हर रोज़ वैक्सीन क़रीब 30 लाख लगाई जा रही थी तो फिर अचानक 21 जून को एक दिन में 90 लाख वैक्सीन कैसे लग गई? यदि इसका जवाब आप यह दें कि उस दिन से वैक्सीन मुफ़्त में लगाई जा रही है तो सवाल है कि फिर 22 जून को मुफ़्त टीका लगाने वालों की संख्या 54 लाख ही क्यों रह गई? इससे सवाल उठता है कि क्या यह सब एक दिन के लिए सिर्फ रिकॉर्ड बनाने की कसरत भर थी और छवि बचाने का एक प्रयास था? कम से कम अब तो ऐसे ही सवाल उठाए जा रहे हैं।
यदि रिकॉर्ड बनाने के लिए ऐसा नहीं किया गया था तो क्या वैक्सीन का उत्पादन बढ़ गया। एकाएक वैक्सीन बढ़ने की कोई ख़बर तो नहीं आई है। दूसरे, वैक्सीन लेने को उत्सुक बड़ी संख्या में लोगों को टीकाकरण केंद्रों पर टीके नहीं मिल रहे हैं। तो फिर ऐसा कैसे हो गया?
पहले उन दावों को पढ़िए जो 21 जून को किए गए। उस दिन शाम साढ़े आठ बजे जब 80 लाख से ज़्यादा टीके लगाए जा चुके थे तब रिकॉर्ड टीकाकरण को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय ने ट्वीट कर अपनी सफलता का गुणगान किया। ऐसा ही कुछ प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था। उन्होंने लिखा था, 'आज की रिकॉर्ड तोड़ टीकाकरण संख्या प्रसन्न करने वाली है।' फिर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से लेकर मंत्रिमंडल के दूसरे सदस्यों और बीजेपी नेताओं व समर्थकों ने भी ऐसे ही 'रिकॉर्ड ब्रेकिंग' के दावे किए।
इन रिकॉर्डों को लेकर किए गए दावों से क्या सबका टीकाकरण जल्दी हो जाएगा? एक दिन रिकॉर्ड बनाकर और बाक़ी दिनों में वैक्सीन की संख्या कम होने से रिकॉर्ड बनाने का क्या मतलब रह जाता है?
अब टीकाकरण के आँकड़ों का हिसाब रखने वाली को-विन वेबसाइट के आँकड़ों को पढ़िए। 21 जून के पहले और उसके बाद कितने लोगों को टीके लगाए गए। 20 जून को 29 लाख 37 हज़ार, 19 जून को 36 लाख 57 हज़ार, 18 जून को 32 लाख 1 हज़ार, 17 जून को 31 लाख 44 हज़ार, 16 जून को 33 लाख 55 हज़ार और 15 जून को 27 हज़ार 41 हज़ार खुराक लगाई गई थी। इससे पहले एक दिन में सबसे ज़्यादा टीके 2 अप्रैल को लगाये गये थे और तब 42 लाख 65 हज़ार 157 खुराक दी जा सकी थी। और अब 22 जून को 54 लाख 22 हज़ार खुराक लगाई गई। को-विन वेबसाइट के इस ग्राफ़ में टीकाकरण को समझा जा सकता है।
साभार: को-विन वेबसाइट
अब राज्यों में टीकाकरण के हालात कैसे हैं, इसे रिकॉर्ड टीकाकरण करने वाले मध्य प्रदेश के दावों से भी समझा जा सकता है। को विन वेबसाइट के अनुसार 21 जून को मध्य प्रदेश में रिकॉर्ड 17 लाख 44 हज़ार टीके लगाए गए। लेकिन आप यह जानकर हैरान रह जाएँगे कि इसी राज्य में एक दिन पहले यानी 20 जून को सिर्फ़ 692 टीके लगाए गए थे और एक दिन बाद 22 जून को सिर्फ़ 4 हज़ार 842 टीके ही लगाए जा सके। ऐसा क्यों? 19 जून को भी सिर्फ़ 22 हज़ार 6 टीके, 18 जून को 14862, 17 जून को 1 लाख 24 हज़ार, 16 जून को 3 लाख 38 हज़ार, 15 जून को 39 हज़ार टीके लगाए गए थे।
साभार: को-विन वेबसाइट
कर्नाटक में भी टीकाकरण की ऐसी ही स्थिति रही। 21 जून को वहाँ 11 लाख 59 हज़ार टीके लगाए गए जबकि एक दिन पहले सिर्फ़ 68 हज़ार 172 और 22 जून को 3 लाख 95 हज़ार टीके लगाए जा सके।
साभार: को-विन वेबसाइट
ऐसे ही टीकाकरण के आँकड़ों लेकर कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने रिकॉर्ड टीकाकरण पर सवाल उठाते हुए ट्वीट किया है। चिदंबरम ने मोदी सरकार के साथ ही प्रधानमंत्री मोदी पर भी निशाना साधा है। उन्होंने ट्वीट में लिखा, "रविवार को जमाखोरी, सोमवार को टीका लगाएँ और मंगलवार को लंगड़ाकर वापस लौट जाएँ। 'एक दिन' के टीकाकरण के विश्व 'रिकॉर्ड' के पीछे यही रहस्य है।
मुझे यकीन है कि इस 'करतब' को गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में जगह मिलेगी!"
