यूपी में कोरोना से हुई मौतों पर स्थिति साफ नहीं है। खुद योगी आदित्यनाथ सरकार ने दो तरह के आंकड़े विधानसभा में पेश किए हैं। इन आंकड़ों को देखकर लगता है कि कोविड 19 से हुई मौतों से प्रभावित परिवारों को सहायता राशि देने में भी कहीं न कहीं कुछ गड़बड़ जरूर हो रही है। यूपी में कोरोना से हुई मौतों और सरकारी सहायता पाने वाले परिवारों की गहन जांच अब जरूरी हो गई है।
हालांकि यह गंभीर मुद्दा सपा के सदन से बहिष्कार और राज्य सरकार की लीपापोती में कहीं खो गया। राज्य सरकार की रणनीति बिल्कुल साफ है कि कोरोना की मौतों को चंद हजार बताकर निपटाना चाहती है, जबकि विपक्ष इसे लाखों में बता रहा है। गंगा और अन्य नदियों में तैरते शवों के सीन पता नहीं किसी को याद हैं या नहीं। विधानसभा का बजट सत्र मंगलवार को खत्म हो गया। अब कोरोना से हुई मौतों को भी लोग भूल जाएंगे। विधानसभा में भी अब शायद ही दोबारा यह मुद्दा उठे।
यूपी सरकार ने सोमवार को विधानसभा में लिखित जवाब में बताया कि 23 मई, 2022 तक राज्य में कोविड-19 के कारण 23,512 लोगों की मौत हो चुकी थी।
सपा के विधायक रविदास मेहरोत्रा ने राज्य में कोविड -19 से हुई मौतों की संख्या के बारे में सवाल पूछा था। उसी के जवाब में सरकार ने सदन में 23,512 की मौत का आंकड़ा दिया।
उसी सदन में प्रश्नकाल के दौरान, राज्य के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कहा कि हमें कोविड -19 की मौतों के मुआवजे के लिए 41,871 आवेदन मिले थे। हमने उन लोगों के दावों को भी स्वीकार कर लिया था जिनकी एक महीने बाद मौत हुई थी। इनमें से हमने 39,267 लोगों के परिवारों को मुआवजा दिया गया है। डिप्टी सीएम ने भी मेहरोत्रा के पूरक प्रश्न का जवाब देते हुए यह आंकड़ा दिया। ब्रजेश पाठक राज्य के स्वास्थ्य मंत्री भी हैं।
कटेहरी (आम्बेडकर नगर) से सपा विधायक लालजी वर्मा ने कोरोना से हुई मौतों के बारे में लिखित आंकड़ों में गड़बड़झाले पर सवाल उठा दिया।
इस पर डिप्टी सीएम ने बताया कि सरकार ने कोविड -19 मामलों और मौतों के बारे में जानकारी जुटाने के लिए एक पोर्टल लॉन्च किया था। उस पोर्टल के अनुसार, 23 मई, 2022 तक कोविड -19 के कारण 23,512 लोगों की मौत हुई है। बाद में, एक अदालत के फैसले ने राज्य को उन लोगों का सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया, जिनकी कोविड -19 के परीक्षण के एक महीने के अंदर मौत हुई थी। जिसके बाद सरकार को दावों के लिए 41,871 आवेदन मिले थे।
डिप्टी सीएम का जवाब सपा विधायकों को संतुष्ट नहीं कर पाया। उन्होंने सदन का बहिष्कार कर दिया। सपा विधायकों ने आरोप लगाया कि कोविड -19 से मौतों की संख्या लाखों में थी। सपा ने राज्य सरकार द्वारा पेश आंकड़ों को खारिज कर दिया।
डिप्टी सीएम ने विधानसभा को सूचित किया कि सरकार ने समाचार पत्रों में विज्ञापन प्रकाशित कर उन लोगों के परिवारों से आवेदन मांगे हैं जिनकी मृत्यु एक महीने के भीतर कोविड-19 से संक्रमित होने के बाद हुई है और उन्हें जवाब में 41,871 आवेदन प्राप्त हुए हैं। इन आवेदनों के सत्यापन के लिए जिला स्तरीय समितियों का गठन किया गया था। इन आवेदनों में से 39,267 लोगों को मुआवजा दिया गया है, जबकि 1,774 आवेदनों को खारिज कर दिया गया है।
मंत्री ने कहा, हम लगभग 830 आवेदकों के पते की पुष्टि कर रहे हैं क्योंकि उनके पते या तो गलत थे या वे अब वहां नहीं रह रहे थे।