आख़िरकार विकास दुबे भी मुठभेड़ में मारा गया 

11:57 am Jul 10, 2020 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

गैंगस्टर विकास दुबे मुठभेड़ में मारा गया। पुलिस ने इसकी पुष्टि कर दी है। उसके कई साथी मुठभेड़ में पहले ही मारे जा चुके हैं। मध्य प्रदेश के उज्जैन में गिरफ़्तार हुए उत्तर प्रदेश के गैंगस्टर को कानपुर ले जाने के दौरान रास्ते में गाड़ी पलट गई थी। पुलिस ने दावा किया है कि इस हादसे के बाद विकास दुबे हथियार पुलिसकर्मियों से छीनकर भागने की कोशिश की। इस दौरान मुठभेड़ हुई। पुलिस का कहना है कि उसने पुलिसकर्मियों पर गोली चला दी, इसके जवाब में पुलिस ने भी आत्म सुरक्षा में गोली चलाई। इसमें विकास दुबे को गोली लगी। इस घटना के बाद विकास दुबे को अस्पताल में लाया गया जहाँ डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। 

8 पुलिसकर्मियों की हत्या का मुख्य आरोपी विकास दुबे को आज कानपुर में कोर्ट में पेश किया जाना था। उत्तर प्रदेश की एसटीएफ़ उज्जैन विकास दुबे को लेकर कानपुर लेकर जा रही थी। जिस गाड़ी में विकास दुबे को ले जाया जा रहा था वह गाड़ी रास्ते में ही कानपुर के पास भौंती के पास पलट गई। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, एसटीएफ़ ने कहा है कि गाड़ी पलटने के बाद विकास दुबे ने पुलिसकर्मियों से हथियार छीनकर भागने की कोशिश की। इसी दौरान मुठभेड़ हो गई। इस मुठभेड़ में ही वह मारा गया। यह मुठभेड़ शुक्रवार सुबह क़रीब साढ़े सात बजे हुई। कहा जा रहा है कि कई पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। हालाँकि यह साफ़ नहीं है कि वे गोली लगने से घायल हुए हैं या फिर गाड़ी के पलटने से। (वीडियो में देखिए घटना स्थल की स्थिति)

उत्तर प्रदेश के कानपुर में आठ पुलिस वालों को मौत के घाट उतारने वाले मोस्ट वांटेड गैंगस्टर विकास दुबे को उज्जैन में पकड़ा गया था, लेकिन उस पर भी विवाद था। कुछ रिपोर्टों में कहा गया था कि उसने सरेंडर किया था, हालाँकि पुलिस गिरफ़्तारी का दावा कर रही है। 

उस घटना के बाद से विकास फरार था। उसके हरियाणा के फरीदाबाद में होने की सूचना आई थी। पुलिस को वहाँ से चकमा देकर भागने की जानकारियाँ भी आई थीं। यूपी पुलिस ने पाँच लाख रुपये का इनाम उस पर घोषित किया था। यूपी पुलिस सरगर्मी से विकास की तलाश कर रही थी।बता दें कि विकास दुबे पर 60 आपराधिक मुक़दमे दर्ज थे। दुबे का नाम पहली बार चर्चा में तब आया था, जब उसने 2001 में उत्तर प्रदेश सरकार के तत्कालीन राज्यमंत्री संतोष शुक्ला की पुलिस थाने के अंदर हत्या कर दी थी। शुक्ला राजनाथ सिंह की सरकार में मंत्री थे। विकास दुबे काफी समय से गैंग बनाकर लूटपाट और हत्याएँ कर रहा था और इसीलिए उसका एक लंबा आपराधिक इतिहास रहा था। 

मुठभेड़ पर सवाल

जिस समय विकास दुबे के गिरफ़्तार होने की ख़बर आई थी उसी समय यह आशंका जताई गई थी कि कोर्ट में पेश किए जाने से पहले कहीं उसे मुठभेड़ में मार तो नहीं दिया जाएगा। और हुआ भी यही। इस मुठभेड़ पर सवाल खड़े होते रहेंगे। 

ये सवाल इसलिए भी खड़े होंगे क्योंकि कई रिपोर्टों में यह कहा गया कि विकास दुबे ने सरेंडर किया है। यह इस बात की भी पुष्टि करता है कि महाकाल मंदिर में वह कहता है कि 'मैं विकास दुबे हूँ कानपुर वाला'। और जब पुलिस ने दावा किया कि उसे गिरफ़्तार किया गया है तब विकास दुबे के पास कोई हथियार भी नहीं था। एक सवाल यह भी खड़ा हो रहा है कि उस गाड़ी में एसटीएफ़ के जवान थे और उसमें सिर्फ़ विकास दुबे ही अपराधी था। जब गाड़ी पलटी तब एक बदमाश क्या उतने सारे पुलिसकर्मियों से बंदूक छीन कर भाग सकता है और क्या उसे पकड़ना इतना मुश्किल हो सकता है कि उसे गोली मारना पड़े!

ऐसी ही मुठभेड़ उसके सहयोगी के साथ भी हुई थी

हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के दो सहयोगी गुरुवार सुबह अलग-अलग मुठभेड़ में मारे गए थे। इन दोनों में से एक तो हिरासत में था और पुलिस के अनुसार कानपुर ले जाने के दौरान भागने की कोशिश में मारा गया, जबकि दूसरे के साथ पुलिस की आमने-सामने की मुठभेड़ हुई। इस मामले में मुठभेड़ में विकास दुबे का एक सहयोगी बुधवार को भी मारा गया था। गुरुवार को जिस आरोपी ने भागने की कोशिश की थी उसका नाम प्रभात मिश्रा था। उसे उस मुठभेड़ से एक दिन पहले ही दो अन्य आरोपियों के साथ गिरफ़्तार किया गया था। पुलिस का दावा है कि कानपुर ले जाने के दौरान उसने रास्ते में भागने का प्रयास किया। पुलिस के अनुसार, 'प्रभात के साथ वाले पुलिसकर्मी पुलिस वैन के टायर को बदलने की कोशिश कर रहे थे, तभी प्रभात ने उनसे पिस्तौल छीन ली और भागने की कोशिश की। उसने पुलिसकर्मियों पर गोली चला दी और पुलिसकर्मियों ने जवाबी कार्रवाई की। उसे पैर में गोली लगी और उसे अस्पताल ले जाया गया। इससे उसकी मौत हो गई।'

बता दें कि कानपुर देहात के बिकरू गाँव में गुरुवार देर रात को हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे को पकड़ने गई पुलिस टीम पर बदमाशों ने हमला कर दिया था। इसमें 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए। शहीद होने वालों में डिप्टी एसपी और बिल्होर के सर्किल अफ़सर देवेंद्र मिश्रा, स्टेशन अफ़सर शिवराजपुर महेश यादव भी शामिल थे। दो सब इंस्पेक्टर और चार सिपाही भी शहीद हुए हैं। इसके अलावा सात पुलिस कर्मी घायल हुए थे।