एनडीए में सहयोगी दल के नेता चिराग पासवान ने यूपीएससी में लैटरल एंट्री को पूरी तरह गलत बताया है। उन्होंने कहा है कि वह सरकार के सामने इस मुद्दे को उठाएंगे। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष और हाजीपुर से सांसद चिराग पासवान ने सोमवार को कहा कि वह इस मुद्दे को सरकार के सामने रखने की योजना बना रहे हैं।
संघ लोक सेवा आयोग यानी यूपीएससी ने 17 अगस्त को एक विज्ञापन जारी कर केंद्र सरकार के 24 मंत्रालयों में संयुक्त सचिव, निदेशक और उप सचिव के पदों पर लैटरल भर्ती के लिए प्रतिभाशाली और उत्सुक भारतीय नागरिकों के लिए आवेदन मांगे।
आमतौर पर ऐसे पदों पर अखिल भारतीय सेवाओं- भारतीय प्रशासनिक सेवा यानी आईएएस, भारतीय पुलिस सेवा यानी आईपीएस और भारतीय वन सेवा - और अन्य समूह ए सेवाओं के अधिकारियों द्वारा भरा जाता है। इनमें आरक्षण भी लागू होता है। लेकिन केंद्र सरकार लैटरल एंट्री के जरिए इन पदों पर लाने वालों को किसी भी तरह का आरक्षण लाभ नहीं देती है। असल मुद्दा यही है और इसी को लेकर तूफान खड़ा हो रहा है।
विपक्षी दल आरोप लगा रहे हैं कि लैटरल एंट्री चहेते लोगों को भरने का 'चोर दरवाजा' है। उनका आरोप है कि इससे एससी, एसटी और ओबीसी का आरक्षण ख़त्म हो रहा है। अब चिराग पासवान नौकरशाही में 45 पदों पर लैटरल एंट्री की आलोचना करने वाले एनडीए के पहले सहयोगी हैं।
इस मुद्दे पर अपनी पार्टी के रुख को उजागर करते हुए उन्होंने कहा कि लोजपा (आरवी) ऐसी नियुक्तियों के बिल्कुल पक्ष में नहीं है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा, 'जहां भी सरकारी नियुक्तियां होती हैं, वहां आरक्षण के प्रावधानों का पालन किया जाना चाहिए।' उन्होंने आगे कहा कि जिस तरह से यह मामला सामने आया है, वह उनके लिए चिंता का विषय है, क्योंकि उनकी पार्टी सरकार का हिस्सा है और उनके पास इन मुद्दों को सामने लाने के लिए मंच है।
कांग्रेस ने लैटरल एंट्री मुद्दे पर अपना हमला जारी रखा। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने इसे दलितों, ओबीसी और आदिवासियों पर हमला बताया। उन्होंने कहा कि बीजेपी के रामराज्य का विकृत संस्करण संविधान को ख़त्म करने और बहुजनों से आरक्षण छीनने का प्रयास करता है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरोप लगाया कि यह कदम एससी, एसटी, ओबीसी और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को महत्वपूर्ण सरकारी पदों से किनारे करने का भाजपा का एक जानबूझकर किया गया प्रयास है। खड़गे ने सरकार से पूछा कि जो भर्ती निकाली गई, क्या उसमें एससी, एसटी, ओबीसी और ईडब्ल्यूएस वर्गों के लिए आरक्षण है। खड़गे ने कहा कि यह भाजपा की सोची समझी साज़िश है।
बता दें कि 2018 में मोदी सरकार ने लैटरल एंट्री योजना शुरू की थी। इसका मकसद निजी क्षेत्र और अन्य गैर-सरकारी संगठनों से विशेष प्रतिभाओं को सरकार में लाना बताया गया है। सरकार का तर्क है कि इस कदम से प्रशासन में नए नजरिए और विशेषज्ञता वाले लोग आएंगे और शासन की कार्यकुशलता में बढ़ोतरी होगी।
लैटरल एंट्री के जरिए अब तक 63 नियुक्तियां की जा चुकी हैं, जिनमें से 35 नियुक्तियां निजी क्षेत्र से थीं। ताजा आंकड़ों के मुताबिक, फिलहाल मंत्रालयों, विभागों में 57 अधिकारी पदों पर हैं। हालांकि सरकार इन्हें यूपीएससी के जरिए भर सकती थी।