सामने आया जब 18 सितंबर को कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने अपनी संसद को बताया था कि जून में हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को भारत सरकार के एजेंटों से जोड़ने के विश्वसनीय आरोप हैं। उसके अगले दिन ट्रूडो ने कहा कि वह भारत को उकसाने या तनाव को बढ़ाने के बारे में नहीं सोच रहे थे, बल्कि चाहते थे कि नई दिल्ली निज्जर की हत्या को अत्यंत गंभीरता के साथ ले। भारत सरकार ने इस आरोप को बेतुका और मोटिवेटेड बताकर खारिज कर दिया है। इसके साथ ही इसने ओटावा पर कनाडा में खालिस्तान अलगाववादियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने और निज्जर की हत्या पर कोई विशेष जानकारी साझा नहीं करने का आरोप लगाया।
न्यूयॉर्क टाइम्स ने रिपोर्ट दी है कि निज्जर की हत्या के बाद अमेरिका ने कनाडा को खुफिया जानकारी मुहैया कराई थी, लेकिन कनाडा द्वारा पकड़ी गई बातचीत अधिक पुष्ट थे और इसने भारत पर साजिश रचने का आरोप लगाया।
इसके बाद कनाडा ने एक वरिष्ठ भारतीय राजनयिक को निष्कासित कर दिया। उसका दावा है कि वह देश में भारत के रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) का प्रमुख था। इसके बाद भारत ने भी कनाडा के एक वरिष्ठ राजनयिक को पांच दिनों के भीतर देश छोड़ने को कहा था।
सरकार ने कनाडा पर भारत के आंतरिक मामलों में राजनयिक हस्तक्षेप का भी आरोप लगाया है। विदेश मंत्रालय ने कनाडा से भारत में अपने राजनयिकों की संख्या कम करने को कहा है क्योंकि उनकी उपस्थिति भारत की तुलना में अधिक है। इससे दोनों देशों के बीच तनाव एक बड़े राजनयिक संकट में बदल गया।