जमीयत उलमा-ए-हिंद के 34वें आम सत्र में संगठन के अध्यक्ष सैयद अरशद मदनी के एक बयान से हंगामा मच गया। मौलाना अरशद मदनी के भाषण के बाद कई धार्मिक नेता मंच से चले गए। मंच पर मौजूद जैन मुनि आचार्य लोकेश मुनि ने मदनी की टिप्पणी पर नाराज़गी व्यक्त की।
सोशल मीडिया पर साझा किए गए वीडियो में सुना जा सकता है कि मौलाना सैयद अरशद मदनी जमीयत उलेमा-ए-हिंद के कार्यक्रम में कथित तौर पर विवादित बयान देते हैं। वह कहते हैं, 'मैंने धर्म गुरु से पूछा जब कोई नहीं था, न श्री राम, न ब्रह्मा, तब मनु किसे पूजते थे? बहुत कम लोग बताते हैं कि वे ओम को पूजते थे। मैंने पूछा कि ओम कौन है तो बहुत से लोगों ने कहा कि वो हवा है, जिसका कोई रूप नहीं, कोई रंग नहीं है, वो दुनिया में हर जगह है। ...मैंने कहा कि इन्हें ही तो हम अल्लाह, आप ईश्वर, फारसी बोलने वाले खुदा और अंग्रेजी बोलने वाले गॉड कहते हैं।'
उन्होंने आगे कहा था, 'इसका मतलब है कि मनु यानी आदम एक ओम यानी एक अल्लाह को पूजते थे और दोनों एक ही हैं।' उन्होंने कहा कि तब न तो शिव थे और न ही कोई ब्रह्मा, सिर्फ एक ओम और अल्लाह की पूजा की जाती थी।
मदनी ने यह भी कहा, 'हिंदू और मुसलमान लगभग 1400 वर्षों से देश में भाइयों की तरह रह रहे हैं, और हमने कभी किसी को इस्लाम में जबरन परिवर्तित नहीं किया है।' उन्होंने कहा, "यह केवल भाजपा सरकार के तहत है कि हमने सुना है कि 20 करोड़ मुसलमानों को घर वापसी किया जाना चाहिए। उनके घर वापसी से उनका मतलब उन्हें हिंदू बनाना था। ये लोग भारत के इतिहास के बारे में कुछ नहीं जानते हैं।"
मौलाना अरशद मदनी के भाषण के बाद अपना भाषण देने आए जैन मुनि आचार्य लोकेश मुनि ने मौलाना के बयान पर आपत्ति जताई। एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा, 'हम केवल सद्भाव में रहने के लिए सहमत हैं, लेकिन ओम, अल्लाह और मनु के बारे में सभी कहानी बकवास है। वह (मदनी) ने सत्र का माहौल पूरी तरह खराब कर दिया।'
उन्होंने आगे कहा, 'उन्होंने जो कहानियाँ कही हैं, मैं उससे भी बड़ी कहानियाँ सुना सकता हूं। मैं उनसे (मदनी) अनुरोध भी करूंगा कि वे मेरे साथ चर्चा के लिए दिल्ली आएँ, या यहाँ तक कि मैं सहारनपुर में उनसे मिलने आ सकता हूं।'
उन्होंने आगे कहा, "यह याद रखना चाहिए कि पहले जैन तीर्थंकर ऋषभ थे और उनके पुत्र भरत और बाहुबली थे, जिनके नाम पर इस देश का नाम 'भारत' पड़ा। आप इसे मिटा नहीं सकते। हम उनसे सहमत नहीं हैं।" जैन मुनि की आपत्ति के बाद कई धार्मिक नेता मंच से उठकर चले गए।