किसान आंदोलन में हिंसा के लिए कांग्रेस ने सीधे गृह मंत्री अमित शाह को बर्खास्त करने की मांग की है। इसने कहा कि आंदोलन को बदनाम करने की साज़िश रची गई। पार्टी ने कहा है कि देश की राजधानी में किसान आंदोलन की आड़ में हुई सुनियोजित हिंसा और अराजकता के लिए सीधे-सीधे अमित शाह जिम्मेदार हैं। कांग्रेस ने कहा, 'इस संबंध में तमाम ख़ुफिया इनपुट के बावजूद हिंसा के तांडव को न रोक पाने में नाकामी के चलते उन्हें एक पल भी अपने पद पर बने रहने का अधिकार नहीं है। उन्हें तत्काल बर्खास्त किया जाए।'
इन तमाम घटनाक्रमों पर कांग्रेस की ओर से प्रमुख प्रवक्त रणदीप सिंह सुरजेवाला ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस की। उन्होंने कहा कि एक साल के अंदर राष्ट्रीय राजधानी में दूसरी बार हुई इस हिंसा को रोक पाने में बुरी तरह विफल रहने वाले अमित शाह को गद्दी छोड़नी चाहिए। उन्होंने कहा कि 'यदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब भी उन्हें बर्खास्त नहीं करते तो यह साबित हो जाएगा कि अमित शाह से इस पूरी हिंसा में देश के प्रधानमंत्री की प्रत्यक्ष मिलीभगत है'।
कांग्रेस की यह प्रेस कॉन्फ़्रेंस उस मामले में हुई जब दिल्ली में मंगलवार को हालात इतने बिगड़ गए थे कि हिंसा तक हुई। इसमें एक व्यक्ति की जान भी चली गई। इससे पहले गणतंत्र दिवस समारोह के बीच ही दिल्ली में किसानों ने ट्रैक्टर की रैली निकालनी शुरू कर दी थी और हिंसा की ख़बरें आईं। पुलिस की ओर से लाठी चार्ज किया गया और आँसू गैस के गोले दागे गए। पथराव की भी घटनाएँ हुईं। प्रदर्शन करने वाले कुछ लोगों ने मंगलवार को लाल क़िले की प्राचीर से पीले रंग का झंडा फहरा दिया।
ट्रैक्टर रैली हिंसा में मंगलवार को कम से कम 300 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। हिंसा के मामले में अब तक 22 एफ़आईआर दर्ज की जा चुकी हैं। क़रीब 200 लोगों को हिरासत में लिया गया है। कई किसान नेताओं के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की गई है।
इस हिंसा के मामले को लेकर ही प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कांग्रेस नेता सुरजेवाला ने मोदी सरकार और ख़ासकर अमित शाह को घेरा। उन्होंने कहा कि आज़ादी के 73 सालों में यह पहला मौक़ा है कि जब कोई सरकार लाल क़िले जैसी राष्ट्रीय धरोहर की भी रक्षा करने में नाकाम रही है। उन्होंने कहा, 'किसानों के नाम पर साज़िश के तहत चंद उपद्रवियों को लाल क़िले में घुसने दिया गया। और दिल्ली पुलिस कुर्सियों पर बैठी आराम फरमाती रही।'
सुरजेवाला ने पंजाबी अभिनेता दीप सिद्धू को लेकर भी बीजेपी पर हमला बोला। उन्होंने कहा, 'बीजेपी के क़रीबी और मोदी-शाह के चेले दीप सिद्धू की पूरे समय लाल क़िले में मौजूदगी, इस उपद्रव में मौजूदगी किसान आंदोलन को बदनाम करने की एक सुनियोजित साज़िश है।'
बता दें कि दीप सिद्धू की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। कई किसान नेताओं ने उनपर हिंसा की साज़िश रचने का आरोप लगाया है।
किसान नेता राजिंदर सिंह ने हिंसा की स्थिति के लिए केंद्रीय एजेंसियों को दोषी ठहराया और कहा कि दीप सिद्धू ने भी ठीक भूमिका नहीं निभाई। बीकेयू हरियाणा के नेता गुरनाम सिंह चड़ूनी ने लाल क़िले मामले में युवाओं को गुमराह करने के लिए दीप सिद्धू की आलोचना की और उन्हें केंद्र सरकार का 'दलाल' बताया।
लाल क़िले की घटना के तुरंत बाद सोशल मीडिया पर जारी एक वीडियो में दीप सिद्धू ने कहा था कि यह आंदोलन का परिणाम है जो कई महीनों से चल रहा है और एक व्यक्ति पर दोष नहीं लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा था कि निशान साहिब और किसान यूनियन के झंडे भावनाओं के आवेग में फहराए गए।
वीडियो में देखिए, क्या किसान आंदोलन में फूट का अंदेशा?
योगेंद्र यादव और 9 किसान नेताओं पर FIR
पुलिस ने किसान नेताओं पर एफ़आईआर दर्ज की है। इनमें योगेंद्र यादव और कम से कम 9 किसान नेताओं के नाम हैं। इन 10 लोगों में बीकेयू नेता राकेश टिकैत का भी नाम है। एफ़आईआर में जिन किसान नेताओं के नाम शामिल हैं उन सभी के नाम अभी तक सामने नहीं आए हैं। हिंसा के मामले में अब तक 22 एफ़आईआर दर्ज की जा चुकी हैं। क़रीब 200 लोगों को हिरासत में लिया गया है। पुलिस सीसीटीवी फुटेज और वीडियो की पड़ताल कर रही है जिससे हिंसा में शामिल लोगों की पहचान की जा सके।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि वे आने वाले दिनों में पूछताछ के लिए कृषि नेताओं को समन भेजेंगे।