चुनाव आयोग ने मंगलवार को घोषणा की कि विभिन्न राज्यों में तीन लोकसभा सीटों और 30 विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव 30 अक्टूबर को होंगे। वोटों की गिनती 2 नवंबर को होगी। चुनाव आयोग ने कहा है कि उपचुनाव का फ़ैसला कोरोना जैसे हालातों का जायजा लेने के बाद किया गया है।
चुनाव आयोग ने एक बयान में कहा है, 'आयोग ने महामारी, बाढ़, त्योहारों, कुछ क्षेत्रों में ठंड की स्थिति, संबंधित राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों से प्रतिक्रिया की समीक्षा की है। सभी तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखा है और तीन संसदीय क्षेत्रों में रिक्तियों को भरने के लिए उपचुनाव कराने का निर्णय लिया है।' चुनाव आयोग के प्रवक्ता ने इसकी जानकारी ट्वीट कर भी दी है।
जिन तीन संसदीय क्षेत्रों के लिए उपचुनाव होने हैं उनमें केंद्र शासित क्षेत्र दादर व नागर हवेली और दमन व दीव की दादर नागर हवेली सीट, मध्य प्रदेश की खंडवा और हिमाचल प्रदेश की मंडी सीट शामिल हैं।
इसके अलावा कई विधानसभाओं के उपचुनाव भी होने वाले हैं। आँध्र प्रदेश में एक, असम में 5, बिहार में दो, हरियाणा में 1, हिमाचल प्रदेश में 3, कर्नाटक में 2, मध्य प्रदेश में 3, महाराष्ट्र में 1, मेघालय में 3, मिज़ोरम में 1, नगालैंड में 1, राजस्थान में 2, तेलंगाना में 1 और पश्चिम बंगाल में 4 विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव होंगे।
इससे पहले चुनाव आयोग ने विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव की जो घोषणा की थी उसमें पश्चिम बंगाल की सीटें भी शामिल थीं। इसी महीने 4 सितंबर को आयोग ने घोषणा की थी कि पश्चिम बंगाल में भवानीपुर, शमशेर गंज व जंगीपुर और ओडिशा के पिपली में उपचुनाव होंगे। इन उपचुनावों के लिए 30 सितंबर को मतदान होना है और 3 अक्टूबर को मतों की गिनती होगी।
पिछली बार यानी इसी महीने बंगाल में जिन तीन सीटों पर उपचुनाव की घोषणा हुई थी, उनके अलावा पश्चिम बंगाल में ही चार और सीटें खाली थीं। लेकिन इनके लिए उपचुनाव की घोषणा नहीं की गई थी। तृणमूल कांग्रेस के बार-बार माँग करने के बावजूद चुनाव आयोग चुनाव नहीं करवा रहा था। बीजेपी उपचुनाव का विरोध इस आधार पर कर रही थी कि पूरे देश में कोरोना फैला हुआ है। लेकिन इसी बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में हुए पंचायत चुनावों का विरोध नहीं किया था।
बता दें कि भवानीपुर से ममता बनर्जी उपचुनाव लड़ रही हैं। ममता बनर्जी के लिए यह उपचुनाव बेहद अहम है। ऐसा इसलिए कि ममता बनर्जी फ़िलहाल विधानसभा सदस्य नहीं हैं। वह नंदीग्राम से चुनाव हार गई थीं। बग़ैर विधानसभा सदस्य बने मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए छह महीने का समय 3 नवंबर को पूरा हो जाएगा। यदि वह उस समय तक विधानसभा सदस्य नहीं बनीं तो उन्हें इस पद से इस्तीफा देना होगा। हालाँकि नियम के मुताबिक़ वह इस्तीफ़ा देने के बाद एक बार फिर छह महीने के लिए मुख्यमंत्री बन सकती हैं, लेकिन इससे उनकी किरकिरी होगी।