दिल्ली विधानसभा कमेटी के सामने पेश होने से फ़ेसबुक का इनकार, कहा, मामला केंद्र का 

07:15 pm Sep 15, 2020 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

बीजेपी नेताओं के नफ़रत फैलाने वाले पोस्ट नहीं हटाने का आरोप झेल रहा फ़ेसबुक अपने रुख पर अड़ा हुआ है और दूसरे ग़ैर-बीजेपी दल की दिल्ली सरकार को ठेंगा दिखा रहा है। फ़ेसबुक इंडिया का रवैया इससे समझा जा सकता है कि दिल्ली विधानसभा की कमेटी के बुलाने पर कंपनी का कोई प्रतिनिधि नहीं गया।

अड़ियल फ़ेसबुक

दिल्ली विधानसभा की शांति व सद्भाव समिति ने फ़ेसबुक इंडिया के शीर्ष अधिकारियों को नोटिस भेज कर बुलाया था। एनडीटीवी ने एक ख़बर में कहा है कि मंगलवार को वह बैठक होनी थी। पर फ़ेसबुक का कोई आदमी उसमें नही गया।

जले पर नमक छिड़कने का बर्ताव करते हुए फ़ेसबुक ने टका सा जवाब दिया है कि यह मामला केंद्र के तहत आता है और वह संसद की एक समिति के सामने पहले ही पेश हो चुका है।

यानी, फ़ेसबुक इंडिया के लोग दिल्ली विधानसभा की शांति व सद्भाव समिति के सामने पेश नहीं होगे। इस समिति ने बौखला कर कहा है कि वह कंपनी को एक अंतिम चेतावनी देगी।

टका सा जवाब!

फ़ेसबुक इंडिया ने एक बयान में कहा कि लोकसभा की स्थायी समिति ने यह मुद्दा उठाया और उसके लोग संसदीय समिति के सामने पेश हो चुके हैं, लिहाज़ा, दिल्ली विधानसभा को अपना समन वापस ले लेना चाहिए।समिति को लिखी चिट्ठी में इस सोशल मीडिया साइट ने कहा है, 

'फ़ेसबुक का नियमन पूरी तरह भारतीय संघ के तहत आता है। चूंकि यह मामला संसद के पास विचाराधीन है, हम आपके नोटिस और बुलावे का विरोध करते हैं।'


फ़ेसबुक इंडिया की चिट्ठी का अंश

विधानसभा का अपमान

आम आदमी पार्टी के विधायक राघव चड्ढा इस समिति के अध्यक्ष हैं। उन्होंने कहा कि 'फ़ेसबुक के कहने का मतलब यह है कि सूचना प्रौद्योगिकी और क़ानून व्यवस्था के मामले केंद्र सरकार के अधीन है, इसलिए इस मामले में दिल्ली विधानसभा को नहीं पड़ना चाहिए।'दिल्ली विधानसभा ने इसे काफी गंभीरता से लिया है। 

इसके सदस्यों ने कहा है कि 'फ़ेसबुक के लोगों ने दिल्ली विधानसभा के चुने हुए सदस्यों का अपमान किया है। समिति को यह अधिकार है कि वह फरवरी में दिल्ली में हुए दंगों से जुड़े सवालों के जवाब देने के लिए फ़ेसबुक के लोगों को बुलाए।'

राघव चड्ढा का कहना है कि 'समिति ने फ़ेसबुक के अजित मोहन को बुलाया था क्योंकि कंपनी पर यह आरोप लगा है कि उसने हिंसा के दौरान भड़काने का काम किया है।' उन्होंने कहा कि समिति ने पूरे मामले की सुनवाई के दौरान अभूतपूर्व पारदर्शिता बरतने की बात कही थी। यदि वे लोग समिति के सामने पेश होना नहीं चाहते तो हम कहेंगे कि चोर की दाढ़ी में तिनका है।

बता दें कि अमेरिकी पत्रिका वॉल स्ट्रीट जर्नल ने एक ख़बर में कहा था कि फ़ेसबुक की आंतरिक निगरानी टीम ने तेलंगाना के अकेले बीजेपी विधायक टी. राजा सिंह के मुसलिमों के ख़िलाफ़ नफ़रत वाले पोस्ट को पकड़ा और उसे हटाने की बात कही। उस विधायक को प्रतिबंधित करने के लिए उसे ‘ख़तरनाक व्यक्ति’ घोषित करना पड़ता।

लेकिन फ़ेसबुक इंडिया पब्लिक पॉलिसी डाइरेक्टर अंखी दास ने यह कह कर इसका विरोध किया था कि इससे भारत सरकार से रिश्ते ख़राब होंगे और भारत में कंपनी को कामकाज करने में दिक्क़त होगी, उसके ‘बिज़नेस प्रॉस्पेक्ट’ पर बुरा असर पड़ेगा। फ़ेसबुक ने कम से कम 4 मामलों में ऐसा किया।