बता दें कि पिछले दिनों वैक्सीन नीति को लेकर सरकार की जबरदस्त आलोचना होती रही थी। दिल्ली के हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक ने इसके लिए केंद्र सरकार की तीखी आलोचना की थी। सबसे ज़्यादा आलोचना वैक्सीन खरीद और वितरण का ज़िम्मा राज्यों को देने को लेकर थी। चौतरफ़ा आलोचनाओं के बीच सरकार ने हाल ही में वैक्सीन नीति में बदलाव की घोषणा की है।
इस नई नीति के अनुसार केंद्र ने 21 जून से 18 साल से ऊपर के सभी लोगों को मुफ्त में टीके उपलब्ध कराना शुरू कर दिया है और लगभग एक महीने पहले लागू किए गए नीतिगत फ़ैसले को उलटते हुए राज्यों से टीकाकरण का नियंत्रण वापस अपने हाथ में ले लिया है।
केंद्र ने अब कंपनियों द्वारा उत्पादित 75 प्रतिशत टीकों को खरीदने की प्रक्रिया भी शुरू की है। निजी अस्पताल शेष 25 प्रतिशत खरीदना जारी रखेंगे और इसके भुगतान करने के इच्छुक लोगों को टीका लगाएँगे।
21 जून से शुरू हुए इसी मुफ़्त टीकाकरण को लेकर दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन के बीच जुबानी जंग छिड़ गई। इसकी शुरुआत तब हुई जब हर्षवर्धन ने मनीष सिसोदिया के एक वीडियो की क्लिपिंग साझा की। उसमें मनीष सिसोदिया कहते सुने जा सकते हैं कि 21 जून से हरेक व्यक्ति को मुफ़्त में टीके लगाएँगे। वह वीडियो में कहते हैं, 'मैंने पता किया 21 जून से आगे अभी जून के महीने में एक भी वैक्सीन नहीं आई है।' इस वीडियो के साथ हर्षवर्धन ने लिखा कि मुख्यमंत्री केजरीवाल और उनके मंत्री 'झूठ' बोल रहे हैं।
हर्षवर्धन के इस ट्वीट की भाषा को लेकर सोशल मीडिया पर कई लोगों ने आपत्ति जताई। इस पर मनीष सिसोदिया ने जवाब में पूछा है कि केंद्र सरकार क्या दिल्ली को वैक्सीन देगी या दिल्ली सरकार ने जो वैक्सीन खरीदी है उसी से काम चलाना पड़ेगा?
इस पर हर्षवर्धन ने फिर से ट्वीट कर जवाब दिया, 'दिल्ली की जनता को भ्रम की वैक्सीन न लगाएं और न ही मन के कैलकुलेटर से आकलन करें। जून में दिल्ली सरकार ने जो 5.6 लाख डोज़ वैक्सीन ख़रीदी थीं,उसके अलावा केंद्र की ख़रीद के तहत दिल्ली को अतिरिक्त 8.8 लाख मुफ़्त डोज़ प्रदान की गई हैं और शेष आपूर्ति जून, 2021 के अंत तक पूरी की जाएगी।'
बहरहाल, 21 जून को जो रिकॉर्ड टीकाकरण किया गया है उसके अगले ही दिन टीके काफ़ी कम हो गए तो सवाल उठ रहा है कि क्या हर रोज़ अब आगे भी 90 हज़ार वैक्सीन लगाई जा सकेगी?
इसकी इससे भी पड़ताल की जा सकती है कि भारत में फ़िलहाल तीन कंपनियों की वैक्सीन- कोविशील्ड, कोवैक्सीन और स्पुतनिक वी को मंजूरी मिली है।
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर कहा था कि सीरम इंस्टीट्यूट के पास कोविशील्ड की 6.5 करोड़ खुराक हर महीने यानी क़रीब 21 लाख हर रोज़ तैयार करने की क्षमता है। लाइव मिंट की रिपोर्ट के अनुसार सीरम इंस्टीट्यूट अगस्त महीने तक 10 करोड़ हर महीने वैक्सीन बनाने की क्षमता हासिल कर लेगा।
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में केंद्र ने कहा था कि भारत बायोटेक अपनी निर्माण क्षमता जुलाई तक बढ़ाकर 5.5 करोड़ खुराक हर महीने यानी क़रीब 18 लाख खुराक हर रोज़ करने वाली है। इसके अलावा मई महीने में स्पुतनिक की पहली खुराक 1.5 लाख आई थी। भारत में अगस्त से इसके तैयार होने की उम्मीद है।
इसका मतलब है कि मौजूदा स्थिति में देश में हर रोज़ क़रीब 39 लाख वैक्सीन बन रही है। वह भी तब जब भारत बायोटेक की बढ़ी हुई क्षमता के साथ वैक्सीन को गिना जाए। सीरम इंस्टीट्यूट की क्षमता अगस्त में बढ़ने वाली है। इसमें से कुछ वैक्सीन ख़राब भी हो जाती है। तो फिर सवाल है कि हर रोज़ क़रीब 90 लाख वैक्सीन कैसे लगाई जाएगी?