देश के अधिकतर हिस्से में 6-8 हफ़्ते लॉकडाउन रहे: ICMR प्रमुख

01:11 pm May 13, 2021 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

ऐसे हालात में जब देश के क़रीब 700 ज़िलों में से 533 ज़िलों में संक्रमण ख़तरनाक स्तर की तेज़ी से फैल रहा है तो क्या उपाए किए जाने चाहिए? सरकारी संस्था इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च यानी आईसीएमआर के प्रमुख डॉ. बलराम भार्गव का कहना है कि देश के अधिकतर हिस्सों में 6-8 महीने लॉकडाउन होना चाहिए। वह न्यूज़ एजेंसी रायटर्स को दिए एक इंटरव्यू में बात कह रहे थे। उनका यह इंटरव्यू तब आया है जब दो दिन पहले ही केंद्र सरकार ने कहा है कि देश के 533 ज़िलों में पॉजिटिविटी रेट 10 फ़ीसदी से ज़्यादा है। 

उन्होंने कहा कि लॉकडाउन प्रतिबंध उन सभी ज़िलों में लागू होना चाहिए जहाँ पॉजिटिविटी रेट यानी संक्रमण की दर परीक्षण किए गए लोगों के 10 प्रतिशत से ऊपर है। पॉजिटिविटी रेट से मतलब है कि जितने लोगों के सैंपल लिए गए उनमें से कितने लोग संक्रमित पाए गए। मिसाल के तौर पर 10 फ़ीसदी पॉजिटिविटी रेट का मतलब है कि 100 लोगों के सैंपल लिए गए तो उसमें से 10 लोगों की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव की आई।

डॉ. भार्गव की टिप्पणी पहली बार किसी एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी की ऐसी टिप्पणी है जिसमें संकट पर लगाम लगाने के लिए देश के बड़े हिस्से में लॉकडाउन लगाने की वकालत की गई है। लॉकडाउन लगाने से केंद्र और राज्य सरकारें बच रही हैं। ऐसा इसलिए कि देश की आर्थिक स्थिति ख़राब है। कोरोना की पहली लहर के दौरान आर्थिक स्थिति इतनी ख़राब हुई थी कि जीडीपी वृद्धि दर एक तिमाही में तो क़रीब 24 फ़ीसदी सिकुड़ गई थी यानी इतनी ग्रोथ रेट नेगेटिव रही थी। 

कई राज्यों ने कोरोना को फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन जैसे प्रतिबंधों का सहारा लिया है। हालाँकि ज़्यादातर जगहों पर हफ़्ते या एक पखवाड़े के लिए ही लॉकडाउन लगाया गया है।

इस बीच डॉ. भार्गव ने कहा है, 'उच्च पॉजिटिविटी वाले ज़िले बंद ही रहने चाहिए। अगर वे 10 प्रतिशत पॉजिटिविटि रेट से 5 प्रतिशत पर आते हैं तो हम उन्हें खोल सकते हैं, लेकिन ऐसा होना ही होगा। यह स्पष्ट रूप से छह-आठ सप्ताह में नहीं होगा।' 

डॉ. भार्गव ने राजधानी दिल्ली का हवाला दिया जो सबसे बुरी तरह प्रभावित था और पॉजिटिविटी रेट क़रीब 35 प्रतिशत तक पहुँच गई थी। अब क़रीब यह दर गिरकर 17 प्रतिशत पहुँच गई है। भार्गव ने कहा कि, 'यदि दिल्ली को कल खोला जाता है, तो यह एक आपदा होगी।'

बता दें कि दो दिन पहले ही केंद्र ने कहा है कि देश के 533 ज़िलों में पॉजिटिविटी रेट 10 से ज़्यादा है। 5 प्रतिशत पॉजिटिविटी रेट से ज़्यादा होने पर स्थिति बेहद ख़राब माना जाती है। केंद्र सरकार की ही रिपोर्ट कहती है कि देश के 90 फ़ीसदी हिस्से में उच्च पॉजिटिविटी रेट है।

पाँच राज्यों में 30 से अधिक ज़िलों में 10 प्रतिशत से अधिक पॉजिटिविटी के मामले आ रहे हैं। केंद्र ने मंगलवार को कहा कि मध्य प्रदेश में 45 जिले, उत्तर प्रदेश में 38, महाराष्ट्र में 36, तमिलनाडु में 34, और बिहार में 33 ज़िलों में 10 प्रतिशत से ज़्यादा पॉजिटिविटी रेट है। 

आठ राज्यों में 20 से अधिक ज़िलों में 10 प्रतिशत से अधिक पॉजिटिविटी रेट है- कर्नाटक में 28, राजस्थान में 28, ओडिशा में 27, छत्तीसगढ़ में 24, गुजरात में 23, हरियाणा में 22, पश्चिम बंगाल में 22, और असम में 20 ज़िले। अन्य आठ राज्यों में 10 से अधिक ज़िलों में 10 प्रतिशत से अधिक पॉजिटिविटी रेट है- झारखंड में 18, पंजाब में 18, केरल में 14, अरुणाचल प्रदेश में 13, आंध्र प्रदेश में 12, हिमाचल प्रदेश में 12, उत्तराखंड में 12 और दिल्ली में 11 ज़िले।

पॉजिटिविटी रेट से अलग भी देखें तो हालात बेहद ख़राब दिखते हैं। 13 राज्यों में 1-1 लाख से ज़्यादा सक्रिए मामले हैं। 6 राज्यों में 50 हज़ार से 1 लाख के बीच सक्रिए मामले हैं। 17 राज्यों में 50 हज़ार से कम सक्रिए केस हैं। देश में कुल सक्रिए मामले क़रीब 37 लाख हैं।