फरवरी 2024 में, जसपाल सिंह ने अमेरिका में एक नई शुरुआत का सपना लेकर पंजाब के फतेहगढ़ चुड़ियन में अपना घर छोड़ा था। उसने सब कुछ दांव पर लगा दिया था - अपनी बचत, अपना यकीन और बेहतर भविष्य की आशा। जब वो अमृतसर एयरपोर्ट पर उतरा तो उसके हाथ-पैर हथकड़ी-बेड़ी में जकड़े हुए थे।
अमेरिका में अवसर मिलने के बजाय, उन्हें हिरासत और निर्वासन का सामना करना पड़ा। 30 लाख का नुकसान हुआ और उनके सपने टूट गए। जसपाल सिंह बुधवार को अमृतसर पहुंचे 104 अवैध भारतीय प्रवासियों में से एक हैं, उनकी उम्मीदें धराशायी हो गईं और फिलहाल भविष्य अनिश्चित है।
जसपाल ने मीडिया को बताया- “मैंने एक एजेंट से वैध वीज़ा के साथ कानूनी रूप से अमेरिका भेजे जाने के लिए बात की। लेकिन मुझे धोखा दिया गया। सौदा 30 लाख का था और मैंने अपने सारे पैसे बर्बाद कर दिए। मैंने पहली बार पंजाब से यूरोप की यात्रा की, यह विश्वास करते हुए कि मैं कानूनी रूप से जा रहा हूं। वहां से, मैं ब्राजील गया और आखिरकार मुझे यूएस जाने के लिए 'डंकी' रूट लेना पड़ा, जिसमें छह महीने लग गए।''
36 साल के जसपाल सिंह अमेरिका में सिर्फ 11 दिन रह सके।, जनवरी 2025 में सीमा पार करने पर यूएस बॉर्डर फोर्स ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। उसके बाद बाकी दिन हिरासत में बीते। मुझे नहीं पता था कि मुझे भारत वापस भेजा जा रहा है। जब उन्होंने मुझे फ्लाइट में बिठाया, तो मुझे लगा कि वे मुझे दूसरे हिरासत केंद्र में ले जा रहे हैं। बाद में, एक अधिकारी ने मुझे बताया कि हम भारत वापस जा रहे हैं।
हथकड़ियों और बेड़ियों में सख्ती से जकड़े जाने की कहानी बताते हुए जसपाल रो पड़े। हालांकि अमृतसर में उतरने के बाद उन्हें हटा दिया गया। उन्होंने कहा कि जब फ्लाइट अमृतसर पहुंची तभी उन्हें पता चला कि उन्हें कहां लाया गया है।
जसपाल सिंह ने फीकी मुस्कान के साथ कहा कि वह शब्दों में बयां नहीं कर सकते कि इतना कुछ सहने के बाद जब कुछ नहीं बचा तो कैसा महसूस हो रहा है। बहुत सारा पैसा खर्च किया गया, इसमें से कुछ मेरी बचत से, कुछ दोस्तों से, और कुछ रिश्तेदारों की मदद से प्रबंध किया गया था। अब, मैं अपनी किस्मत को ही इसका जिम्मेदार मानता हूं।
अमेरिका से निर्वासित किए गए 104 अवैध भारतीय प्रवासियों में से 30 पंजाब से, 33 हरियाणा से, 33 गुजरात से, तीन महाराष्ट्र से, तीन उत्तर प्रदेश से और दो चंडीगढ़ से हैं।
हथकड़ी-बेड़ी पर कांग्रेस सख्त
कांग्रेस ने अमेरिका से निर्वासित किए गए भारतीयों को "हथकड़ी-बेड़ी लगाए जाने और अपमानित किए जाने पर दुख जताया। कांग्रेस ने कहा कि मोदी सरकार इस पर आपत्ति क्यों नहीं जता रही। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने याद दिलाया कि 2013 में तत्कालीन यूपीए सरकार की तीखी प्रतिक्रिया के बाद अमेरिका को भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागड़े के साथ किए गए व्यवहार पर खेद व्यक्त करना पड़ा था।पवन खेड़ा ने उस घटना को याद करते हुए बताया कि "यूपीए सरकार ने तीखा जवाब दिया। मीरा कुमार, सुशील कुमार शिंदे और राहुल गांधी जैसे नेताओं ने अमेरिकी कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल (जॉर्ज होल्डिंग, पीट ओल्सन, डेविड श्वेइकर्ट, रॉब वुडलैंड मेडेलीन बोर्डालो) से मिलने से इनकार कर दिया, जो उस समय भारत का दौरा कर रहे थे।" खेड़ा ने कहा कि तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह ने अमेरिकी कार्रवाई को 'निंदनीय' बताया था। उन्होंने कहा कि भारत ने अमेरिकी दूतावास को दी गई कई सुविधाएं वापस ले लीं। खेड़ा ने कहा कि आयकर विभाग ने अमेरिकी दूतावास स्कूल की जांच शुरू कर दी है।
(इस रिपोर्ट का संपादन यूसुफ किरमानी ने किया)