भारत में शनिवार को कोरोना टीकाकरण अभियान के शुरू होने के पहले दिन 1 लाख 91 हज़ार लोगों को टीका लगाया गया। सरकार ने पहले दिन 3 लाख लोगों को टीका लगाने का लक्ष्य रखा था। अभियान की शुरुआत दिल्ली एम्स में सैनिटेशन वर्कर मनीष कुमार को पहला टीका लगाकर की गई। एम्स, दिल्ली के निदेशक रणदीप गुलेरिया को भी कोरोना वैक्सीन लगाई गई। प्रधानमंत्री मोदी ने इस टीकाकरण की शुरुआत की।
भारत का टीकाकरण अभियान दुनिया में ऐसा सबसे बड़ा अभियान बताया जा रहा है। अगले कुछ महीनों में ही 30 करोड़ भारतीयों को टीका लगाए जाने का लक्ष्य रखा गया है। इसकी शुरुआत स्वास्थ्य कर्मियों और फ्रंटलाइन वर्कर्स से हो गई है और सबसे पहले ऐसे 3 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाई जाएँगी।
भारत में कोरोना संक्रमण के मामले दुनिया में अमेरिका के बाद सबसे ज़्यादा आए हैं। अमेरिका में जहाँ क़रीब ढाई करोड़ लोग संक्रमित हो चुके हैं वहीं भारत में एक करोड़ से ज़्यादा हैं। भारत में कोरोना की दो वैक्सीन के इस्तेमाल की मंजूरी दी गई है। इनमें से एक को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और ऐस्ट्राज़ेनेका ने तैयार किया है जबकि दूसरी को भारत बायोटेक ने।
टीकाकरण की शुरुआत कर प्रधानमंत्री मोदी ने ‘दवाई भी-कढ़ाई भी’ का नारा दिया और कहा कि वैक्सीन आने के बाद भी हमें कोरोना प्रोटोकॉल से जुड़ी चीजों का पालन करते रहना है। इसमें मास्क पहनना और सोशल डिस्टेंसिंग शामिल है। उन्होंने कहा कि भारत में बनी वैक्सीन दुनिया की वैक्सीन के मुक़ाबले सस्ती हैं।
मोदी ने भारत बायोटेक की वैक्सीन को लेकर हुए विवाद के संबंध में कहा कि ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ़ इंडिया ने पूरी तरह संतुष्ट होने के बाद ही दोनों वैक्सीन को स्वीकृति दी है इसलिए लोग अफ़वाहों से दूर रहें।
प्रधानमंत्री ने स्वास्थ्य कर्मियों, फ्रंटलाइन वर्कर्स और वैज्ञानिकों की तारीफ़ की और वैक्सीन को लेकर अफ़वाह फैलाने वालों को चेताया।
बता दें कि रिपोर्टों में वैक्सीन को लेकर आशंकाओं की भी ख़बरें हैं। 'एनडीटीवी' की रिपोर्ट के अनुसार जिनको पहली वैक्सीन लगाई गई उन्होंने भी इसकी पुष्टि की। रिपोर्ट के अनुसार मनीष कुमार ने कहा, 'उनमें (कर्मचारियों में) से कई डरे हुए थे। इसलिए, मैं अपने सीनियर्स के पास गया और मैंने कहा कि मुझे पहले वैक्सीन दी जाए। मैं अपने सहयोगियों को साबित करना चाहता था कि डरने की कोई ज़रूरत नहीं है। मेरी पत्नी ने मुझसे कहा भी कि वैक्सीन नहीं लगवाओ। मैंने उसे बताया कि यह सिर्फ़ एक इंजेक्शन है। खुराक लेने के बाद मैंने अपनी माँ से कहा कि वह मेरी पत्नी को बताए कि मैं सुरक्षित हूँ।'
दिल्ली कैंट बेस हॉस्पिटल में टीकाकरण अभियान। फ़ोटो साभार: ट्विटर/भारतीय सेना जन सूचना
'कोवैक्सीन की जगह कोविशील्ड लगवाएँगे'
राम मनोहर लोहिया अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टरों ने माँग की कि उनको कोवैक्सीन नहीं, बल्कि कोविशील्ड वैक्सीन लगाई जाए क्योंकि कोविशील्ड ने प्रोटोकॉल के तहत ट्रायल के तीनों चरण पूरे कर लिए हैं। भारत बायोटेक की कोवैक्सीन के तीसरे चरण का ट्रायल अभी भी जारी है। हालाँकि, केंद्र सरकार ने इन आशंकाओं को दरकिनार कर दिया है। लेकिन राम मनोहर लोहिया अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने मेडिकल सुपरिंटेंडेंट को पत्र लिखा है। अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष डॉ. निर्मलय महापात्रा ने कहा कि बहुत से डॉक्टरों ने शनिवार को शुरू किए गए देशव्यापी अभियान के लिए अपने नाम नहीं दिए हैं।
बता दें कि भारत बायोटेक की कोवैक्सीन पर हाल में विवाद हुआ था। कथित तौर पर उस वैक्सीन के तीसरे चरण के आँकड़ों के बिना ही उसको मंजूरी दिए जाने पर सवाल उठे। सवाल इसलिए उठे क्योंकि कोवैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल में शामिल रहे विशेषज्ञों के पास ही कोई डेटा नहीं थे। ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ़ इंडिया यानी डीसीजीआई ने तीन जनवरी को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया की कोविशील्ड के साथ ही भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को 'सीमित इस्तेमाल' की मंजूरी दी है।
डीसीजीआई द्वारा इसको मंजूरी दिए जाने के बाद शशि थरूर, आनंद शर्मा, जयराम रमेश जैसे कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने कोवैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल के आँकड़े को लेकर सवाल उठाए थे। वैज्ञानिकों ने भी वैसे ही सवाल उठाए।
हालाँकि, तब यह कहा गया कि इसे क्लिनिकल ट्रायल मोड में वैकल्पिक टीके के तौर पर इस्तेमाल की मंजूरी दी गई है। इसका मतलब है कि आपात स्थिति में ही इसको इस्तेमाल करने की बात कही गई थी।