ज्ञानवापी मस्जिद मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में आज होगी। यह सुनवाई चीफ जस्टिस की बेंच के सामने हो सकती है। ज्ञानवापी के जिस वजूखाने में कथित तौर पर शिवलिंग पाने का दावा किया गया था, सुप्रीम कोर्ट ने उस जगह को 12 नवंबर तक सील करने का आदेश दिया था। उसकी समय सीमा इस शनिवार (12 नवंबर) को खत्म हो रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने मई में उस जगह को सील करने का आदेश दिया था, जब हिंदू याचिकाकर्ताओं के एक समूह ने दावा किया था कि बनारस की ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अंदर "शिवलिंग" पाया गया है।
यह मस्जिद मशहूर काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में है। उस कैंपस के अंदर का एक क्षेत्र अब भी साल में एक बार प्रार्थना के लिए हिंदू भक्तों के लिए खुलता है। पांच महिला याचिकाकर्ताओं ने अदालत का रुख करते हुए कैंपस में श्रृंगार गौरी मंदिर में 24 घंटे पूजा की अनुमति मांगी थी। वाराणसी की एक अदालत ने तब मस्जिद परिसर की वीडियोग्राफी का आदेश दिया था। सर्वे के दौरान "शिवलिंग" पाने का दावा हिंदू पक्ष ने किया था। इस वीडियो को अदालत में पेश किया जाना था लेकिन उससे पहले इसे लीक कर दिया गया।
हिंदू याचिकाकर्ताओं के समूह के वकील सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने दावा किया कि जैसे ही मस्जिद परिसर के अंदर वजूखाने से पानी निकाला गया, "शिवलिंग" उभरा था। "वज़ू" नमाज़ से पहले शरीर को पवित्र करने के लिए किया जाता है।
मस्जिद कमेटी ने "शिवलिंग" के दावे को खारिज कर दिया और कहा कि वो एक "फव्वारा" है। कमेटी ने एक याचिका भी दायर की कि जिसमें कहा गया कि शिवलिंग को लेकर हिंदू पक्ष की याचिका का कोई कानूनी आधार नहीं है। लेकिन मस्जिद कमेटी की अर्जी को वाराणसी कोर्ट ने खारिज कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने तब इलाके को सील करने का आदेश दिया था और प्रशासन को यह तय करने का निर्देश दिया था कि कोई भी इसमें प्रवेश न करे। लेकिन सुप्रीम कोर्ट में मस्जिद कमेटी के 15 लोगों को रोजाना वहां नमाज पढ़ने और वजू करने की इजाजत दी थी।
पिछले महीने मामले की सुनवाई कर रही वाराणसी की अदालत ने हिंदू याचिकाकर्ताओं द्वारा उस फव्वारे या शिवलिंग की कार्बन डेटिंग के लिए एक याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि कार्बन डेटिंग समेत वैज्ञानिक जांच से इलाके को सील करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन होगा।