क्या मनमोहन सिंह के बयान पर पीएम मोदी ने फिर झूठ बोला?

09:47 pm Apr 21, 2024 | सत्य ब्यूरो

क्या कभी मनमोहन सिंह ने कहा था कि देश की संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है? पिछले क़रीब 18 साल से इस बयान को बार-बार फैक्ट चेक कर ग़लत साबित किया जाता रहा है, लेकिन हर बार एक के बाद एक बीजेपी के नेता इसका राग छेड़ देते हैं। इस बार खुद प्रधानमंत्री मोदी ने ही इस पर बयान दे दिया है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि '...मनमोहन सिंह जी की सरकार ने कहा था कि (देश की) संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है...। माताओ, बहनो, ये आपका मंगलसूत्र भी बचने नहीं देंगे'। इसके साथ ही उन्होंने कांग्रेस के मैनिफेस्टो पर भी धार्मिक भेदभाव का आरोप लगाया है। प्रधानमंत्री के इस बयान पर बवाल मच गया है! कांग्रेस ने पीएम मोदी को झूठा क़रार दिया है। इस पर बयान जारी कर कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा है, 'वे देश को हिंदू-मुसलमान के नाम पर झूठ परोसकर बांट रहे हैं। मेरी पीएम मोदी को चुनौती है कि कांग्रेस के घोषणा पत्र में कहीं भी 'हिंदू-मुसलमान' शब्द लिखा हो तो दिखा दें। यह चुनौती स्वीकार करें, या झूठ बोलना बंद कर दें।'

प्रधानमंत्री मोदी के बयान पर सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया हुई है। लेकिन सोशल मीडिया पर लोगों ने क्या कहा है, इसको जानने से पहले यह जान लें कि पीएम के बयान में ऐसा क्या कहा गया है कि बवाल मचा है और इसकी हकीकत क्या है। 

पीएम मोदी ने रविवार को चुनावी रैली में कहा, 'उन्होंने (कांग्रेस ने) कहा था कि देश की संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है। इसका मतलब, ये संपत्ति इकट्ठी कर किसको बाँटेंगे? जिनके ज़्यादा बच्चे हैं उनको बाँटेंगे। घुसपैठिए को बाँटेंगे। ...ये कांग्रेस का मैनिफेस्टो कह रहा है... कि माताओं-बहनों के सोने का हिसाब करेंगे। ...जानकारी लेंगे और फिर संपत्ति को बाँट देंगे। और उनको बाँटेंगे जिनको मनमोहन सिंह जी की सरकार ने कहा था कि संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है। ये अर्बन नक्सल की सोच, मेरी माताओ, बहनो, ये आपका मंगलसूत्र भी बचने नहीं देंगे।'

प्रधानमंत्री मोदी के इन दोनों दावों को झूठा बताया जा रहा है। कांग्रेस ने दावा किया है कि उसके मैनिफेस्टों में हिंदू-मुसलमान का ज़िक्र तक नहीं है। इसके साथ ही पार्टी ने एक फैक्ट चेक को भी ट्वीट किया है जिसमें यह साफ़ किया गया है कि मनमोहन सिंह ने कभी भी नहीं कहा है कि देश के संसाधनों पर पहला अधिकार मुसलमानों का है। 

बता दें कि मनमोहन सिंह के जिस बयान को लेकर बीजेपी के नेता बार-बार हमला करते रहे हैं वह दरअसल, क़रीब 18 साल पहले के एक बयान से संबंधित है। 9 दिसंबर 2006 को प्रधानमंत्री के रूप में मनमोहन सिंह ने नेशनल डेवलपमेंट काउंसिल यानी राष्ट्रीय विकास परिषद को संबोधित किया था। उन्होंने भाषण अंग्रेजी में दिया था। उसका हिंदी अनुवाद है- 'मैं मानता हूँ कि हमारी सामूहिक प्राथमिकताएं साफ़ हैं। ये हैं- कृषि, सिंचाई- जल संसाधन, स्वास्थ्य, शिक्षा, ग्रामीण बुनियादी ढांचे में अहम निवेश और सामान्य बुनियादी ढांचे के लिए ज़रूरी सार्वजनिक निवेश। इसके साथ ही अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए कार्यक्रम, अल्पसंख्यक और महिलाएं और बच्चों के लिए कार्यक्रम भी सामूहिक प्राथमिकताएँ हैं। अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए योजनाओं को पुनर्जीवित करने की ज़रूरत है। हमें नई योजना लाकर ये सुनिश्चित करना होगा कि अल्पसंख्यकों का और खासकर मुस्लिमों का भी उत्थान हो सके, विकास का फायदा मिल सके। इन सभी का संसाधनों पर पहला अधिकार है। केंद्र के पास बहुत सारी जिम्मेदारियां हैं, और पूरे संसाधनों की उपलब्धता में सबकी ज़रूरतों को शामिल करना होगा।'

इस तरह मनमोहन सिंह के भाषण में कहीं नहीं कहा गया है कि देश के संसाधनों पर एक समुदाय का पहला अधिकार है। वह एससी, एसटी, ओबीसी, महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यकों, सभी की बात कर रहे थे। 

इससे पहले 2022 में पीएम मोदी के एक तत्कालीन मंत्री मुख्तार अब्बास नक़वी ने राष्ट्रपति के धन्यवाद ज्ञापन प्रस्ताव पर चर्चा में कुछ वैसा ही दावा कर दिया था। लल्लनटॉप की रिपोर्ट के अनुसार नक़वी ने कहा था, 'कभी कहा जाता था कि इस देश के संसाधनों पर एक सम्प्रदाय विशेष का अधिकार है। वो अधिकार देने वाले नहीं थे लेकिन कहते ज़रूर थे।' उनके इस बयान पर भी बवाल मचा था और फैक्ट चेक किया गया था। लेकिन यह बात फिर से पीएम मोदी के बयान से फिर उछली है। 

इस पर प्रतिक्रिया में विनोद कापड़ी ने लिखा है, 'जब 400 पार हो ही रहे हैं तो इस स्तर तक जाने की क्या मजबूरी है, नरेंद्र मोदी? कम से कम प्रधानमंत्री पद का तो लिहाज़ कर लो।' 

रणविजय सिंह नाम के यूज़र ने लिखा है, 'नजाने कौन पीएम से झूठ बोलवा रहा और उनकी छवि ख़राब कर रहा है।

कांग्रेस नेता श्रीनिवास बीवी ने कहा है, 'ये देश का दुर्भाग्य है कि ये व्यक्ति इस देश का प्रधानमंत्री है, और उससे भी बड़ी त्रासदी है कि भारत का चुनाव आयोग अब जिंदा नहीं रहा। हार की बौखलाहट के चलते खुलेआम भारत के प्रधानमंत्री नफरत का बीज बो रहे हैं, मनमोहन सिंह जी के 18 साल पुराने अधूरे बयान को ग़लत कोट करते हुए ध्रुवीकरण कर रहे हैं, लेकिन चुनाव आयोग (मोदी का परिवार) नतमस्तक है।'