चीन को घेरने के लिये ब्रह्मोस मिसाइलों के निर्यात में हिचक न दिखाए भारत 

07:27 am Aug 27, 2020 | रंजीत कुमार - सत्य हिन्दी

सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल ‘ब्रह्मोस’ भारत के हथियारों के जख़ीरे में सबसे घातक और अत्यधिक संवेदनशील शस्त्र प्रणाली है, जिसका विकास भारत और रूस की कम्पनियों ने साझा तौर पर किया है। 

भारत में  इसका उत्पादन तीनों सेनाओं के लिये हो रहा है। आवाज से 2.8 गुना  गति और 290 किलोमीटर दूर तक मार करने वाली इस अत्याधुनिक मिसाइल की काट दुनिया की किसी सेना के पास नहीं है।

कई देश चाहते हैं ब्रह्मोस!

इसलिये कई देश इसे अपनी सेना को सौंपना चाहते हैं, ख़ासकर वे देश जो चीन की आतंकित करने वाली विस्तारवादी नीतियों से परेशान हैं। 

सामरिक हलकों में माना जाता है कि चीन ने रूस पर दबाव डालकर ब्रह्मोस मिसाइलों के निर्यात की अनुमति रुकवाने में कामयाबी पाई थी।

अब मास्को से रिपोर्ट मिली है कि ब्रह्मोस मिसाइलों के तीसरे देश को निर्यात की मंजूरी रूस ने दे दी है। भारत भी चीन से संवेदनशील रिश्तों के मद्देनज़र चीन के ज़मीनी और सागरीय पड़ोसी देशों को ब्रह्मोस मिसाइलों के निर्यात में हिचक दिखाता रहा है। लेकिन चीन ने जिस तरह पूर्वी लद्दाख के भारतीय इलाकों पर कब्जा किया है, उसे देखते हुए भारत ने भी अपनी हिचक छोड़ी है।

ब्रह्मोस बेचने की अनुमति

मास्को में एक सैन्य प्रदर्शनी में भाग ले रही ब्रह्मोस मिसाइलों का उत्पादन करने वाली संयुक्त उद्यम की कम्पनी ब्रह्मोस एरोस्पेस के आला अधिकारी ने इन रिपोर्टों की पुष्टि की है कि रूस और भारत दोनों ही तीसरे देश को ब्रह्मोस मिसाइल बेचने पर राजी हो गए हैं। 

चीन से परेशान तटीय देशों ने क़रीब एक दशक पहले ही भारत से आग्रह किया था  कि वह उन्हें ब्रह्मोस मिसाइल दे। हालांकि चीन ने भारत के पड़ोसी देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश, म्यांमार आदि को कई तरह के संवेदनशील हथियारों का निर्यात कर भारत की सुरक्षा पर आँच डाली है, लेकिन भारतीय रक्षा के कर्णधार चीन की सुरक्षा पर आँच डालने वाला ऐसा कदम उठाने में हिचकते हैं।

चीन पर दबाव बनाए भारत!

चीन ने पाकिस्तान को परमाणुहथियारों और बैलिस्टिक  मिसाइलों से तो लैस किया ही है उसे युद्धपोत, लड़ाकू विमान, पनडुब्बी आदि देकर अपनेरक्षा उद्योग को चमकाया है। चीन ने बांग्लादेश जैसे देश को भी पनडुब्बियाँ बेचने से हिचक नहीं दिखाई।

जैसे चीन भारत के पड़ोसी देशों के बीच भय पैदा कर उन्हें आधुनिक संवेदनशील हथियारों की बिक्री करता है, उसी तरह भारत को भी चीन के पड़ोसी मंगोलिया, वियतनाम, और दक्षिण चीन सागर के तटीय देशों को अपने नवीनतम सैनिक साजो-सामान देने की नीति अपनानी चाहिये।

लद्दाख में चीनी घुसपैठ की वजह से भारत को यह मौका मिला है कि वह चीन के पड़ोसियों को आधुनिक हथियारों और मिसाइलों से लैस कर दे। 

इंडोनेशिया और वियतनाम जैसेदेशों की सेनाएं जब ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस होंगी तो चीन इन देशों की मछली पकड़ने वाली नौकाओं को नुक़सान नहीं पहुँचाएगा। 

रणनीतिक महत्व

वास्तव में ब्रह्मोस मिसाइलोंकी रणनीतिक से अधिक सामरिक अहमियत है। चीन को जब यह संदेश मिलेगा कि भारत उसके पड़ोसी देशों को आधुनिक हथियारों की सप्लाई कर सकता है तो वह भारत के पड़ोसियों को परमाणु मिसाइलों से लेकर पनडुब्बियों की सप्लाई  करने से पहले सोचेगा।

ब्रह्मोस मिसाइलों की कोई काट चीनी सेना के पास नहीं है, इसलिये जब चीन का कोई प्रतिद्वंद्वी देश इन मिसाइलों से लैस होगा तो चीन के लिये यह चिंता की बात होगी। ब्रह्मोस मिसाइलों  के तीसरे देशों को निर्यात की अनुमति इसे बनाने वाली कंपनी को मिलना भारत की राजनयिक जीत मानी जा सकती है।