सरकार ने संसद में कहा है कि पेगासस सॉफ़्टवेअर खरीदने के लिए इज़रायली कंपनी एनएसओ से कोई लेनदेन नहीं किया गया है। यह अहम इसलिए है कि इज़रायली कंपनी यह कह चुकी है कि वह सिर्फ़ सरकारों या उसकी एजंसियों को ही पेगासस सॉफ़्टवेअर देती है।
रक्षा राज्य मंत्री ने मंगलवार को राज्यसभा में सीपीआईएम सदस्य डॉक्टर वी. शिवदासन के एक सवाल के जवाब में यह कहा है। मंत्री ने सदन में एक बयान दिया, जिसमें यह कहा गया है।
डॉक्टर शिवदासन ने सरकार से सवाल किया था कि क्या सरकार ने पेगासस सॉफ़्टवेअर खरीदने के लिए एनएसओ टेक्नोलोजीज़ से कोई लेनदेन किया है, यदि हाँ तो उसे विस्तार से बताया जाए।
मंत्री ने लिखित जवाब दिया, जिसमें कहा गया है, "रक्षा मंत्रालय ने एनएसओ टेक्नोलोजीज़ से ऐसा कोई लेनदेन नहीं किया है।"
क्या है पेगासस?
बता दें कि फ्रांसीसी मीडिया ग़ैर-सरकारी संगठन फॉरबिडेन स्टोरीज़ ने स्पाइवेअर पेगासस बनाने वाली इज़रायली कंपनी एनएसओ के लीक हुए डेटाबेस को हासिल किया तो पाया कि उसमें 10 देशों के 50 हज़ार से ज़्यादा लोगों के फ़ोन नंबर हैं।
इनमें से 300 भारतीय हैं। इस संगठन ने 16 मीडिया कंपनियों के साथ मिल कर इस पर अध्ययन किया। इसमें भारतीय मीडिया कंपनी 'द वायर' भी शामिल है।
सुप्रीम कोर्ट ने बताया गंभीर मामला
इसके पहले पिछले हफ़्ते पेगासस सॉफ़्टवेअर के ज़रिए जासूसी कराने के मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि मीडिया में छपी ख़बरें सहीं हैं तो ये गंभीर आरोप हैं।
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एन. वी. रमना और जस्टिस सूर्यकांत की सुप्रीम कोर्ट बेंच ने पेगासस सॉफ़्टवेअर मामले की सुनवाई गुरुवार को की।
क्या पेगासस सॉफ़्टवेअर से जासूसी कराने के मामले में मोदी सरकार वाकई फँस गई है? देखें, वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष का यह वीडियो।