इसरो ने शुक्रवार 16 अगस्त को पृथ्वी पर नजर रखने वाले और एसआर-ओ डेमोसैट उपग्रहों को सफलतापूर्वक निर्धारित कक्षा में स्थापित कर दिया। इस तरह अंतरिक्ष एजेंसी ने पृथ्वी अवलोकन उपग्रह ईओएस-08 को लेकर अपनी तीसरी और अंतिम उड़ान, लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान-डी3 लॉन्च कर दिया। भारत ने उपग्रह निर्माण और लॉन्च में उल्लेखनीय प्रगति की है। इसके तमाम तकनीकी पहलुओं से ज्यादा यह जानना जरूरी है कि आखिर यह उपग्रह काम क्या करेगा।
पृथ्वी अवलोकन (ईओएस) उपग्रह (ईओएस-08) रिमोट सेंसिंग प्लेटफार्मों का इस्तेमाल करके पृथ्वी के वायुमंडल, जल और सतह के बारे में डेटा एकत्र करेगा। फिर जानकारी प्रदान करने के लिए डेटा को संसाधित और विश्लेषण किया जाएगा, जिसका इस्तेमाल विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जा सकेगा।
यह उपग्रह हमें पर्यावरण की निगरानी और सुरक्षा करने और इसे बेहतर ढंग से समझने में मदद करेगा। उदाहरण के लिए, ऐसे उपग्रहों ने दिखाया है कि ध्रुवीय बर्फ की चादरें नाटकीय रूप से बदल रही हैं, हालांकि वैज्ञानिकों ने पहले माना था कि वे दशकों तक स्थिर रहेंगी। हिमालय के ग्लेशियरों की सही तस्वीर इसके जरिए आ सकेगी।
पृथ्वी निगरानी उपग्रह जलवायु परिवर्तन पर कार्रवाई में मदद कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, इन उपग्रहों के डेटा का उपयोग मौसम की भविष्यवाणी के लिए संख्यात्मक मौसम पूर्वानुमान (एनडब्ल्यूपी) में किया जा सकेगा। विशेषज्ञ दुनिया भर में मानवीय प्रयासों का समर्थन करने के लिए उपग्रह से भेजी गई इमेज (चित्र) का इस्तेमाल करते हैं।
उपग्रह सतत विकास में भी मदद कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, नागरिक विज्ञान परियोजना फ़्लोटिंग फ़ॉरेस्ट, विभिन्न वनों की पहचान करने में सहायता के लिए लैंडसैट उपग्रह इमेज का इस्तेमाल हो सकेगा।
इसरो ने बताया कि रॉकेट चेन्नई से लगभग 135 किमी पूर्व में स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के पहले लॉन्च पैड से पूर्व-निर्धारित समय सुबह 9.17 बजे शानदार ढंग से उड़ा। अभी तक उसके सही करने की सूचना है।