संसद के दोनों सदनों में अवैध प्रवासी भारतीयों के मुद्दे पर गुरुवार 6 फरवरी को काफी हंगामा हुआ। सरकार ने दोनों सदनों में विपक्ष को इस मुद्दे को उठाने नहीं दिया। विपक्षी सांसदों ने संसद के बाहर आकर प्रदर्शन किया। इसके बाद सरकार की ओर से कहा गया कि विदेश मंत्री एस. जयशंकर दोपहर 2 बजे इस पर बयान देंगे। जयशंकर ने बयान दिया। सब कुछ बता डाला लेकिन एक बार भी इस यूएस सरकार या राष्ट्रपति ट्रम्प की इस बात के लिए निन्दा नहीं की कि वहां से भारतीयों को हथकड़ी-बेड़ी लगाकर अमानवीय ढंग से भेजा गया।
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अवैध लोगों को हथकड़ी लगाना अमेरिकी सरकार की नीति है।
-एस. जयशंकर विदेश मंत्री, 6 फरवरी 2025 सोर्सः संसद टीवी
हथकड़ी-बेड़ी में जकड़े 100 से ज्यादा भारतीय बुधवार को अमृतसर में यूएस के मिलिट्री प्लेन से उतरे। उनकी तस्वीरें जब सोशल मीडिया के जरिये फैलीं और उनकी कहानी जब मीडिया में आई तो लोग दहल उठे। संसद में इस मुद्दे को उठाने के लिए विपक्षी सांसदों ने सुबह ही नोटिस दे दिया था। लेकिन लोकसभा में स्पीकर ने और राज्यसभा में उपसभापति ने किसी सांसद को इस पर सवाल नहीं करने दिया। विपक्ष के बहिष्कार और प्रदर्शन के बाद सरकार ने एस जयशंकर को बयान देने के लिए कहा।
जयशंकर ने गुरुवार को राज्यसभा में कहा कि डिपोर्ट किये जाने की प्रक्रिया कोई नई नहीं है। कई वर्षों से लोग डिपोर्ट किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि नई दिल्ली यह सुनिश्चित करने के लिए वाशिंगटन के साथ बातचीत कर रही है कि अमेरिका से निर्वासित भारतीयों के देश लौटने पर उनके साथ किसी भी तरह का दुर्व्यवहार न हो।
विदेश मंत्री ने कहा कि "माननीय सदस्यों को पता है कि लोगों के बीच आदान-प्रदान संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ हमारे गहरे संबंधों का आधार है। अवैध इमीग्रेशन को हतोत्साहित करना हमारे (भारत-यूएस) सामूहिक हित में है।" जयशंकर ने कहा, यह सभी देशों का दायित्व है कि अगर उनके नागरिक विदेश में अवैध रूप से रहते हुए पाए जाते हैं तो उन्हें वापस बुला लें।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने विपक्ष को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि विपक्ष अपने विरोध प्रदर्शन से सदन और जनता को "गुमराह" नहीं करे। उन्होंने कहा कि सभी निर्वासित प्रवासियों की उनके एजेंटों के साथ जांच की जाएगी ताकि यह तय किया जा सके कि वे उचित प्रक्रियाओं का पालन किए बिना किसी देश में न जायें।
जयशंकर ने अमेरिका द्वारा निर्वासित किए गए भारतीयों की संख्या पर राज्यसभा में डेटा भी पेश किया। हालांकि 2014 से यूएस डिपोर्ट किये जाने वालों की संख्या बढ़ गई। विदेश मंत्री के मुताबिक 2014 में 591, 2015 में 708, 2016 में 1303, 2017 में 1,024, 2018 में 1,180, 2019 में 2,042, 2020 में 1,889, 2021 में 805, 2022 में 862, 2023 में 670, 2024 में 1,368 और 2025 में अब तक 104 लोग डिपोर्ट किये गये।
विपक्ष संतुष्ट नहीं
विदेश मंत्री के जवाब से सदन संतुष्ट नहीं हुआ। कांग्रेस सांसद रंजीत रंजन ने कहा, "अमेरिका का यह व्यवहार अमानवीय है। भारतीयों को हथकड़ी लगाकर वापस क्यों लाया गया? क्या उन्होंने कोई अपराध किया था? यह देश का अपमान है। सरकार को विपक्ष से परामर्श करना चाहिए और इसके जवाब में क्या कार्रवाई की जा रही है, इसकी जानकारी हमें देनी चाहिए।"शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, "... जिस तरह से उन्हें वापस भेजा गया, उन्हें जंजीरों से बांध दिया गया और शौचालय का उपयोग करने की भी अनुमति नहीं दी गई। मैं अमेरिका को याद दिलाना चाहती हूं कि वे अपराधी नहीं हैं। उन्हें अपमानजनक तरीके से वापस भेज दिया गया और यह देश के लिए अस्वीकार्य है। प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि एक तरफ पीएम मोदी कहते हैं कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप उनके दोस्त हैं, लेकिन दूसरी तरफ हमारे नागरिकों के साथ ऐसा व्यवहार किया जाता है. यह देश की गरिमा और सम्मान के खिलाफ है... उन्हें इस तरह बेड़ियों में बांधकर भेजना स्वीकार्य नहीं है... छोटे-छोटे देश भी इसके खिलाफ खड़े हैं, फिर भी हमने अपनी आपत्ति तक नहीं जताई है।'
टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा, "आम तौर पर, हम विदेशी मामलों पर टिप्पणी नहीं करते हैं, लेकिन जिस तरह से उन्हें हथकड़ी लगाकर निर्वासित किया गया है वह स्वीकार्य नहीं है... यह मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन है... मेरा ईमानदारी से मानना है कि भारत सरकार को मजबूत असहमति व्यक्त करनी चाहिए..."
