कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के ख़िलाफ़ कथित अपमानजनक टिप्पणी के लिए प्रधानमंत्री मोदी के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने अंसारी के खिलाफ उस टिप्पणी के लिए राज्यसभा में प्रधानमंत्री के खिलाफ विशेषाधिकार हनन की कार्यवाही की मांग की है।
जयराम रमेश ने कहा है, 'आज जब नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने घटते क़द को बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं, तब मैंने राज्यसभा के माननीय सभापति को पत्र लिखकर राज्यसभा के पूर्व सभापति डॉ. हामिद अंसारी के ख़िलाफ़ उनके अपमानजनक बयान के लिए उनके ख़िलाफ़ विशेषाधिकार कार्यवाही की मांग की है। उन्होंने 2 जुलाई 2024 को लोकसभा में वह बयान दिया था।'
8 जुलाई को राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को लिखे अपने पत्र में रमेश ने कहा कि किसी भी प्रधानमंत्री ने सदन के पीठासीन अधिकारी पर कभी भी इस तरह हमला नहीं किया, जैसा मोदी ने किया है। उपराष्ट्रपति के रूप में हामिद अंसारी राज्यसभा के सभापति थे।
पत्र में 2 जुलाई को लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर मोदी के जवाब का उल्लेख है। ख़त में कहा गया है कि प्रधानमंत्री ने कहा, 'चाहे वे कितनी भी संख्या का दावा करें, जब हम 2014 में आए थे, तो राज्यसभा में हमारी ताकत बहुत कम थी, और सभापति का झुकाव कुछ हद तक दूसरी तरफ था।'
रमेश ने पहले टिप्पणी को हटाने की मांग की थी। उन्होंने कहा कि हालांकि पीएम ने अंसारी का नाम नहीं लिया, लेकिन यह स्पष्ट है कि उनका मतलब किससे था। उन्होंने कहा, “डॉ. हामिद अंसारी पर विपक्ष की ओर ‘झुकाव’ का आरोप लगाया जाना पूरी तरह से अस्वीकार्य है और कम से कम यह कहना गलत नहीं होगा कि यह पूरी तरह से झूठ है।” कांग्रेस नेता ने अगस्त 2017 में तत्कालीन उपराष्ट्रपति के लिए अपने विदाई भाषण के दौरान मोदी द्वारा अंसारी को “निशाना” बनाने की अन्य घटनाओं का भी उल्लेख किया। कांग्रेस नेता ने कहा, 'किसी भी प्रधानमंत्री ने कभी भी लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष या राज्यसभा के सभापति पर उस तरह से हमला नहीं किया, जैसा कि श्री नरेंद्र मोदी ने किया है।'
उन्होंने धनखड़ को लिखे अपने पत्र में कहा, 'राज्यसभा के पूर्व सभापति के लिए अपमानजनक इरादे से ऐसी अपमानजनक टिप्पणी करना, जब वे अपना बचाव करने के लिए मौजूद नहीं थे, राज्यसभा के सभापति के उच्च पद के साथ-साथ राज्यसभा के प्रति भी घोर उपेक्षा और अनादर के समान है। इसलिए, मैं इस मामले में प्रधानमंत्री के खिलाफ विशेषाधिकार कार्यवाही की मांग करता हूं।'
बता दें कि बीजेपी ने पहले भी हामिद अंसारी को लेकर कड़ी टिप्पणी की थी। जुलाई 2022 का वह घटनाक्रम था, जब मीडिया रिपोर्टों ने एक 'पाकिस्तानी पत्रकार' नुसरत मिर्जा के हवाले से कहा था कि अंसारी ने उन्हें भारत आमंत्रित किया था और उन्होंने इन यात्राओं के दौरान जुटाई गई जानकारी, कथित तौर पर 2005 और 2011 के बीच, पाकिस्तान की आईएसआई के साथ साझा की थी।
भाजपा ने तब मांग की थी कि अंसारी और कांग्रेस दोनों को इन यात्राओं की जानकारी साझा करनी चाहिए। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार अंसारी ने भाजपा के आरोपों को झूठ का पुलिंदा बताते हुए निंदा की थी और कहा था कि वह राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता से बंधे हैं और टिप्पणी नहीं करेंगे। उन्होंने कहा था, 'भारत सरकार के पास सारी जानकारी है और सच बताने का एकमात्र अधिकार वही है।'
अगस्त 2017 में राज्यसभा में अंसारी के लिए दिए गए विदाई भाषण में मोदी ने कहा था, 'आप एक राजनयिक के रूप में अपने करियर के एक बड़े हिस्से में पश्चिम एशिया से जुड़े रहे। आपने अपने जीवन के कई साल उस दायरे में बिताए… उस विचार में… अपनी सेवानिवृत्ति के बाद एक बड़े हिस्से में, चाहे वह अल्पसंख्यक आयोग में हो या अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में, आप उसी दायरे में रहे। लेकिन 10 साल तक आपकी जिम्मेदारी अलग थी। हर पल आपको संविधान के दायरे में रहना था और आपने उस जिम्मेदारी को निभाने की पूरी कोशिश की... हो सकता है कि आपके भीतर भी कुछ बेचैनी रही हो, लेकिन आज से आपको उस संकट का सामना नहीं करना पड़ेगा... अब आपके पास आज़ादी का आनंद है और अपने मूल विश्वासों के अनुसार काम करने, सोचने और बोलने का अवसर है।'
प्रधानमंत्री मोदी ने बाद में दिसंबर 2017 में गुजरात विधानसभा चुनावों के लिए प्रचार करते हुए भी अंसारी का नाम लिया था। संसद में हंगामे के बाद सरकार ने राज्यसभा में स्पष्ट किया था, 'मैं स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूँ कि प्रधानमंत्री ने डॉ. मनमोहन सिंह या हामिद अंसारी की इस देश के प्रति प्रतिबद्धता पर सवाल नहीं उठाया और न ही उनका ऐसा कोई इरादा था।'