मोदी सरकार के आर्थिक कुप्रबंधन के कारण हालात ख़राब: मनमोहन सिंह

04:58 pm Sep 01, 2019 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की पहचान एक ऐसे अर्थशास्त्री के रूप में रही है जिन्होंने 2008 में जब दुनिया में मंदी की आहट थी, तब भी भारत को इसके असर से बचाये रखा था। मनमोहन सिंह अमूमन बेहद कम बोलते हैं लेकिन जब बोलते हैं तो सरकार को बताते हैं कि आर्थिक स्तर पर वह कहाँ ग़लत है और देश को इससे क्या नुक़सान हो रहा है। मनमोहन सिंह ने आज फिर देश की अर्थव्यवस्था की ख़राब हालत को लेकर चिंता जताई है और मोदी सरकार को चेताया है। बता दें कि अर्थव्यवस्था की हालत ठीक नहीं है और उद्योग-धंधों से लगातार छंटनी की ख़बरें आ रही हैं।

पूर्व प्रधानमंत्री ने वीडियो जारी कर कहा, ‘अर्थव्यवस्था की हालत बेहद चिंताजनक है। पिछली तिमाही में हमारी जीडीपी वृद्धि दर 5 फ़ीसदी रही है और यह इस ओर इशारा करती है कि हम लंबे समय से मंदी के दौर में हैं।’

देश में वित्त मंत्रालय भी संभाल चुके सिंह ने सरकार से अपील की कि ऐसे समय में अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए उसे सभी से बातचीत करनी चाहिए। सिंह ने कहा कि हमारे देश में बहुत तेज़ी से विकास करने की क्षमता है लेकिन मोदी सरकार के कुप्रंबधन के चलते मंदी छा गई है। 

उन्होंने कहा, ‘यह बेहद निराशाजनक है कि मैन्युफ़ैक्चरिंग सेक्टर की वृद्धि दर 0.6 फ़ीसद हो गई है। इससे यह साफ़ हो जाता है कि हमारी अर्थव्यवस्था अभी तक मानवजनित नोटबंदी और जल्दबाज़ी में लागू की गई जीएसटी से अब तक नहीं उबर पाई है।’

उन्होंने कहा, ‘निवेशकों में निराशा का माहौल है और इससे कहीं से भी नहीं कहा जा सकता कि अर्थव्यवस्था की हालत सुधर सकती है।’ 

मनमोहन सिंह ने मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि उसकी नीतियों के कारण नौकरियाँ जा रही हैं और ऑटोमोबाइल सेक्टर में 3.5 लाख नौकरियाँ जा चुकी हैं और इसी तरह असंगठित क्षेत्र में भी नौकरियाँ जाने का ख़तरा है। उन्होंने कहा कि इससे हमारे कर्मचारियों को सबसे ज़्यादा नुक़सान होगा।

पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, ‘घरेलू माँग की स्थिति बेहद चिंताजनक है और वस्तुओं के उपभोग की दर 18 महीने के सबसे निचले स्तर पर पहुँच गई है। जीडीपी ग्रोथ भी 15 साल में सबसे कम है। इसके अलावा टैक्स से होने वाले राजस्व में भी कमी आई है। छोटे से लेकर बड़े कारोबारियों तक में टैक्स टेररिज्म का ख़ौफ़ बना हुआ है।’

मनमोहन सिंह ने आगे कहा, ‘ग्रामीण भारत की स्थिति भी बेहद ख़राब है क्योंकि किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य नहीं मिल पा रहा है और ग्रामीणों की आय गिर गई है।’

सिंह ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार गिरती महँगाई दर को अपनी सफलता बता रही है लेकिन यह हमारे देश के किसानों और उनकी आय की क़ीमत पर हासिल की गई है, जिससे देश की 50 फीसद आबादी को चोट पहुँची है। उन्होंने यह भी कहा कि इस सरकार में आंकड़ों की विश्वसनीयता सवालों के घेरे में है। पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे संस्थानों पर लगातार हमला हो रहा है और उनकी स्वायत्ता को ख़त्म किया जा रहा है।

पूर्व प्रधानमंत्री ने आगे कहा, ‘बजट की घोषणाओं और इसे वापस लेने के कारण अंतर्राष्ट्रीय निवेशकों के विश्वास को झटका लगा है। भारत भौगोलिक-राजनीतिक गठजोड़ों के कारण वैश्विक व्यापार में जो मौक़े बने थे, उनका लाभ उठाते हुए भी अपने व्यापार को नहीं बढ़ा पाया। मोदी सरकार में आर्थिक प्रबंधन की ऐसी हालत हो चुकी है।’