विवादित नरसिंहानंद को बेल, हर महीने थाने में हाजिरी लगाएगा, पासपोर्ट जमा होगा

07:56 pm Feb 07, 2022 | सत्य ब्यूरो

हरिद्वार की सेशन कोर्ट ने सोमवार को विवादास्पद यति नरसिंहानंद को जमानत दे दी।पिछले साल दिसंबर में हरिद्वार में आयोजित एक धर्म संसद कार्यक्रम में मुसलमानों को जनसंहार की धमकी दी गई थी। इसका आयोजन इसी नरसिंहानंद ने किया था। इस मामले में वो और वसीम रिजवी उर्फ जितेन्द्र नारायण सिंह त्यागी जेल में हैं। नरसिंहानंद की जमानत का आदेश जिला एवं सत्र न्यायाधीश भारत भूषण पांडे ने पारित किया है।

सेशन कोर्ट ने जमानत आवेदन की अनुमति ₹50,000 की दो जमानत और समान राशि के व्यक्तिगत बांड के अधीन दी गई। कोर्ट ने जमानत देते हुए कुछ शर्तें भी तय की हैं: --आरोपी को आदेश दिया जाता है कि वह मजिस्ट्रेट के सामने इस आशय का एक वचन पत्र दाखिल करेगा कि इस आदेश के बाद समाज में घृणा और सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने वाला कोई भाषण नहीं देगा और न ही ऐसे किसी आयोजन का हिस्सा होगा, जिसका मुख्य उद्देश्य विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना और सद्भाव के रखरखाव पर प्रतिकूल प्रभाव डालना या अपराध के समान प्रकृति के अपराध करना है।  

आरोपी नरसिंहानंद को जांच के दौरान जांच अधिकारी (आईओ) द्वारा जांच में सहयोग के लिए बुलाए जाने पर उनके निर्देशानुसार जांच अधिकारी के सामने पेश होगा। जांच के दौरान हर महीने की 10 तारीख को अपनी उपस्थिति की जानकारी स्थानीय पुलिस स्टेशन को देनी होगी यानी हाजिरी लगानी होगी।

- वह जांच के दौरान प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रलोभन, धमकी में शामिल नहीं होगा, न ही वह गवाहों पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा।  - जांच के दौरान, वह संबंधित अदालत/मजिस्ट्रेट की अनुमति के बिना विदेश नहीं जाएगा और यदि आरोपी के पास पासपोर्ट है, तो वह सात दिनों के भीतर अपना पासपोर्ट जांच अधिकारी को सौंप देगा।

कोर्ट ने कहा कि इस जमानत अर्जी के आदेश का मामले के गुण-दोष पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। नरसिंहानंद की ओर से अधिवक्ता नारायण हर गुप्ता पेश हुए।

नरसिंहानंद को 16 जनवरी को गिरफ्तार किया गया था और उस पर धारा 295 (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य), 509 (किसी भी महिला की शील का अपमान करने का इरादा), 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), 504 (अपमान का उद्देश्य उल्लंघन को भड़काना) के तहत मामला दर्ज किया गया था। उस पर आईपीसी की धारा 153A (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना) भी लगाई गई थी।

इससे पहले मजिस्ट्रेट ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी। उत्तराखंड हाई कोर्ट हरिद्वार धर्म संसद में अभद्र भाषा के संबंध में दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा है।  सुप्रीम कोर्ट धर्म संसद में कथित नफरत भरे भाषण की विशेष जांच दल (एसआईटी) से जांच कराने की मांग वाली याचिका पर अलग से सुनवाई कर रहा है। अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल ने अपमानजनक टिप्पणी को लेकर नरसिंहानंद के खिलाफ अदालती अवमानना ​​की आपराधिक कार्यवाही शुरू करने के लिए कार्यकर्ता शची नेल्ली को सहमति पहले ही दे दी है।