शनिवार दोपहर निहत्थे किसानों के समूह ने हरियाणा के शंभू बॉर्डर से दिल्ली की ओर मार्च करने का नई कोशिश की। लेकिन हरियाणा पुलिस ने 101 निहत्थे किसानों पर फिर से आंसू गैस और पानी की बौछारें छोड़ीं। इससे पहले, आंदोलनकारी किसानों ने 6 और 8 दिसंबर को ऐसी ही कोशिश की थी। उन्हें तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े गए और पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया। तब कुल 22 किसान घायल हुए थे। हरियाणा सरकार ने शनिवार को किसानों के मार्च के मद्देनजर अंबाला जिले के अधिकार क्षेत्र में आने वाले क्षेत्रों में इंटरनेट सेवाओं को 17 दिसंबर को सुबह 6 बजे से रात 11:59 बजे तक निलंबित कर दिया।
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17 किसानों के घायल होने के बाद किसानों ने शनिवार के लिए अपना दिल्ली मार्च फिलहाल स्थगित कर दिया। किसान नेताओं का कहना है कि अगर सरकार निहत्थे किसानों से डर रही तो इसमें क्या किया जा सकता है।
बहरहाल, किसानों का आंदोलन आंसू गैस और लाठीचार्ज के बावजूद जारी है। वो दस महीने से पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर बैठे हैं। लेकिन हरियाणा सरकार ने उनका रास्ता रोक रखा है। इस बीच किसान नेता दल्लेवाल की हालत बिगड़ती जा रही है।
किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने पहले कहा था कि किसान नेताओं जसविंदर सिंह लोंगोवाल, मलकीत सिंह गुलामीवाला 101 किसानों के निहत्थे मरजीवड़ा जत्थे का शनिवार को नेतृत्व करेंगे। किसानों ने आरोप लगाया कि सरकारी एजेंसियां शांतिपूर्ण विरोध को विफल करने और जनता की भावना को किसानों के खिलाफ करने की कोशिश कर रही हैं। पंधेर ने कहा कि “हमारे पास सूचनाएं हैं कि कुछ असामाजिक तत्व भीड़ में घुसेंगे और हमारे शांतिपूर्ण विरोध में बाधा डालने की कोशिश करेंगे। हमने अधिकारियों को इसके बारे में सूचित कर दिया है और अपने कार्यकर्ताओं को सतर्क कर दिया है।”
किसान नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट के उस निर्देश का भी स्वागत किया जिसमें सरकार को गतिरोध खत्म करने के लिए किसानों के साथ बातचीत करने के लिए कहा है। दूसरी ओर, बीजेपी के राज्यसभा सदस्य रामचंदर जांगड़ा के विवादित बयान से शंभू बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसान नेताओं में आक्रोश फैल गया है। जांगड़ा ने विवादित बयान में कहा था कि 2020-2021 में किसानों के पहले आंदोलन के दौरान सिंघू और टिकरी बॉर्डर के पास 700 लड़कियां गायब हो गईं। बीजेपी सांसद जांगड़ा ने किसानों के चरित्रहनन की कोशिश की है। किसान नेताओं ने मांग की है कि जांगड़ा पर एफआईआर करके उन्हें फौरन गिरफ्तार किया जाए।
दल्लेवाल पर सुप्रीम कोर्ट का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि केंद्र और पंजाब सरकार प्रदर्शनकारी किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल को फौरन मेडिकल सहायता भेजे। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की बेंच ने कहा कि दल्लेवाल को अनशन तोड़ने के लिए मजबूर किए बिना मेडिकल मदद दी जानी चाहिए।" उन्होंने हरियाणा और पंजाब की राज्य सरकारों को किसानों से सीधा संवाद करने को कहा। अदालत ने कहा कि किसान नेता दल्लेवाल की जान आंदोलनों से भी ज्यादा कीमती है...।
किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल का आमरण अनशन जारी है।
शंभू सीमा पर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों से बात करने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति ने शुक्रवार को कहा कि वह किसानों से राजमार्गों को खाली करने और ट्रैफिक शुरू करने के लिए मनाने की कोशिश करेगी। अदालत ने इस पर भी चिंता जताई है।
इस बीच, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और पंजाब के एडवोकेट जनरल गुरमिंदर सिंह ने प्रदर्शनकारियों को अपना स्थान बदलने के लिए मनाने की कोशिश करने के समिति के सुझाव पर सहमति व्यक्त की है।
(इस रिपोर्ट का संपादन यूसुफ किरमानी ने किया)