देश में कोरोना मरीजों का इलाज करने के लिए स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा पहने जाने वाले पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट यानी पीपीई की कमी है और इस कमी को पूरा करने के लिए चीन को डेढ़ करोड़ पीपीई का ऑर्डर दिया गया है। पीपीई में मास्क, ग्लव्स, कवरॉल, गोगल्स जैसे सुरक्षा के उपकरण शामिल होते हैं और ये कोरोना वायरस से बचाव में काफ़ी अहम होते हैं।
हाल के दिनों में देश भर में डॉक्टर, नर्स और दूसरे स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा पीपीई की कमी की शिकायतें की जाती रही हैं। इस बीच हाल ही में आई एक रिपोर्ट में भी कहा गया था कि अगले दो महीने में भारी संख्या में पीपीई किट की ज़रूरत पड़ेगी। तब कोरोना वायरस के संक्रमण के तेज़ी से फैलने को देखते हुए सरकार ने ही अनुमान लगाया था कि अगले दो महीने में बहुत बड़ी संख्या में पीपीई, टेस्ट किट और वेंटिलेटर की ज़रूरत होगी।
तब कहा गया था कि इसके लिए 2 करोड़ 70 लाख एन95 मास्क, स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा के उपकरणों वाले एक करोड़ 50 लाख पीपीई किट, 16 लाख टेस्ट किट और 50 हज़ार वेंटिलेटरों की ज़रूरत पड़ेगी। हालाँकि यह आधिकारिक तौर पर जानकारी नहीं दी गई थी और यह ख़बर मीडिया रिपोर्टों में छन-छन कर बाहर आई थी।
लेकिन यह साफ़ हो गया है कि सरकार ने 16 लाख रैपिड टेस्ट किट के ऑर्डर तो चीन को पहले ही दे दिए थे, अब डेढ़ करोड़ पीपीई किट के भी ऑर्डर दिए जा चुके हैं। यह बात ख़ुद चीन में भारत के राजदूत विक्रम मिस्री ने मंगलवार को कही है। इसका साफ़ मतलब यह है कि भारत पीपीई के लिए चीन पर निर्भर है।
चीन से ये पीपीई उन ख़बरों के बीच मंगाए जा रहे हैं जिनमें यूरोप के देशों ने घटिया गुणवत्ता के सामान निर्यात करने की शिकायतें की थीं। हालाँकि आलोचनाओं के बाद चीन ने निर्यात वाली मास्क, कवरॉल, गोगल्स, वेंटिलेटर सहित मेडिकल से जुड़ी 11 सामग्रियों की विशेष गुणवत्ता जाँच की।
'द इंडियन एक्सप्रेस' के अनुसार, चीन में भारत के राजदूत मिस्री ने कहा, 'यह हमें सहज तरीके से सहयोग करने का अवसर प्रदान करता है। हम बोली लगाने वाले आपूर्तिकर्ताओं की पहचान कर रहे हैं और समझौतों की राह पर हैं। महत्वपूर्ण यह है कि गुणवत्ता की सामग्री उचित और स्थिर क़ीमतों पर उपलब्ध है और हम माल और कार्गो लाइनों को फिर से बहाल करने में सक्षम हैं।'
यह ख़बर तब आई है जब देश में स्वास्थ्य व्यवस्था की हालत ठीक नहीं है और ऐसे में हर रिपोर्ट में यह बात कही जा रही है कि कोरोना से लड़ने के लिए तैयारी पुख्ता की जानी चाहिए। क्योंकि यह वायरस काफ़ी ज़्यादा संक्रामक है और यह तेज़ी से फैलता है इसलिए इस वायरस से पीड़ित बीमार के इलाज करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा बड़ी चिंता की वजह है। चिंता का कारण इसलिए भी है क्योंकि उनके लिए ज़रूरी मास्क, ग्लव्स, कवरॉल जैसे सुरक्षा के उपकरणों की भारी कमी की ख़बरें आ रही हैं।
बता दें कि चीन ने पहले एक लाख 70 हज़ार पीपीई कवरॉल दान भी किए थे। चीन से 5 लाख से ज़्यादा किट खरीदे भी जा चुके हैं और क़रीब एक से डेढ़ करोड़ ऐसे किट ख़रीदे जाने की प्रक्रिया जारी है।