बीजेपी ने फिर कांग्रेस पर हमला बोला है। फिर से ‘दिग्विजय’ मिसाइल छोड़ी है। इसमें धारा-370 का बारूद है, पाकिस्तानी पत्रकार का विस्फोटक है और टाइमिंग ऐसी है कि इसके फटने के बाद शायद बीजेपी की ओर उमड़ता-घुमड़ता आ रहा बादल अपना रुख मोड़ ले। भगदड़ बीजेपी में ना हो इसे सुनिश्चित कर लिया गया है और भगदड़ कांग्रेस में मचे, यही इस ‘दिग्विजय’ मिसाइल का मकसद है।
फिर खलनायक बना दिए गये दिग्विजय
सरल भाषा में कहें तो दिग्विजय सिंह खलनायक बना दिए गये हैं। एक ऐसे वक्तव्य के लिए जिसमें नया कुछ भी नहीं है। सवाल दिग्विजय से ही पूछे जाएंगे कि उन्होंने धारा 370 पर बोला ही क्यों? स्वयं दिग्विजय सिंह के पास यह बोलने का जवाबी अवसर नहीं होगा कि क्लब हाउस की चैट में धारा 370 को हटाए जाने के तरीके को ही तो उन्होंने अलोकतांत्रिक कहा है। जम्मू-कश्मीर को तीन भागों में बांटने के फैसले पर विचार करने की ही बात तो कही है!
कांग्रेस दिग्विजय सिंह को ‘कारण बताओ’ का नोटिस तक जारी नहीं कर पाएगी क्योंकि इसके लिए कोई आधार नहीं है, मगर बीजेपी की प्रेस कॉन्फ्रेन्स के बाद कांग्रेस पर कारण बताने का जबरदस्त दबाव रहेगा कि आखिर धारा 370 पर पार्टी का क्या रुख है?
दिग्विजय सिंह ने गलत क्या कहा?
दिग्विजय सिंह ने जम्मू-कश्मीर में मुसलिम आबादी और हिन्दू राजा का उदाहरण देते हुए सेक्युलरिज्म की विरासत का हवाला दिया। धारा 370 लागू किए जाते वक्त जम्मू-कश्मीर में मानव अधिकारों को स्थगित करने और लोगों को जेलों में ठूंस देने की बात कही। उन्होंने कहा कि अलोकतांत्रिक तरीके से धारा 370 को हटाया गया। एक पहलू और है कि दिग्विजय सिंह ने पाकिस्तानी पत्रकार के सवालों के जवाब में ऐसा कहा।
बीजेपी के हिसाब से दिग्विजय सिंह को कहना चाहिए था कि तुम पाकिस्तानी पत्रकार हो, हमारे मामले से तुम्हें क्या मतलब? हुक्मरान अक्सर राष्ट्रवादी आवरण में सवालों से बचते हैं।
अगर पत्रकारिता की भौगोलिक सीमा तय कर दी जाए तो न कभी कोरोना वायरस के संक्रामक हथियार के तौर पर इस्तेमाल की जांच हो पाएगी और न ही एक राष्ट्र में चुनाव जीतने के लिए दूसरे राष्ट्र के अनैतिक सहयोग का पर्दाफाश हो सकेगा। पनामा पेपर लीक, बोफोर्स घोटाला जैसे मामलों के उजागर होने का तो सवाल ही नहीं उठता।
बहरहाल, परेशानी में दिग्विजय कम कांग्रेस अधिक है। बीजेपी का काम है अपने विरोधियों को परेशानी में डालना। इससे बचने का उपाय अब कांग्रेस को ही करना होगा। आखिर धारा 370 के मुद्दे पर कांग्रेस कितनी बार हलाल होगी?
5 अगस्त 2019 से पहले भी धारा 370 मुद्दा था, अब भी मुद्दा है। पहले इस धारा को हटाया जाना मुद्दा था और बीजेपी इस मुद्दे के साथ खड़ी थी। क्या अब इस धारा को पुनर्बहाल करना मुद्दा है और कांग्रेस इसके साथ खड़ी है? इसका जवाब कांग्रेस को देना होगा। सैद्धांतिक तौर पर कांग्रेस का जवाब अगर हां हो तब भी क्या कांग्रेस इससे अदालती तरीके से निबटना चाहती है या फिर राजनीतिक तरीके से- इसका भी जवाब देश और खुद कांग्रेस के लिए जरूरी है।
मुश्किल में कांग्रेस, मुखर होगा G-23 गुट!
