काफ़ी दबाव पड़ने के बाद हुई चिन्मयानंद की गिरफ़्तारी?

06:10 pm Sep 24, 2019 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

बलात्कार के आरोप का सामना कर रहे बीजेपी के पूर्व सांसद चिन्मयानंद को गिरफ़्तार कर 14 दिन के लिए जेल भेज दिया गया। यह गिरफ़्तारी तब हुई जब दो दिन पहले ही पीड़िता ने आत्मदाह करने की चेतावनी दी थी। पाँच दिन पहले ही उन्होंने आरोप लगाया था कि चिन्मयानंद एक साल तक ब्लैकमेल कर बलात्कार करते रहे थे। इस मामले में क़रीब एक माह पहले ही आरोप लगा था। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में दखल दी, स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम यानी एसआईटी गठित कर कार्रवाई करने को कहा और इलाहाबाद हाई कोर्ट को निगरानी करने कहा था। इस मामले में हाई कोर्ट में भी तीन दिन बाद ही सुनवाई भी होनी है। यानी कार्रवाई करने के लिए सरकार और पुलिस पर भारी दबाव था। 

बता दें कि पीड़िता और इसके परिवार की ओर से आरोप लगाया जाता रहा था कि चिन्मयानंद के ताक़तवर होने के कारण पुलिस कार्रवाई नहीं कर रही थी और इसमें जानबूझ कर देरी की गई। मीडिया रिपोर्टों में भी ऐसी ही ख़बरें आई थीं। हालाँकि पुलिस ने इन आरोपों से इनकार किया।

यूपी डीजीपी ओ. पी. सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हमने एसआईटी गठित की थी और जाँच के बाद स्वामी चिन्मयानंद को उनके आश्रम से गिरफ़्तार कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि उन्हें जेल भेज दिया गया है। उन्होंने दावा किया कि इस मामले में कोई देरी नहीं हुई है। उन्होंने यह भी कहा कि चिन्मयानंद को ज़बरन वसूली की धमकी के आरोप में तीन लोगों को गिरफ़्तार किया गया है।

मामले की जाँच कर रही एसआईटी ने कहा कि चिन्मयानंद ने अश्लील बातचीत और बॉडी मसाज सहित क़रीब-क़रीब सभी आरोपों को स्वीकार लिया है। एसआईटी प्रमुख नवीन अरोड़ा ने कहा कि चिन्मयानंद ज़्यादा नहीं कहना चाहा क्योंकि वह अपने किए पर शर्मिंदा हैं। नवीन अरोड़ा ने कहा कि घटना के समय के सबूतों की जाँच की जा रही है।

स्वामी चिन्मयानंद काफ़ी ताक़तकर नेता रहे हैं। वह उस कॉलेज की प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष हैं जिसकी लॉ छात्रा ने बलात्कार का आरोप लगाया है। वह बीजेपी के नेता हैं और केंद्र की वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे थे। बीजेपी के बड़े-बड़े नेताओं से उनके घनिष्ठ संबंध हैं।

कार्रवाई नहीं करने को लेकर पुलिस पर पहले भी सवाल उठते रहे थे। चिन्मयानंद से पूछताछ नहीं किए जाने को लेकर सवाल उठाए जा रहे थे। पहले ऐसी रिपोर्टें आई थीं कि एसआईटी ने आरोपी चिन्मयानंद से तो पूछताछ नहीं की, लेकिन पीड़िता से क़रीब 15 घंटे तक पूछताछ कर ली। तब एसआईटी ने इन रिपोर्टों को ख़ारिज़ कर दिया था और कहा था कि वह पूरी तरह से चिन्मयानंद से पूछताछ की पक्षधर है। एनडीटीवी के अनुसार, एसआईटी सूत्रों ने कहा था, 'यह कहना ग़लत है कि हमने चिन्मयानंद से पूछताछ नहीं ही। तीन दिन पहले ही पूछताछ के लिए पेश होने को हमने समन जारी किया था, लेकिन हमें बताया गया कि कुछ स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियाँ हैं। हमें उम्मीद है कि अगले कुछ दिनों में उनसे पूछताछ कर पाएँगे।' इसके बाद 12 सितंबर को पुलिस ने चिन्मयानंद से सात घंटे पूछताछ की थी। इस पूछताछ के आठ दिन बाद अब गिरफ़्तारी हुई है। 

कोर्ट में पेशी से पहले मेडिकल जाँच कराई

गिरफ़्तारी के तुरंत बाद ही मेडिकल जाँच के लिए चिन्मयानंद को शाहजहाँपुर अस्पताल ले जाया गया था। मेडिकल जाँच के बाद भारी सुरक्षा में उन्हें कोर्ट में ले जाया गया था। बता दें कि बुधवार को चिन्मयानंद को ज़िला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। तब यह हवाला दिया गया था कि उनका स्वास्थ्य ज़्यादा ख़राब है।

बलात्कार का आरोप लगाने वाली 23 वर्षीय पीड़िता ने कुछ दिनों पहले ही कहा था कि उसके पास पूर्व सांसद के कम से कम 35 वीडियो हैं। पीड़िता ने कहा था कि उसे उम्मीद है कि इन वीडियो के आधार पर उसे इंसाफ़ ज़रूर मिलेगा। हालाँकि चिन्मयानंद और उनके समर्थक लगातार कह रहे थे कि वह निर्दोष हैं और उन्हें ब्लैकमेल करने के लिए ऐसा किया जा रहा है।

शाहजहाँपुर के स्वामी सुखदेवानंद पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज में क़ानून की छात्रा इस पीड़िता ने पिछले महीने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर कर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मदद माँगी थी। इसके बाद पीड़िता ग़ायब हो गई थी। वीडियो वायरल होने और पीड़िता के परिजनों द्वारा शिकायत करने के बाद पुलिस ने अपहरण और आपराधिक धमकी देने का मामला दर्ज किया था, लेकिन बलात्कार का मामला दर्ज नहीं किया। तब सुप्रीम कोर्ट ने मामले को संज्ञान में लिया और चिन्मयानंद पर कार्रवाई का दबाव पड़ा।