नये कृषि क़ानूनों पर सरकार के साथ गतिरोध दूर नहीं होने पर किसानों ने अपना आंदोलन अब और तेज़ कर दिया है। उन्होंने घोषणा की है कि वे दिल्ली-जयपुर हाइवे पर रविवार को प्रदर्शन करेंगे। हज़ारों किसान ट्रैक्टर रैली निकालेंगे। सोमवार से यह और भी तेज़ होगा।
यह कृषि आंदोलन का 18वाँ दिन है। शनिवार को किसानों ने 17 दिन पूरे कर लिए हैं। प्रधानमंत्री मोदी के आश्वासन के बाद भी वे प्रदर्शन से वापस हटने को राज़ी नहीं हुए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि उनकी सरकार किसानों के हित की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
फिक्की के 93 वें वार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा था कि कृषि सुधारों से किसानों को नए बाज़ार और प्रौद्योगिकी तक पहुँच मिलेगी और कृषि क्षेत्र में निवेश लाने में मदद मिलेगी जिससे कृषक समुदाय को लाभ होगा। मोदी ने कहा कि कृषि क्षेत्र में लगे लोगों की आय में सुधार के लिए सरकार ने कई पहलें की हैं, किसानों के पास अब मंडियों के साथ-साथ बाहरी पार्टियों में भी अपनी फ़सल बेचने के विकल्प हैं।
प्रधानमंत्री के आश्वासन के बाद ही किसानों ने आंदोलन को तेज़ करने की घोषणा कर दी।
शनिवार शाम को सिंघु बॉर्डर पर प्रेस कॉन्फ्रेन्स में किसान नेता कमलप्रीत पन्नू ने कहा कि किसान संगठन चाहते हैं कि इन क़ानूनों को तुरंत वापस लिया जाए और उन्हें किसी भी तरह का संशोधन स्वीकार नहीं है। उन्होंने कहा कि हम सरकार से बातचीत के लिए तैयार हैं।
पन्नू ने कहा कि किसानों ने फ़ैसला लिया है कि इस आंदोलन को और बढ़ाया जाएगा। रविवार को राजस्थान के शाहजहांपुर से हज़ारों किसान ट्रैक्टर-ट्रालियों में निकलेंगे और 11 बजे दिल्ली-जयपुर हाईवे को जाम करेंगे।
उन्होंने कहा कि 14 दिसंबर को आंदोलनकारी देश भर में सुबह 8 से शाम 5 बजे तक डीएम कार्यालयों के बाहर धरना देंगे। पन्नू ने कहा कि 15 दिसंबर के बाद मज़दूरों और महिलाओं की भी किसान आंदोलन में भागीदारी होगी।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि 14 दिसंबर को किसान सिंघु बॉर्डर पर भूख हड़ताल करेंगे। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार हमारे आंदोलन को फ़ेल करना चाहती है लेकिन हम शांतिपूर्वक इसे जारी रखेंगे।
भारतीय किसान यूनियन की हरियाणा इकाई के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा कि अगर सरकार ने किसानों की मांगें नहीं मानी तो 19 दिसंबर से सिंघु बॉर्डर पर अनिश्चितकालीन अनशन शुरू कर दिया जाएगा। चढ़ूनी ने आरोप लगाया कि दिल्ली की ओर आ रही किसानों की ट्रैक्टर ट्रालियों को रोका जा रहा है। इस बीच दिल्ली पुलिस ने शनिवार को सुरक्षा बढ़ा दी और कई सीमा प्वाइंट पर अधिक बैरियर लगा दी।
कांग्रेस ने सरकार पर विरोधियों को 'माओवादी’ या ‘राष्ट्र-विरोधी’ घोषित करने का आरोप लगाया है और केंद्र से प्रदर्शन करने वाले किसानों की माँगों को मानने का आग्रह किया है।
विरोधी दलों का यह कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के उस बयान के एक दिन आया है जिसमें उन्होंने कहा था कि 'असामाजिक तत्व' किसानों के विरोध प्रदर्शन की आड़ में साज़िश रच रहे हैं और उन्होंने किसान समुदाय से अपने मंच के 'दुरुपयोग' नहीं होने देने का आह्वान किया था।
कई दौर की बातचीत के फ़ेल होने के बाद अब किसान लंबी और जोरदार लड़ाई के लिए मैदान में डट चुके हैं। सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर हरियाणा-पंजाब और कई राज्यों से किसानों का आना जारी है। ऐसे में जब किसान आंदोलन तेज़ होता जा रहा है तो सरकार के भी हाथ-पांव फूल चुके हैं।
शनिवार को दिन में किसानों ने अंबाला में शंभु टोल प्लाजा को फ्री कर दिया। इसके अलावा करनाल में बस्तारा टोल प्लाजा और यूपी-ग़ाज़ियाबाद बॉर्डर पर छिजारसी टोल को भी फ्री कर दिया गया। किसानों के आंदोलन को देखते हुए हरियाणा के पलवल, फरीदाबाद और दिल्ली-जयपुर हाईवे पर बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। उत्तर प्रदेश में सभी 130 टोल प्लाजा पर पुलिसकर्मी तैनात हैं। फ़ायर ब्रिगेड और बाक़ी आपातकालीन सेवाओं को अलर्ट पर रखा गया है।