दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों के प्रतिनिधियों ने यूक्रेन में युद्ध पर रुस की निन्दा करने वाले प्रस्ताव की भाषा पर समझौता कर लिया है। रॉयटर्स ने सूत्रों के जरिए यह खबर दी है। बड़े देश रूस की निन्दा करना चाहते हैं लेकिन कुछ अन्य देशों ने इसका विरोध किया। तब भारत ने एक प्रस्ताव ड्राफ्ट किया, जिसकी भाषा में परिवर्तन किया गया है। हालांकि अभी भी इस बारे में बहुत स्पष्ट स्थिति नहीं है। किसी भी क्षण कोई भी देश पीछे हट सकता है।
रॉयटर्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि जी20 यूक्रेन में युद्ध को लेकर गहराई से विभाजित है, पश्चिमी देश रूस की कड़ी निंदा पर जोर दे रहे हैं जबकि अन्य व्यापक आर्थिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने की मांग कर रहे हैं। हालांकि रॉयटर्स ने बाद में कहा कि पीएम मोदी ने घोषणा की है कि जी20 देशों के नेताओं के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया गया है। रॉयटर्स ने कहा कि पीएम मोदी ने यह साफ नहीं किया कि जी20 नेताओं ने किस घोषणा प्रस्ताव को स्वीकार किया और उसमें रूस-यूक्रेन युद्ध का जिक्र है या नहीं।
रॉयटर्स को सूत्र ने बताया कि शेरपा कहे जाने वाले कई देश के प्रतिनिधियों ने अंतिम ड्राफ्ट में इस्तेमाल की जाने वाली भाषा पर समझौता कर लिया है, जिसे नेताओं के सामने पेश किया जाएगा। हालांकि इस बारे में फौरन कोई विवरण उपलब्ध नहीं है, लेकिन यह 2022 शिखर सम्मेलन में इंडोनेशिया में जारी घोषणापत्र की भाषा के समान हो सकता है, जिसमें कहा गया था कि जहां अधिकांश देशों ने आक्रमण के लिए रूस की निंदा की, वहीं कुछ देशों के विचार अलग-अलग भी थे।
इससे पहले जो ड्राफ्ट तैयार किया गया था, उसकी रॉयटर्स ने समीक्षा की थी। शिखर घोषणा के उस पहले मसौदे के अनुसार, वार्ताकार यूक्रेन में युद्ध शब्द पर असहमति को हल करने में नाकाम थे। इसलिए इस पर समझौता करने का निर्णय नेताओं पर छोड़ दिया गया।
सदस्यों के बीच बांटे किए गए 38 पेज के ड्राफ्ट में "भूराजनीतिक स्थिति" पैराग्राफ को खाली छोड़ दिया गया था, जबकि इसमें कई मुद्दों को कवर करने वाले 75 अन्य पैराग्राफों पर सहमति जताई गई थी।
रूस का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव कर रहे हैं। उन्होंने कहा है कि वह अंतिम घोषणा को तब तक रोकेंगे जब तक कि यह यूक्रेन और अन्य संकटों पर मास्को की स्थिति को प्रतिबिंबित नहीं करता।
सूत्र ने रॉयटर्स को बताया कि संयुक्त घोषणा पर समझौता हो भी सकता है और नहीं भी। इसमें अलग-अलग देशों के विचार बताते हुए अलग-अलग पैराग्राफ हो सकते हैं। या फिर यह सहमति और असहमति को एक पैराग्राफ में दर्ज कर सकता है।
जी20 देशों में से एक देश के वरिष्ठ सूत्र के अनुसार, यूक्रेन पर युद्ध के पैराग्राफ पर पश्चिमी देशों ने सहमति जताई थी और रूस को उसके विचार जानने के लिए भेजा गया था। इस अधिकारी ने कहा कि रूस के पास पश्चिमी देशों के विचारों को स्वीकार करने और बयान के हिस्से के रूप में अपनी असहमति देने का विकल्प है।
अगर सहमति नहीं बनी तो क्या होगा
संयुक्त घोषणापत्र पर किसी समझौते के अभाव में बतौर अध्यक्ष भारत को एक बयान जारी करेगा। यानी वो शिखर सम्मलेन के अध्यक्ष की चेयर से जारी होगा। इसका मतलब यह होगा कि 20 वर्षों के शिखर सम्मेलन में पहली बार जी20 में कोई घोषणापत्र नहीं होगा।यूक्रेन युद्ध पर अलग-अलग विचारों के कारण इस वर्ष अब तक भारत की जी20 अध्यक्षता के दौरान मंत्रिस्तरीय बैठकों में एक भी घोषणापत्र पर सहमति नहीं बन पाई है।