सौ साल पहले आज ही के दिन ब्रिटिश सेना ने रॉलट एक्ट के विरोध में अमृतसर के जलियाँवाला बाग में सभा कर रहे निहत्थे भारतीयों पर अंधाधुंध गोलियाँ बरसा दी थीं। ख़बरों के मुताबिक़, इस घटना में 300 से ज़्यादा लोग मारे गए थे जबकि 1200 से अधिक लोग घायल हुए थे। भारत सहित दुनिया भर में मानवता में भरोसा रखने वाले लोग ब्रिटिश सरकार की इस कायराना हरक़त को कभी नहीं भुला सकते। घटना के 100 साल बाद भी देश के लोगों के मन में इसे लेकर बेहद ग़ुस्सा और दु:ख है। इस घटना ने देश के स्वतंत्रता संग्राम को और तेज़ कर दिया था और लोगों ने अंग्रेजों के ख़िलाफ़ आर-पार की लड़ाई लड़ने का एलान कर दिया था।
क्या था रॉलट एक्ट
भारत में आज़ादी की बढ़ती माँग और स्वतंत्रता सेनानियों की गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए ब्रिटिश सरकार ने रॉलट एक्ट पास किया था। इस एक्ट के कुछ प्रावधान बेहद ख़तरनाक थे जिनके मुताबिक़, किसी भी व्यक्ति को सिर्फ़ संदेह होने पर भी ब्रिटिश पुलिस गिरफ़्तार कर सकती थी।क्या हुआ था उस दिन
13 अप्रैल को बैसाखी का त्योहार था। पंजाब में बैसाखी बड़े पैमाने पर मनाई जाती है। उन दिनों देश में आज़ादी का आंदोलन जोर-शोर से चल रहा था। ब्रिटिश सरकार के ख़िलाफ़ देश भर में विरोध प्रदर्शन हो रहे थे। इस एक्ट के ही विरोध में जलियाँवाला बाग में हज़ारों लोग इकट्ठा हुए थे।
महात्मा गाँधी ने पूरे देश में रॉलट एक्ट का ज़ोरदार विरोध करने का एलान किया था। इससे घबराई ब्रिटिश सरकार ने महात्मा गाँधी को गिरफ़्तार कर लिया था।
गाँधी के साथ ही रॉलट एक्ट का विरोध कर रहे कई प्रमुख नेताओं जैसे डॉ सैफ़ुद्दीन किचलू को भी ब्रिटिश सरकार ने जेल में डाल दिया था। लोग आज़ादी के लिए संघर्ष कर रहे थे और किसी भी क़ीमत पर अंग्रेजों को यहाँ से खदेड़ना चाहते थे।
जलियाँवाला बाग में रॉलट एक्ट के विरोध में सभा हो रही थी। जब जनरल रेजीनॉल्ड डायर बाग में पहुँचा तो वह लोगों को देखकर भड़क उठा। डायर ने ब्रिटिश सेना को गोलियाँ चलाने का हुक्म दे दिया। निहत्थे भारतीयों के पास जान बचाने के लिए भागने के सिवा कोई रास्ता ही नहीं था। भगदड़ में सैकड़ों लोग बाग में बने कुएँ में कूद गए और मारे गए।
इस हत्याकांड के सबसे बड़े गुनहगार थे पंजाब के तत्कालीन गवर्नर माइकल ओ डायर और गोली चलाने वाले जरनल रेजीनॉल्ड डायर। 1927 में रेजीनॉल्ड डायर की मौत हो गई थी और माइकल डायर ब्रिटेन लौट चुका था लेकिन पंजाब के नौजवान उधम सिंह के सीने में इसका बदला लेने की आग धधक रही थी।
इस नृशंस हत्याकांड के 21 साल बाद 13 मार्च 1940 को उधम सिंह ने लंदन में जनरल डायर की गोली मारकर हत्या कर दी थी। डायर की हत्या के बाद उधम सिंह ने भागने की कोई कोशिश नहीं की और ख़ुद को लोगों के हवाले कर दिया। कुछ महीने बाद उधम सिंह को फाँसी की सजा सुना दी गई थी। राष्ट्रपति ने ट्वीट कर कहा कि जलियाँवाला बाग का भीषण नरसंहार सभ्यता पर कलंक है। बलिदान का वह दिन भारत कभी नहीं भूल सकता। जलियाँवाला बाग के अमर बलिदानियों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी, उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू, पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह समेत तमाम राजनेताओं ने शहीदों को श्रद्धांजलि दी है।
भारत में ब्रिटिश राजदूत सर डोमिनिक एसक्विथ ने शनिवार को जलियाँवाला बाग में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी और इसे ब्रिटिश-भारतीय इतिहास की बेहद शर्मनाक घटना बताया।
दो दिन पहले ब्रिटेन की प्रधानमंत्री टेरीज़ा मे ने जलियाँवाला बाग हत्याकांड के लिए ख़ेद जताया था और इसे ब्रिटिश भारतीय इतिहास का 'शर्मनाक दाग' बताया था। ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने 2013 में भारत दौरे के दौरान इस घटना को 'ब्रिटेन के इतिहास में एक शर्मनाक घटना बताया' था।