अखिलेश के सवाल
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी इस मुद्दे पर सरकार को घेरा और तमाम सवाल किये। अखिलेश ने एक्स पर लिखा है- सवाल सिर्फ़ ये नहीं है कि अमेरिका ने हालात के मारे भारतीयों को दासों की तरह बेड़ियों में जकड़ा और अमानवीय परिस्थितियों में भारत भेजा…। सवाल ये भी है कि ‘विश्व गुरु होने का दावा करनेवाले मौन क्यों हो गये? सवाल ये भी है कि हमारा विदेश मंत्रालय क्या कर रहा है? सवाल ये भी है कि महिलाओं और बच्चों को इन अपमानजनक परिस्थितियों से बचाने के लिए हमारी सरकार ने क्या किया?क्या पीएम मुद्दे को उठायेंगे
अखिलेश ने आगे कहा कि सवाल ये भी है कि क्या अपनी अमेरिकी यात्रा में माननीय प्रधानमंत्री जी ये मुद्दा पुरज़ोर तरीके से उठाएंगे या नहीं? सवाल ये भी है कि देश में ऐसे हालात क्यों पैदा हो रहे हैं कि लोग विदेश जाने पर मजबूर हैं? सवाल ये भी है कि देश लौटने के बाद ऐसे लोगों के लिए सरकार का रुख़ क्या होगा? सवाल ये भी है जिन लाखों भारतीयों पर अमेरिका में आँच आ रही है भारत सरकार उनके लिए क्या करेगी?
ये हैं कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो, जिनके साहस की सोशल मीडिया पर चर्चा है।
कोलंबिया से सीख लेते
सदन के बाहर तमाम नेताओं ने और सोशल मीडिया पर आम लोगों ने मोदी सरकार को नसीहत दी कि भारत चाहता तो कोलंबिया जैसे देश से ही कुछ सीख लेता। लोग कोलंबिया और इसके राष्ट्रपति का उदाहरण दे रहे हैं। कोलंबिया ने ट्रंप के सैन्य विमान को अपने देश में उतरने नहीं दिया था। सैन्य विमान से प्रवासियों को वापस भेजने को लेकर ट्रंप को क़रीब हफ़्ते भर पहले ही तब झटका लगा था जब कोलंबिया ने अमेरिका के सैन्य विमान को वापस लौटा दिया था। इस पर डोनाल्ड ट्रंप ने कोलंबिया पर टैरिफ लगाने की धमकी दी थी।कोलंबिया सरकार ने कहा था कि वह यह सुनिश्चित करेगी कि उनके नागरिकों को बेइजज्त करके अमेरिका से ना निकाला जाए। इस संबंध में कोलंबिया के राष्ट्रपति कार्यालय ने अपने बयान में 'सम्मानजनक वापसी' शब्द पर विशेष जोर दिया था। पेट्रो ने अमेरिका से प्रवासियों को वापस लाने के लिए विशेष विमान भेजने का फैसला किया। इसके बाद कोलंबिया के लोगों को सम्मानजनक तरीक़े से अपने देश वापस लाया गया।
(इस रिपोर्ट का संपादन यूसुफ किरमानी ने किया)