ओएनजीसी का बजरा डूबा, 26 की मौत, 53 लापता

10:25 pm May 19, 2021 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

मुंबई के नज़दीक समुद्र में ओएनजीसी के एक बजरे के डूब जाने से 26 लोगों की मौत हो गई है, 53 लोग अभी भी लापता हैं। इस बजरे पर 261 लोग थे और यह समुद्री तूफ़ान तौकताए की चपेट में आकर डूब गया। 

बीबीसी के अनुसार, 26 शव बरामद किए जा चुके हैं। मरने वालों की तादाद बढ़ सकती है।

राहत व बचाव कार्य में गया नौसेना का युद्ध पोत 186 लोगों को लेकर मुंबई के तट पर पहुँच गया है। एक दूसरे बजरे से 35 लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया है। 

सरकारी कंपनी तेल व प्राकृतिक गैस निगम (ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन यानी ओएनजीसी) का यह बजरा था और मुंबई समुद्र तट से थोड़ी दूर समुद्र में तेल परियोजना पर काम कर रहा था। 

बीबीसी के अनुसार, नौसेना के युद्ध पोत 'आईएनएस कोच्चि' के कमान्डिंग अफ़सर सचिन सिकेरा ने कहा, 'हम उस इलाक़े में अभी और लोगों की तलाश में हैं। हम आशावादी हैं। अब स्थिति सुधरी हुई है। उम्मीद की जाती है कि सबसे बुरा पल बीत चुका है।' 

ओएनजीसी का ऑफ शोर ड्रिलिंग प्लैटफॉर्म

समुद्र से सुरक्षित निकाले गए एक व्यक्ति ने कहा, 'बजरा डूब रहा था, मुझे समुद्र में कूदना पड़ा। मैं समुद्र में 11 घंटे तक रहा। उसके बाद मुझे वहां से निकाल लिया गया।' 

कैप्टन सिकेरा ने कहा कि समुद्री तूफ़ान जब मुंबई से गुजर रहा था, नौसेना की टीम वहाँ पहुच गई और लोगों के बचाव व राहत काम में लग गई। 

नौसेना के एक प्रवक्ता ने कहा समुद्र में 20-25 फीट ऊँची लहरें उठ रही थीं और हवा की रफ़्तार बहुत ही तेज थी। 

समुद्री तूफ़ान तौकताए का कहर

नौसेना ने यह भी कहा है कि तीन युद्ध पोतों को राहत व बचाव कार्य में भेजा गया है। उन्हें वाणिज्यिक बजरे पर काम कर रहे लोगों को वहाँ से सुरक्षित निकालने की ज़िम्मेदारी दी गई है। दो बजरे मुंबई के पास के समुद्र में हैं जबकि तीसरा बजरा गुजरात के पास समुद्र में है। 

बता दें कि महाराष्ट्र में सोमवार सुबह से ही चक्रवाती तूफ़ान का असर दिखा। एयरपोर्ट पर सुबह से ही सेवाएँ प्रभावित होने की घोषणा बार-बार की जाती रही। राज्य में भारी बारिश भी हुई। मुंबई के कई क्षेत्रों में पानी भर गया और कई जगहों पर पेड़ उखड़ गए। कई क्षेत्रों में बिजली के पोल गिर गए। 

इस समुद्री तूफान से मंगलवार तक महाराष्ट्र में कम से कम 6 लोगों की मौत हो चुकी थी। गुजरात में एहतियात के तौर पर सेना को बचाव कार्य के लिए लगाया गया था। इससे पहले मुंबई के एयरपोर्ट पर भी सेवाएँ प्रभावित हुई थीं।