जिस पेगासस स्पाइवेयर से भारतीयों के जासूसी कराए जाने के आरोप लग रहे हैं उस पेगासस की रिपोर्टें उजागर कर रहे 'द वायर' के कार्यालय में आज पुलिस पहुँच गई। 'द वायर' के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन ने आरोप लगाया है कि पुलिसकर्मी ने 'व्यर्थ' के सवाल पूछे। पूछताछ कुछ भी की हो, लेकिन पुलिसकर्मी के वहाँ जाने से इसलिए संदेह उठने लगे कि एक दिन पहले ही साहसिक पत्रकारिता करने वाले अख़बार दैनिक भास्कर और न्यूज़ चैनल भारत समाचार चैनल के कार्यालयों पर छापे पड़े हैं। एडिटर्स गिल्ड ने आज ही कहा है कि पेगासस के मामले के बीच मीडिया घरानों पर छापे की कार्रवाई चिंता पैदा करने वाली है।
ऐसी ही चिंता शायद सिद्धार्थ वरदराजन की भी है। उन्होंने द वायर के कार्यालय में पुलिसकर्मी के आने के बारे में ट्वीट किया, "पेगासस प्रोजेक्ट के बाद द वायर के लिए कार्यालय में यह सिर्फ़ एक और दिन नहीं है। आज पुलिसकर्मी पहुँचे और बेहूदा पूछताछ की। 'कौन है विनोद दुआ?' 'कौन है स्वरा भास्कर?' 'क्या मैं आपका किराया अनुबंध देख सकता हूँ?' 'क्या मैं आरफ़ा से बात कर सकता हूँ?'
यह पूछे जाने पर कि वह क्यों आए: '15 अगस्त के लिए नियमित जाँच'
अनोखा।"
बता दें कि इजराइली कंपनी एनएसओ के पेगासस स्पाइवेयर पर हंगामा मचा है। आरोप लगाए जा रहे हैं कि इसके माध्यम से दुनिया भर में लोगों पर जासूसी कराई गई। 'द गार्डियन', 'वाशिंगटन पोस्ट', 'द वायर' सहित दुनिया भर के 17 मीडिया संस्थानों ने पेगासस स्पाइवेयर के बारे में खुलासा किया है। एक लीक हुए डेटाबेस के अनुसार इजरायली निगरानी प्रौद्योगिकी फर्म एनएसओ के कई सरकारी ग्राहकों द्वारा हज़ारों टेलीफोन नंबरों को सूचीबद्ध किया गया था। द वायर के अनुसार इसमें 300 से अधिक सत्यापित भारतीय मोबाइल टेलीफोन नंबर शामिल हैं। ये नंबर मंत्री, विपक्ष के नेता, पत्रकार, क़ानूनी पेशे से जुड़े, व्यवसायी, सरकारी अधिकारी, वैज्ञानिक, अधिकार कार्यकर्ता और अन्य से जुड़े हैं।
बहरहाल, सिद्धार्थ वरदराजन के ट्वीट के बाद अब स्वरा भास्कर ने भी एक ट्वीट किया है जो दिल्ली पुलिस को संबोधित है। शायद उन्होंने उस सवाल के जवाब में ट्वीट किया है जो कथित तौर पर पुलिसकर्मी ने पूछा था- 'स्वरा भास्कर कौन है'।
स्वरा भास्कर ने ट्वीट किया, 'प्रिय दिल्ली पुलिस, विकिपीडिया और गूगल इस प्रश्न का उत्तर दे सकते हैं कि 'स्वरा भास्कर कौन है'.. अधिक व्यक्तिगत जानकारी के लिए मेरे इंस्टाग्राम हैंडल को फॉलो करें... पिता सी उदय भास्कर एक सेवानिवृत्त फौजी हैं (पूर्व भारतीय नौसेना)'
हालाँकि, दिल्ली पुलिस ने सिद्धार्थ वरदराजन द्वारा आरोप लगाए जाने के बाद सफ़ाई दी है। नई दिल्ली के डीसीपी ने ट्वीट किया है, 'स्वतंत्रता दिवस से पहले किरायेदारों का सत्यापन, गेस्ट हाउस की जाँच आदि जैसे सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी उपाए पूरे दिल्ली में अपनाए जा रहे हैं। स्थानीय बीट अधिकारी एक कार्यालय का सत्यापन करने गए थे, जिसके प्रवेश द्वार पर कोई साइनबोर्ड नहीं था। कृपया फोटो देखें।'
बता दें कि जब से पेगासस का मामला आया है तब से इसे पत्रकारों पर दबाव डाले जाने के तौर पर देखा जा रहा है। पेगासस से द वायर के सिद्धार्थ वरदराजन, एम के वेणु, रोहिणी सिंह जैसे कई पत्रकार निशाने पर थे। और इसी बीच गुरुवार को दो मीडिया संस्थानों पर छापेमारी की कार्रवाई हुई है। एडिटर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया ने आज ही कहा है, 'पेगासस सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल से पत्रकारों और नागरिक समाज के कार्यकर्ताओं की व्यापक निगरानी पर हालिया मीडिया रिपोर्टों को देखते हुए यह और भी अधिक परेशान करने वाला है।'
एडिटर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया ने दैनिक भास्कर और भारत समाचार के दफ़्तरों पर आयकर छापे को स्वतंत्र पत्रकारिता को दबाने वाला क़रार दिया है। इसने आज बयान जारी कर कहा है कि वह 'स्वतंत्र पत्रकारिता को दबाने के लिए सरकारी एजेंसियों को एक जबरदस्त उपकरण के रूप में इस्तेमाल किए जाने' पर चिंतित है।
बता दें कि सरकार की ओर से अभी तक साफ़-साफ़ यह नहीं माना गया है कि पेगासस की भूमिका है या नहीं। इजरायली कंपनी एनएसओ के पेगासस स्पाइवेयर से निशाना बनाए जाने पर जहाँ सरकार की ओर से सवाल उठाए जा रहे हैं वहीं ख़बर यह भी आई है कि फ़ोरेंसिक जांच में कई फ़ोन इन्फ़ेक्टेड पाए गए हैं।
'वाशिंगटन पोस्ट' की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 22 स्मार्टफ़ोन की फोरेंसिंक जाँच की गई। जाँच में पता चला कि 10 को एनएसओ ग्रुप के पेगासस स्पाइवेयर से निशाना बनाया गया। इनमें से 7 फ़ोन इन्फ़ेक्टेड पाए गए। यानी उन फ़ोन में स्पाइवेयर से निशाना बनाए जाने के सबूत मौजूद थे। 12 मामलों में परिणाम साफ़ नहीं आए क्योंकि हैकिंग के बाद इन्फ़ेक्शन का पता लगाने के लिए जो लॉग यानी आँकड़े या डाटा चाहिए होते हैं वे नहीं मिले। इन 12 में से 8 फ़ोन तो एंड्राइड थे।