केंद्रीय मंत्री और अब मध्य प्रदेश भाजपा के बड़े नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक मंत्री गोविंद सिंह राजपूत भ्रष्टाचार के आरोप में घिर गये हैं। मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार में राजस्व और परिवहन महकमे के मंत्री राजपूत को 58 साल की उम्र में ससुराल पक्ष से 50 एकड़ जमीन ‘दान’ में मिली है। जमीन के पंजीयन में नियम विरूद्ध छूट का आरोप मंत्री पर लग रहा है। जमीन की कीमत 100 करोड़ रुपये बताई जा रही है।
पूरा मामला बेहद सनसनीखेज और चौंकाने वाला है। मामला सामने आते ही कांग्रेस ने राजपूत और भाजपा को घेर लिया है। उधर, भाजपा से निष्कासित किये गये सागर जिले के किसान नेता ने भी गोविंद सिंह राजपूत (सागर से ही आते हैं) पर बेहद गंभीर आरोप लगाये हैं।
सागर-भोपाल रोड पर भापेल गांव में कल्पना सिंघई से 2021 में मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के साले हिमाचल सिंह और करतार सिंह ने करोड़ों की ये ज़मीन ख़रीदी और अगले ही साल मंत्री एवं उनके परिवारजनों को दान कर दी। दान में दी गई जमीन की 21 टुकड़ों में अलग-अलग रजिस्ट्रियां स्वयं गोविंद सिंह, उनकी पत्नी और दो बच्चों के नाम से होना बताया गया है।
भू राजस्व संहिता अधिनियम का लाभ भी लिया!
सूत्रों के अनुसार मंत्री और उनके परिजनों को ससुराल से दान में मिली जमीन का नये सिरे से पंजीयन कराये जाने के समय मध्य प्रदेश भू राजस्व अधिनियम 1959 की धारा 58 (3) के अंतर्गत मिलने वाला लाभ दिया गया है। यह लाभ गोविंद सिंह राजपूत के परिजनों को मिला है। आरोप लगाया जा रहा है कि गलत तरीके से धारा में लिये गये लाभ की वजह से सरकारी खजाने को पंजीयन से मिलने वाली राशि की हानि हुई है। सवाल यह उठाया जा रहा है कि इस तरह का लाभ उन्हें नहीं मिलना चाहिए था।
इस पूरे गड़बड़झाले में यह भी सामने आ रहा है कि यह जमीन साल भर पहले ‘असिंचित’ थी, पंजीयन के कुछ ही वक्त के बाद ‘सिंचित’ हो गई है।
शिवराज ने दी है लूट की छूट: कांग्रेस
कांग्रेस नेता जीतू पटवारी ने इस पूरे मामले में राजपूत को घेरते हुए मीडिया से कहा है, ‘ऐसी गड़बड़ियां शिवराज सिंह सरकार में ही संभव हैं। ये वही मंत्री हैं, जिन्होंने बयान दिया था कि मैं जनसेवा के लिए कांग्रेस की सरकार गिरा रहा हूं। जनसेवा मेरा मुख्य उद्देश्य है, इसलिए मैं भाजपा में जा रहा हूं। कांग्रेस मेरी मां थी, अब मेरी मां को छोड़कर दूसरी मां को अपना रहा हूं।’
पटवारी ने आगे कहा, ‘अब 58 साल की उम्र में इनके सालों ने इन्हें जमीन दान में दी है। जिन सालों के पास कुल 100 एकड़ जमीन नहीं है, उन्होंने साल 2021 में खरीदी हुई 50 एकड़ जमीन इन्हें दे दी। ये यह एहसास कराता है कि शिवराज सिंह ने अपनी सरकार बनाने के लिए लूट की छूट दी थी।’
पूरे मामले पर गोविंद सिंह की सफाई अभी नहीं आयी है। मीडिया ने उनसे बात करने का प्रयास किया है। अपनी संक्षिप्त प्रतिक्रिया में उन्होंने टालते हुए इतना भर कहा है, ‘घबरायें नहीं, पूरा मामला क्या है, इसका जवाब वे आराम से देंगे।’
उधर, कमल नाथ सरकार में मंत्री रहे कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक पीसी शर्मा सवाल उठाते हुए कह रहे हैं, ‘यह अवैध दहेज जैसा मामला है। जो जमीन दान में दी गई है, वह रजिस्ट्री से पहले असिंचित थी, बाद में सिंचित हो गई। यह घपला है। इस घपले के जरिए राजस्व विभाग को नुकसान पहुंचाया गया। इस घपले की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। जांच के पहले राजपूत को मंत्री पद से हटाना चाहिए।’
सागर में बीजेपी किसान मोर्चा के पूर्व जिला अध्यक्ष राजकुमार सिंह धनौरा ने भी जमीन खरीदने में भ्रष्टाचार के आरोप लगाये हैं। उन्होंने कहा, ‘जमीन दान का पूरा मामला एक बड़ा फर्जीवाड़ा है। इसमें कालेधन का इस्तेमाल हुआ है। सालों के नाम पर मंत्री ने अपने काले धन को ठिकाने लगाने के मकसद से यह यह षड्यंत्र रचा है। इसकी जांच होनी चाहिए। मैं सरकार से मांग करता हूं कि इन पर कार्रवाई करें।’ धनौरा को हाल ही में पार्टी ने 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया था।
मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार में भी गोविंद सिंह राजपूत राजस्व महकमा संभालते थे। कमलनाथ की सरकार गिरने के बाद ये भाजपा के साथ आ गए और शिवराज सरकार में भी वही मंत्रालय संभाल रहे हैं।
हाई कोर्ट ने मंत्री की अर्जी ठुकराई
तीन दिन पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव आरोपों में घिरे थे। उनके निर्वाचन क्षेत्र में पहुंची एक युवती ने अनेक गंभीर आरोप शिवराज सरकार में उद्योग महकमा देखने वाले राजवर्धन सिंह पर लगाये थे। युवती के हंगामा करते और आरोप लगाते एक के बाद एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे। वीडियो वायरल होने के कुछ घंटों बाद मंत्री पर अनेक गंभीर आरोप लगाने वाली युवती अपने पुराने बयानों से पलटकर मंत्री के पक्ष में आ खड़ी हुई थी। पूरा मामला मीडिया की सुर्खियां बना था।
मंत्री राजवर्धन सिंह मामले को लेकर हाईकोर्ट पहुंचे थे। उन्होंने याचिका लगाई थी कि सोशल मीडिया और अन्य मीडिया माध्यमों पर चल रहीं/छप रहीं भ्रामक खबरों से उनकी छवि धूमिल हो रही है, ऐसी खबरों को रोकने का आदेश कोर्ट दे।
कोर्ट ने सुनवाई के बाद कहा, ‘ऐसी रिपोर्टिंग रोके जाने का आदेश अदालत कैसे दे सकती है? याचिकाकर्ता खुद डीजीपी के समक्ष बात रख सकते हैं। हाई कोर्ट पुनः इस मामले को सुन रही है।