भारत ने जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर मध्यस्थता करने के संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। सरकार ने कहा है कि कश्मीर पर किसी तीसरे की मध्यस्थता की कोई गुंजाइश नहीं है।
इसके पहले रविवार को पाकिस्तान में संयुक्त राष्ट्र महासचिव अंतोनियो गुटरस ने कहा था कि वह इस मामले में अपने पद का इस्तेमाल कर समस्या का समाधान ढूंढने की पेशकश शुरू से ही करते रहे हैं।
गुटरस ने कहा, ‘यदि दोनों देश चाहें तो मैं कश्मीर के मुद्दे पर मध्यस्थता करने को तैयार हूँ।’
भारत ने इस प्रस्ताव को तुरन्त खारिज कर दिया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, ‘इस मुद्दे पर भारत की स्थिति नहीं बदली है। कश्मीर भारत का अभिन्न अंग था, है और रहेगा। यदि कोई बातचीत होगी तो सिर्फ़ कश्मीर के एक हिस्से पर ग़ैरक़ानूनी तरीके किए गए पाकिस्तानी कब्जे को हटाने पर। यदि इसके अलावा कोई मसला है तो उस पर दोतरफा बातचीत की जा सकती है।’
रवीश कुमार ने उम्मीद जताई कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव पाकिस्तान को समझाएंगे कि वह आतंकवाद रोकने के लिए ठोस, विश्वसनीय और ऐसे कदम उठाए जिससे आतंकवाद पूरी तरह रुक जाए और उसकी पुनरावृत्ति न हो।
इसके पहले इसलामाबाद में पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी के साथ साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में गुटरस ने कहा कि कश्मीर की स्थिति और नियंत्रण रेखा के पास तनाव से वह बेहद चिंतित हैं। उन्होंने कहा, ‘आपसी बातचीत और कूटनीति से ही तमाम समस्याओं का समाधान संयुक्त राष्ट्र चार्टर और सुरक्षा परिषद प्रस्तावों के अनूकूल निकाला जा सकता है।’