अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ द्वारा भारत से गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध के फ़ैसले पर फिर से विचार करने के आग्रह के एक दिन बाद भारत ने तत्काल ऐसा करने से इनकार कर दिया है। वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने रायटर्स से कहा कि भारत के पास गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध हटाने की कोई तत्काल योजना नहीं है। हालाँकि उन्होंने कहा कि अन्य सरकारों के साथ सीधे सौदे जारी रहेंगे।
जब पूछा गया कि क्या नई दिल्ली में निजी निर्यात को फिर से शुरू करने की अनुमति देने की कोई योजना है तो पीयूष गोयल ने कहा, 'वर्तमान में दुनिया में अस्थिरता है, अगर हम प्रतिबंध हटाते हैं, तो यह केवल कालाबाजारी करने वालों, जमाखोरों और सट्टेबाजों की मदद करेगा। और न ही यह वास्तव में कमजोर और ज़रूरतमंद देशों की मदद करेगा।' दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में बुधवार को एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा, 'इसे करने का स्मार्ट तरीका सरकार से सरकार तक का मार्ग है, जिसके द्वारा हम सबसे कमजोर गरीबों को सस्ता गेहूं दे सकते हैं।'
दुनिया के दूसरे सबसे बड़े गेहूं उत्पादक भारत ने गेहूँ के निर्यात पर 13 मई को प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी। हालाँकि, 13 मई को ही प्रतिबंध के साथ ही कुछ छूट के प्रावधान की भी घोषणा की गई थी। सरकार ने अधिसूचना की तारीख को या उससे पहले जारी वैध अपरिवर्तनीय साख पत्र यानी एलओसी के साथ गेहूं शिपमेंट की अनुमति दी है। इसके साथ ही सरकार ने कहा था कि निर्यात तब भी हो सकता है जब नई दिल्ली अन्य सरकारों द्वारा 'उनकी खाद्य सुरक्षा की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए' अनुरोध को मंजूरी दे।
हालाँकि, बाद में केंद्र सरकार ने गेहूँ के निर्यात को प्रतिबंधित करने वाले अपने आदेश में ढील देने की घोषणा की। इसने कहा कि 13 मई को निर्यात पर प्रतिबंध से पहले गेहूँ की जिन खेप को सीमा शुल्क अधिकारियों के सिस्टम में पंजीकृत किया गया है, उनको निर्यात की अनुमति दी जाएगी।
इसके साथ ही मंत्रालय के बयान में यह भी कहा गया, 'सरकार ने मिस्र की ओर जाने वाली गेहूं की खेप को भी अनुमति दी, जो पहले से ही कांडला बंदरगाह पर लोड हो रही थी। मिस्र सरकार द्वारा कांडला बंदरगाह पर लदान किए जा रहे गेहूं की अनुमति देने का अनुरोध किए जाने के बाद यह फ़ैसला लिया गया है।'
केंद्र सरकार ने अपने प्रतिबंधों में इसलिए ढील दी क्योंकि पहले से ही गेहूँ निर्यात के कई सौदे हो चुके थे और कई बंदरगाहों पर विदेश भेजे जाने वाला गेहूँ अटक गया था। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गेहूँ पर प्रतिबंधों को लेकर तीखी प्रतिक्रिया भी हुई।
जी-7 देशों के सदस्यों सहित कई गेहूं आयात करने वाले देशों ने भारत से गेहूं की विदेशी बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के अपने फ़ैसले पर पुनर्विचार करने को कहा है। अमेरिकी कृषि सचिव टॉम विल्सैक ने इस महीने कहा था कि उन्हें प्रतिबंध के बारे में गहरी चिंता है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्रमुख क्रिस्टालीना जॉर्जीवा ने मंगलवार को भारत से गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध के अपने फ़ैसले को लेकर पुनर्विचार करने का आग्रह किया था। उन्होंने कहा था कि ऐसा करके देश अंतरराष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा और वैश्विक स्थिरता में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
स्विट्जरलैंड के दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में आईएमएफ की प्रबंध निदेशक ने एनडीटीवी से कहा था, 'मैं इस फ़ैसले के लिए भारत की सराहना करती हूं कि उसे लगभग 1.35 अरब लोगों को खिलाने की ज़रूरत है और मैं समझती हूं कि गर्मी की लहर ने कृषि उत्पादकता को कम कर दिया है, लेकिन मैं भारत से गेहूं निर्यात प्रतिबंध के अपने फ़ैसले पर जल्द-से-जल्द पुनर्विचार करने के लिए विनती करती हूं। भारत के इस कदम से अन्य देश भी गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की दिशा में बढ़ सकते हैं और इसका नतीजा यह होगा कि हम खाद्यान्न संकट से निपटने के लिए सक्षम वैश्विक समुदाय के रूप में अपना अस्तित्व खो देंगे।'
बता दें कि भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक है और लेकिन देश में भीषण गर्मी के कारण गेहूं उत्पादन प्रभावित होने की चिंताएँ हैं। भारत में ही इस बार सरकारी ख़रीद क़रीब 50 फ़ीसदी ही हो पायी है। इन घटनाक्रमों के बीच घरेलू कीमतों को काबू में रखने के लिए गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। रूस और यूक्रेन युद्ध के बीच इस प्रतिबंध के बाद से दुनिया भर में गेहूँ के दाम बढ़ गए हैं।