कांग्रेस ने एआईसीसी के 85वें सत्र से पहले रविवार को कहा कि मजबूत कांग्रेस के बिना मजबूत विपक्षी एकता नामुमकिन है। इस तरह कांग्रेस ने गैर बीजेपी खेमे को बड़ा संकेत दे दिया है। जेडीयू नेता और बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने कल शनिवार को कहा था कि कांग्रेस देर न करे। फौरन विपक्षी एकता खेमे में शामिल हो। अगर कांग्रेस फैसला नहीं लेगी, तो जो होगा, वो सभी को मालूम हो। कांग्रेस का सत्र ऐसे समय में हो रहा है जब तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव क्षेत्रीय दलों को एक साथ लाने के समानांतर प्रयास कर रहे हैं और जेडीयू के नीतीश कुमार अपनी अलग पकड़ बना रहे हैं।
2024 के लोकसभा चुनावों से पहले एक गैर-बीजेपी मोर्चे को जोड़ने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर चल रही तमाम कोशिशों के बीच, कांग्रेस ने रविवार को स्पष्ट रूप से संकेत दिया कि किसी भी संभावित सत्ता-विरोधी मंच का नेतृत्व करने के लिए अकेले उसके पास संगठनात्मक और नैतिक ताकत है।
छत्तीसगढ़ के रायपुर में 24 से 26 फरवरी तक होने वाले पार्टी के 85वें एआईसीसी पूर्ण सत्र से पहले कांग्रेस ने रविवार को कहा कि विपक्षी एकता के मुद्दे पर महत्वपूर्ण बैठक में विचार-विमर्श किया जाएगा और इसे राजनीतिक प्रस्ताव में भी शामिल किया जाएगा।
एआईसीसी महासचिव जयराम रमेश ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बयान के एक दिन बाद पार्टी की स्थिति स्पष्ट की। नीतीश ने शनिवार 18 फरवरी को कहा था कि वो विपक्ष को एक साथ लाने पर कांग्रेस के संकेत का इंतजार कर रहे थे। कांग्रेस और विपक्षी एकता का एक कदम, बीजेपी को आम चुनाव 2024 में 100 सीटों से नीचे सीमित कर देगा।
कांग्रेस ने 19 फरवरी को कहा-
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हमें किसी को यह प्रमाणपत्र देने की जरूरत नहीं है कि हमें नेतृत्व देना है। क्योंकि कांग्रेस की गैरमौजूदगी में विपक्षी एकता के सभी प्रयास विफल हो जाएंगे। मजबूत कांग्रेस के बिना मजबूत विपक्षी एकता असंभव है। हम पूर्ण सत्र में 2024 के चुनावों और उससे पहले के राज्य चुनावों के लिए चर्चा करेंगे और चुनाव पूर्व और बाद के गठबंधनों की जरूरतों पर भी चर्चा करेंगे। हम पहले से ही बिहार, झारखंड, पूर्वोत्तर राज्य, केरल सहित कई राज्यों में चुनाव पूर्व समझौते कर चुके हैं। इसलिए यह कहना सही नहीं है कि कांग्रेस चुनाव पूर्व गठबंधन नहीं करती है।
- जयराम रमेश, कांग्रेस महासचिव, 10 फरवरी 2023 प्रेस ब्रीफिंग में
उन्होंने अडानी-हिंडनबर्ग मुद्दे पर विपक्ष के एक वर्ग के नरम पड़ने पर सवाल उठाने की भी मांग की।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने नीतीश कुमार की इस टिप्पणी का स्वागत किया कि भारत जोड़ो यात्रा’ ने पूरे राजनीतिक परिदृश्य को प्रभावित किया। यह भारतीय राजनीति के लिए एक परिवर्तनकारी क्षण है, और कांग्रेस अपनी भूमिका के प्रति बहुत सचेत है। कांग्रेस ही एकमात्र ऐसी पार्टी है जिसने बीजेपी के साथ कभी समझौता नहीं किया।
उन्होंने विपक्ष के नेता (राज्यसभा) मल्लिकार्जुन खड़गे की बैठकों में भाग लेने के लिए कुछ विपक्षी दलों पर कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि वो दल बैठक में हमारे साथ रहे लेकिन संसद में सरकार के पक्ष में रहे।
उन्होंने कहा, बीजेपी को लेकर हमारे पास दो चेहरे नहीं हैं। हमारे पास केवल एक ही चेहरा है। हम अडानी मुद्दे पर जेपीसी चाहते हैं। संसद में विपक्ष की बैठकों में भाग लेने वाले कई दलों ने जेपीसी की मांग को स्वीकार नहीं किया और कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट के नेतृत्व वाली जांच चाहते हैं। यह भी प्रधानमंत्री को बचाने के लिए उठाया गया एक राजनीतिक कदम था।
कांग्रेस के एक और महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि कांग्रेस के पूर्ण सत्र में 2024 में होने वाले आम चुनाव से पहले विपक्षी गठबंधनों की प्रकृति पर एक स्पष्ट लाइन लेने की उम्मीद है। सत्र का एजेंडा संचालन समिति की बैठक द्वारा तय किया जाएगा (जिसमें पिछले सीडब्ल्यूसी के सदस्य शामिल होंगे जो खड़गे के पार्टी प्रमुख के रूप में कार्यभार संभालने के बाद भंग कर दिए गए थे) जो सत्र के लिए विभिन्न विषय पैनलों द्वारा तैयार किए गए प्रस्तावों के मसौदों को भी मंजूरी देंगे।
प्रस्ताव मसौदे के अनुमोदन के माध्यम से बहस के लिए टोन सेट करने के लिए संचालन समिति 24 फरवरी की सुबह बैठक करेगी। पूर्ण सत्र का समापन 26 फरवरी को रायपुर में एक रैली के साथ होगा।संचालन समिति यह भी तय करेगी कि सीडब्ल्यूसी चुनाव होंगे या कांग्रेस अध्यक्ष द्वारा सदस्यों के नामांकन की पिछली प्रथा जारी रहेगी। सीडब्ल्यूसी में 25 सदस्य हैं जिनमें से पार्टी अध्यक्ष और संसद में कांग्रेस नेता पदेन और स्थायी हैं; 12 निर्वाचित और 11 कांग्रेस नेता मनोनीत कर सकते हैं।
पूर्ण सत्र में 15,000 प्रतिनिधियों भाग लेंगे, उनमें से 1,338 एआईसीसी के निर्वाचित प्रतिनिधि होंगे; 487 सहयोजित एआईसीसी प्रतिनिधि; 1915 निर्वाचित प्रदेश कांग्रेस सदस्य शामिल हैं। इसके अलावा 3000 लोगों में सभी जिला कांग्रेस प्रमुख, एआईसीसी फ्रंटल संगठनों और विभागों के प्रमुख और कन्याकुमारी से कश्मीर तक राहुल गांधी के साथ चलने वाले सभी भारत यात्री इस सत्र में आमंत्रित किए गए हैं।