ज्ञानवापी मस्जिद केस में वाराणसी की जिला अदालत का फैसला मंगलवार को आ सकता है। दरअसल, मस्जिद कमेटी ने जिला अदालत से कहा कि पहले यह तय हो कि वहां "रखरखाव" किस तरह किया जाएगा, इसलिए अदालत मंगलवार को फैसला करेगी कि क्या वह उस अनुरोध को स्वीकार करेगी। मस्जिद कमेटी ने जिला कोर्ट में कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जो निर्देश दिए हैं, उसका हर हालत में पालन हो।
जिला जज ए.के. विश्वेश को यह तय करना है कि कोड ऑफ सिविल प्रोसिजर 7.11 यानी आदेश 7 के नियम 11 के संदर्भ में यह याचिका सुनने योग्य है या नहीं। कोर्ट यह फैसला अब तक मिले सबूतों, वीडियोग्राफी के संदर्भ में लेगा। जिला कोर्ट में करीब 45 मिनट तक सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने 20 मई को ज्ञानवापी मामले को सीनियर जज वाराणसी को ट्रांसफर कर दिया था।
जिला कोर्ट में सोमवार को सुनवाई के दौरान सिर्फ 23 लोगों को जाने की अनुमति दी गई। अजय मिश्रा, जिन्हें कोर्ट कमिश्नर बनाने के बाद हटाया गया था, उन्हें अंदर जाने की अनुमति नहीं मिली। लेकिन दूसरे कोर्ट कमिश्नर विशाल सिंह को अंदर जाने की इजाजत मिली।
सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद में वीडियोग्राफी को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई करते हुए पिछले हफ्ते कहा था कि मामले की सुनवाई उत्तर प्रदेश के एक अनुभवी जज द्वारा की जाएगी। अदालत ने कहा था, यह एक जटिल और संवेदनशील मामला है। हमें लगता है कि मुकदमे की सुनवाई ट्रायल जज के बजाय जिला जज द्वारा की जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर ऐतराज जताया था कि कोर्ट कमिश्नर की रिपोर्ट अदालत में पहुंचने से पहले मीडिया को लीक की गई। सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया था कि कोर्ट के लिए दो समुदायों के बीच भाईचारे की जरूरत और शांति की की बात सबसे ऊपर है।
जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा था, हमें जमीन पर संतुलन और शांति की जरूरत है। हमें एक हद तक हीलिंग टच की जरूरत है। हम देश में संतुलन की भावना को बनाए रखने के लिए एक संयुक्त मिशन पर हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वहां मिले कथित 'शिवलिंग' की सुरक्षा की जाए लेकिन वहां नमाज और वजू जारी रहेगा। पिछले हफ्ते की शुरुआत में, हिंदू याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने दावा किया कि ज्ञानवापी मस्जिद-शृंगार गौरी परिसर की वीडियोग्राफी के दौरान एक 'शिवलिंग' पाया गया था। मस्जिद समिति के सदस्यों उसे वज़ूखाना में पानी का फव्वारा बताया था।