सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म फ़ेसबुक ने शुक्रवार को अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के अकाउंट को कम से कम जनवरी 2023 तक के लिए सस्पेंड कर दिया है। फ़ेसबुक ने जनवरी में ट्रंप के अकाउंट को ब्लॉक कर दिया था और मई में हुई एक बैठक में इसे सही ठहराया था।
यह कार्रवाई इस साल 6 जनवरी को अमेरिकी कैपिटल हिल में हुई हिंसा के बाद ट्रंप की भड़काऊ पोस्ट्स को लेकर की गई थी। फ़ेसबुक ने तब अनिश्चित बैन को ग़लत कहा था और ट्रंप को जवाब देने के लिए छह महीने का वक़्त दिया था और यह वक़्त जनवरी महीने से शुरू हो गया था।
फ़ेसबुक के इस फ़ैसले से साफ संदेश है कि उसके नियम- आम और ख़ास, सभी के लिए एक जैसे हैं और ऐसी कार्रवाई नियमों को तोड़ने वाले किसी भी शख़्स के ख़िलाफ़ की जा सकती है।
फ़ेसबुक ने कहा है कि ट्रंप के अकाउंट को निलंबित करने के पीछे कारण यह है कि ट्रंप ने जो कुछ किया वह कंपनी के नियमों का घोर उल्लंघन है।
ट्विटर ने भी की थी कार्रवाई
ट्रंप के समर्थकों द्वारा कैपिटल हिल में की गई हिंसा के बाद ट्विटर ने भी ट्रंप के ख़िलाफ़ कार्रवाई की थी। ट्विटर ने उनके अकाउंट को हमेशा के लिए सस्पेंड कर दिया था। तब ट्विटर की इस कार्रवाई का बीजेपी नेताओं ने विरोध किया था।
ट्विटर ने कहा था कि हिंसा के भड़कने के जोख़िम के चलते डोनल्ड ट्रंप के ट्विटर अकाउंट को हमेशा के लिए सस्पेंड कर दिया गया है और कोई भी ट्विटर अकाउंट नियमों से ऊपर नहीं है और हिंसा भड़काने के लिए इनका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।
ट्विटर से सरकार की तनातनी
हाल ही में ट्विटर ने भारत में भी कुछ सख़्त कार्रवाईयां की हैं। सिने अदाकारा कंगना रनौत के अकाउंट को सस्पेंड करने के साथ ही कांग्रेस की ओर से कथित रूप से जारी ‘टूलकिट’ को लेकर बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा के ट्वीट को 'मैनिप्युलेटेड मीडिया' बता दिया था। इसके बाद केंद्र सरकार मैदान में उतरी थी और उसने कहा था कि वह ‘मैनिप्युलेटेड मीडिया’ वाले टैग को हटा ले।
सरकार ने ट्विटर को चेतावनी देते हुए कहा था कि ट्विटर को जांच प्रक्रिया में दख़ल नहीं देना चाहिए और जब तक इस मामले की जांच चल रही है, ट्विटर फ़ैसला नहीं दे सकता।
इसके अलावा केंद्र सरकार की ओर से सोशल मीडिया कंपनियों और ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म को लेकर बनाए गए नियमों को लेकर बाक़ी बड़ी कंपनियां तो राजी हो गई हैं लेकिन ट्विटर के साथ भारत सरकार की खटपट जारी है। गूगल, फ़ेसबुक और वाट्सऐप ने नए नियमों के मुताबिक़, तमाम पदों पर अफ़सरों को नियुक्त करने के लिए सहमति दे दी है।
ट्विटर ने एक आउटसाइड कंसल्टेंट के नाम का प्रस्ताव सरकार के पास भेजा था लेकिन केंद्र ने इसे ठुकरा दिया और कहा है कि यह उसकी गाइडलाइंस या नियमों के विपरीत है।