कांग्रेस के लिए दिक्कत अब G-23 गुट है। बीजेपी ने ताजा मुद्दा इसी समूह के लिए परोसकर दिया है। इसी मुद्दे पर कांग्रेस में भगदड़ मचेगी। बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल राय के पार्टी से जाने के बाद अब बीजेपी को विरोधी दलों में भगदड़ की ओर ध्यान भटकाना है।
यही वजह है कि दिग्विजय सिंह को कागज बनाकर बीजेपी ने जो आग सुलगा दी है उसकी लपट में कांग्रेस अब जलने वाली है। इस आग को रोकने के लिए जरूरी है अग्निशमन कवच। कश्मीर पर स्पष्ट नीति के साथ सामने आकर ही कांग्रेस यह कवच बना सकती है।
कांग्रेस की जो घोषित नीति होगी, उसी पर पार्टी और उसके नेता चलेंगे। आज का संकट यह है कि दिग्विजय जो बोल रहे हैं वह कांग्रेस की नीति है या G-23 गुट जब दिग्विजय के बहाने हमला करेगा तो वह कांग्रेस की सोच होगी- यह स्पष्ट करना बहुत जरूरी होगा। कांग्रेस नेतृत्व ही इसे स्पष्ट कर सकता है। नेतृत्व फिलहाल हर महत्वपूर्ण मुद्दे पर मौन है। इस बार भी अगर यह मौन जारी रहा तो बीजेपी का हमला कांग्रेस को महंगा पड़ सकता है।
बीजेपी लगातार अपनी रणनीति पर चल रही है। नाकामियों पर पर्देदारी की नीति। कभी जितिन प्रसाद, कभी योगी-शाह और योगी-मोदी मुलाकात, कभी राष्ट्र के नाम संबोधन, कभी ऐसे ही अन्य मुद्दों की आड़ में मुख्य मुद्दे से ध्यान हटाने की कोशिशें जारी हैं।
कांग्रेस ने महंगाई के नाम पर देशव्यापी प्रदर्शन कर बहुत सही रणनीति अपनायी। इस तथ्य के बावजूद कि मीडिया ने इसकी अनदेखी की, कांग्रेस की मौजूदगी जनता की नज़र से बची नहीं रह सकेगी। मगर, दिग्विजय सिंह जैसे किसी नेता के बयान के रैपर में कांग्रेस को देश विरोधी टूलकिट पर चलने का दोषी ठहरा कर बीजेपी कांग्रेस की मेहनत पर पानी फेरने में जुटी है। यह रणनीति है और रणनीति का मुकाबला करना कांग्रेस को सीखना होगा।
निशाने पर कांग्रेस?
बीजेपी नेतृत्व को करारा जवाब ममता बनर्जी ने दिया। बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल राय की घर वापसी करा दी। इस घटना से ध्यान हटाने के लिए भी बीजेपी के पास ऐसा कोई हथियार नहीं था जिससे वे ममता बनर्जी पर हमला कर सके। अगर मुकुल राय पर सीबीआई, ईडी का इस्तेमाल हुआ तो राजनीतिक संदेश गड़बड़ा सकता है। जब बीजेपी ने देखा कि तृणमूल पर हमला करने का यह सही वक्त नहीं है तो उसने सॉफ्ट टारगेट कांग्रेस को फिर से चुना।
बीजेपी ने कांग्रेस के बहाने ही अपनी शर्मिंदगी छिपाने की रणनीति बनायी। दिग्विजय सिंह मिल गये। बोट क्लब पर चर्चा और वह भी पाकिस्तानी पत्रकार। मुद्दा कश्मीर और धारा 370। इससे बेहतर राजनीतिक मसाला और क्या हो सकता था! तो अब निशाने पर आ चुकी है कांग्रेस। कांग्रेस के प्रवक्ताओं और कांग्रेस के लिए बोलने वालों के लिए एक और मुश्किल वक्त।